न्यूनतम वेतनमान की समस्या के निराकरण की उठाई मांग, विधानसभा अध्यक्ष को पीटीए शिक्षकों ने सौंपा ज्ञापन

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अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत पीटीए शिक्षकों के प्रतिनिधिमंडल ने विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल से मुलाकात कर पीटीए शिक्षकों को मिल रहे न्यूनतम वेतनमान की समस्या के निराकरण की मांग की। प्रतिनिधि मंडल ने इस संबंध में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को भी ज्ञापन भेजा है।

रविवार को शिक्षकों प्रतिनिधिमंडल ने वीरभद्र मार्ग स्थित कैंप कार्यालय में विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात कर उन्हें ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधि मंडल ने अवगत कराया कि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत पीटीए अध्यापक विगत वर्षों से विद्यालयों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। जिन्हें विद्यालय के निजी स्रोतों के माध्यम से अल्प मानदेय दिया जा रहा है। प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों ने विधानसभा अध्यक्ष को अवगत कराते हुए कहा कि पीटीए शिक्षकों को मानदेय की श्रेणी में लाने के लिए सरकार की ओर से 21 दिसंबर 2016 को शासनादेश जारी किया गया था। जिसमें पीटीए शिक्षकों को न्यूनतम दस हजार रुपये मानदेय दिए जाने का प्रस्ताव था। बताया कि हरिद्वार, उधम सिंह नगर, रुद्रपुर और अल्मोड़ा जनपदों के शिक्षकों को मानदेय दिया जा चुका है। जबकि देहरादून व कुछ अन्य जनपद के शिक्षकों को अभी तक इसका लाभ नहीं मिल रहा है।

विधानसभा अध्यक्ष ने कहा है कि अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत पीटीए शिक्षकों के साथ सरकार न्याय करेगी व उनकी मांगों को लेकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखेंगे। प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि नियमानुसार सरकार द्वारा पीटीए शिक्षकों को लाभ दिया जाएगा। प्रतिनिधि मंडल में निधि पांडेय, रेहा ध्यानी, अंजली रावत, प्रियंका पयाल, ज्योतिर्मय शर्मा, जगदंबा थपलियाल आदि शामिल थे।

वर्तमान में 2200 अतिथि शिक्षक कार्यरत हैं। जबकि 16 माह बीत जाने के बाद भी कई बार अवगत कराने पर भी उत्तराखंड सरकार ने अभी तक कोई सकारात्मक निर्णय नहीं लिया है। जिस वजह से इस कोविड-19 महामारी के दौर में भी प्रशिक्षित बेरोजगार अतिथि शिक्षकों को दर-दर भटकना पड़ रहा है। प्रशिक्षित बेरोजगार अतिथि शिक्षकों के सामने उनकी रोजी-रोटी का संकट आ गया है। शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री पूर्व में की गई घोषणा के अनुसार 4000 पदों पर शीघ्र नियुक्ति करने की मांग की है।

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