राजस्थान के संकटकाल में संकटमोचक बनकर उभरीं प्रियंका गांधी वाड्रा

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राजस्थान के विधानसभा चुनाव के बाद वहां मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान शुरू हो गई थी। पार्टी का एक धड़ा युवा नेतृत्व को कुर्सी पर देखना चाह रहा था तो दूसरा दल अनुभव को सत्तासीन करना चाह रहा था। खींचतान बढ़ी तो 14 दिसंबर 2018 को राहुल गांधी ने अशोक गहलोत और सचिन पायलट को दिल्ली बुलाया और दोनों के साथ तस्वीर खिंचवाई। इसके बाद जो सरकार बनी उसमें गहलोत सरकार के पायलट बने और सचिन को को-पायलट की सीट पर संतोष करना पड़ा।

लेकिन यह उड़ान टेकऑफ के बाद से लगातार हवा में हिचकोले खाती रही। रविवार को राजनीतिक उठा-पटक और तेज हो गई। वजह बना स्पेशल आपरेशन ग्रुप (एसओजी) का नोटिस। इसमें राज्य के उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट से बयान दर्ज कराने के लिए समय मांगा गया था। 10 जुलाई को ऐसा ही नोटिस मुख्यमंत्री अशोत गहलोत को भी भेजा गया था। दरअसल, गहलोत ने भाजपा के तीन वरिष्ठ नेताओं गुलाबचंद कटारिया, प्रदेश अध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया और विधानसभा में विपक्ष के उपनेता राजेंद्र राठौड़ पर सरकार को गिराने की कोशिश करने का आरोप लगाया था।
कांग्रेस विधायक दल ने एसओजी को भाजपा नेताओं द्वारा 25 करोड़ रुपये देकर खरीद-फरोख्त की शिकायत की थी। इसके बाद बयान दर्ज करवाने के लिए समय देने का नोटिस कई नेताओं को भेजा गया था। इससे पायलट कैंप खासा नाराज था। यहीं से शुरू हुई सरकार की सांप-सीढ़ी।

 

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