एयरफोर्स स्टेशन पर हुए ड्रोन हमले में किया गया था प्रेशर फ्यूज का इस्तेमाल, पाकिस्तानी सेना के मिलीभगत के संकेत
सुरक्षा सूत्रों का कहना है कि जम्मू में भारतीय वायुसेना के स्टेशन पर ड्रोन के जरिए गिराए गए बमों में प्रेशर फ्यूज का इस्तेमाल किया गया था। इससे साफ संकेत मिलता है कि एयर फोर्स स्टेशन पर किए गए हमले में पाकिस्तानी सेना या आईएसआई के तत्वों ने लश्कर-ए-तैयबा की मदद की थी। सुरक्षा सूत्रों ने बताया कि जम्मू में वायुसेना की इमारत पर गिराए गए आईईडी में आरडीएक्स और अन्य रसायनों का मिश्रण था।
वहीं जमीन पर गिराए गए दूसरे बम में एक किलोग्राम से ज्यादा विस्फोटक था जिसमें कुछ बॉल बियरिंग मिलाए गए थे। सूत्रों का कहना है कि 27 जून को एयरफोर्स स्टेशन पर किए गए हमले में निश्चित ही पाकिस्तानी फौज की ट्रेनिंग काम में लाई गई थी। सूत्रों ने बताया कि इन बमों में जिस तरह के प्रेशर फ्यूज प्रयोग में लाए गए थे वैसे प्रेशर फ्यूज का इस्तेमाल पाकिस्तानी सेना करती आई है।
सूत्रों का कहना है कि इन बमों को आईईडी और प्रेशर फ्यूज को इस तरह से लगाया गया था ताकि जमीन पर गिरने के बाद धमाका हो जाए। इस तरह के प्रेशर फ्यूज तोप के अधिकतर गोलों और मोर्टार बमों में होते हैं। यही वजह है कि गोले हवा में नहीं फटते हैं। इनमें विस्फोट जमीन पर गिरने के बाद दबाव की वजह से होता है। जम्मू-कश्मीर के डीजीपी दिलबाग सिंह का कहना था कि इन हमलों के पीछे लश्कर-ए-तैयबा के पाकिस्तान स्थित आतंकियों का हाथ हो सकता है…
प्रेशर फ्यूज का इस्तेमाल आम तौर पर बारूदी सुरंगों और टैंक रोधी सुरंगों में किया जाता है। प्रेशर फ्यूज के चलते ही विस्फोटक उपकरण दबाव पड़ने पर सक्रिय हो जाता है। गौर करने वाली बात यह भी है कि पाकिस्तानी फौज चीन और तुर्की से ड्रोन खरीद रही है। ये ड्रोन तीन घंटे तक उड़ान भर सकते हैं। यही नहीं इन्हें जीपीएस के जरिए संचालित किया जा सकता है। हाल ही में वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने कहा था कि जम्मू में वायु सेना के अड्डे पर हुआ ड्रोन हमला एक आतंकी कार्रवाई थी।