दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री बोले, म्यूकरमाइकोसिस बीमारी महामारी घोषित मगर दवा नहीं है उपलब्ध, रोजाना बढ़ रहे मरीज
राजधानी में म्यूकरमाइकोसिस के मामले बढ़ते जा रहे हैं। इसलिए फंगस के संक्रमण का खतरा टला नहीं है। समस्या यह है कि फंगस के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवाओं की कमी दूर नहीं हो पा रही है। इस वजह से बीमारी जानलेवा भी साबित हो रही है। दिल्ली में म्यूकरमाइकोसिस के अब तक कुल 1044 मामले सामने आ चुके हैं। जिसमें से अब तक 89 मरीजों की मौत हो चुकी है। बृहस्पतिवार को यह जानकारी दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने दी।
उन्होंने कहा कि इस म्यूकरमाइकोसिस से पीड़ित 92 मरीज ठीक होकर घर जा चुके हैं। 863 मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं। लेकिन मरीजों के इलाज के लिए दवा ना के बराबर है। उल्लेखनीय है कि म्यूकरमाइकोसिस बीमारी दिल्ली में महामारी घोषित कर दी गई है।
इसके तहत अस्पतालों को हर मरीज की स्वास्थ्य विभाग को जानकारी देना अनिवार्य है। ताकि मरीजों को दवाएं उपलब्ध कराई जा सके लेकिन दवा की कमी से समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है। म्यूकरमाइकोसिस का संक्रमण नाक से शुरू होता है, जो आंख, चेहरे की हड्डियों व मस्तिष्क में पहुंच जाता है। डाक्टर कहते रहे हैं कि यदि शुरुआत में जांच कर एंटीफंगल दवाएं दी जाए जो ज्यादातर मरीज बचाए जा सकते हैं। संक्रमण अधिक फैल जाने पर इस बीमारी में मृत्यु दर अधिक है।
संक्रमण का फैलाव पता लगाने को होगा सीरो सर्वे: सत्येंद्र जैन
स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि दिल्ली में तीन दिन से संक्रमण दर एक फीसद से कम हैं। इसलिए मामले काफी कम हो गए हैं। दूसरी लहर में एक समय कोरोना के मामले 28 हजार से अधिक पहुंच गए थे। जबकि बुधवार को 576 मामले आए थे। फिर भी अभी सतर्कता जरूरी है। क्योंकि दूसरी लहर शुरू होने से पहले कोरोना के 150-200 मामले आ रहे थे। इस लिहाज से अभी मामले अधिक आ रहे हैं।
इसलिए घर से बाहर निकलने पर सभी लोग मास्क जरूर लगाएं व शारीरिक दूरी के नियम का पालन करते रहे हैं। उन्होंने कहा कि दूसरी लहर में ऐसा हो सकता है कि दिल्ली के करीब 80 फीसद लोग संक्रमित होकर ठीक हो चुके हों लेकिन सीरो सर्वे होगा तभी संक्रमण के फैलाव का सही पता चल सकेगा। बहरहाल, नवंबर-दिसंबर के संक्रमण के बाद पांचवें सीरो सर्वे में दिल्ली में 56 फीसद लोगों में एंटीबाडी पाई गई थी। अप्रैल में भी सीरो सर्वे शुरू हुआ था लेकिन संक्रमण अधिक होने के कारण उसे बंद कर दिया गया था।
टीका नहीं मिलने से कोवैक्सीन की दूसरी डोज मिलने में दिक्कत
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार से टीका नहीं मिलने के कारण कोवैक्सीजन की दूसरी डोज मिलने में भी दिक्कत हो रही है। 10 जून तक टीका आने की उम्मीद है। तब कोवैक्सीन की दूसरी डोज लग पाएगी। केंद्र सरकार ने यह व्यवस्था की है कि कंपनियां 50 फीसद टीका केंद्र को, 25 फीसद टीका राज्य सरकारों को व 25 फीसद टीका निजी अस्पतालों को उपलब्ध कराएंगी।
निजी अस्पतालों को टीका उपलब्ध कराने के प्रविधान पर उन्होंने केंद्र सरकार से विचार करने की मांग की और कहा कि टीका राज्य सरकार को उपलब्ध कराया जाना चाहिए। दिल्ली सरकार कंपनियों से टीका खरीदकर लोगों को निशुल्क उपलब्ध कराने को तैयार हैं। विभिन्न निजी अस्पतालों में टीके की अलग-अलग शुल्क के मामले पर उन्होंने दिल्ली सरकार का नियंत्रण होने से इंकार किया। उन्होंने कहा कि इस पर भी केंद्र सरकार का नियंत्रण है।