प्रदेश में 88 नए कोरोना पॉजिटिव मिले, संक्रमितों की संख्या हुई 2600 पार

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उत्तराखंड में बुधवार को 88 करोना संक्रमित मरीज मिले हैं। इसके साथ ही अब प्रदेश में संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 2600 पार हो गया है। वहीं पांच संक्रमित मरीजों की की मौत हुई है। जिसमें ऋषिकेश एम्स में तीन मृतकों की रिपोर्ट पॉजिटिव आई है। टिहरी जिले में दो संक्रमित लोगों की मौत हुई है।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी हेल्थ बुलेटिन के अनुसार, बागेश्वर में पांच, चंपावत में एक, देहरादून में 13, नैनीताल में सात, पिथौरागढ़ में एक,  पौड़ी में 09, ऊधमसिंह नगर में 26, टिहरी में 16 और हरिद्वार में छह संक्रमित मिले हैं। इन्हें मिलाकर प्रदेश में संक्रमितों की संख्या 2623 हो गई है।

प्रवासियों को क्वारंटीन करने के मामले में अफसरों को जिम्मेदारी निभाने के निर्देश देने को कहा
नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार की ओर से गरुड़ बागेश्वर में प्रवासियों को स्कूलों और पंचायत भवनों में क्वारंटीन करने के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद सचिव स्वास्थ्य को बागेश्वर जिले के स्वास्थ्य संबंधी शिकायतों पर संज्ञान लेने और जिम्मेदार अधिकारियों को कर्तव्यों का निर्वहन करने के निर्देश देने के साथ विस्तृत रिपोर्ट 30 जून तक पेश करने को कहा है।

न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया एवं न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की खंडपीठ के समक्ष वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से मामले की सुनवाई हुई। अधिवक्ता डीके जोशी ने कोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने महामारी से लड़ने को जिले के प्रधानों को अभी तक फंड नहीं दिया है। जब गरुड़ क्षेत्र के प्रधानों ने अधिकारियों से शिकायत करनी चाही तो उनके मोबाइल बंद मिले।

इसके बाद उन्होंने जिन्मेदारी आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और आशा वर्करों को दे दी। क्वारंटीन सेंटरों में न तो आने-जाने वालों का रिकॉर्ड रखा जा रहा है और ना ही सेंटरों को सैनिटाइज किया जा रहा है। याचिका में कहा गया कि गरुड़ में प्रदेश सरकार प्रवासियों को स्कूल और पंचायत भवनों में क्वारंटीन कर रही है लेकिन सुविधाएं नहीं दे रही है।इसलिए उन्हें तहसील या जिला स्तर पर क्वारंटीन किया जाए। इस सबंध में गरुड़ के प्रधानों ने डीएम को ज्ञापन भी दिया था। मांग पूरी नहीं होने पर सामूहिक इस्तीफा देने की चेतावनी दी थी।
प्राणवायु पोर्टेबल वेंटिलेटर सिस्टम का एम्स में सफल परीक्षण 
विश्वव्यापी कोविड19 के प्रकोप के मद्देनजर मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या के सापेक्ष वेंटिलेटर सिस्टम की अनुपलब्धता के चलते अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) व आईआईटी रुड़की के संयुक्त प्रयासों से तैयार किए गए प्राणवायु पोर्टेबल वेंटिलेटर सिस्टम का एम्स में परीक्षण सफल रहा।

अब यह वेंटिलेटर देशभर के सभी मेडिकल संस्थानों में मरीजों की सुविधा के लिए उपलब्ध हो सकेगा। कोरोना वायरस के विश्वव्यापी प्रकोप के मद्देनजर एम्स संस्थान ने कम लागत वाले प्राणवायु पोर्टेबल वेंटिलेटर को इसी साल अप्रैल-2020 में आईआईटी रुड़की के सहयोग से तैयार किया था। शोध के बाद इस तकनीक को विकसित करने वाली टीम में आईआईटी रुड़की के प्रो. अक्षय द्विवेदी व प्रो. अरूप दास के साथ ही एम्स के एनेस्थिसिया विभाग के प्रो. देवेंद्र त्रिपाठी शामिल थे।

इस अवसर पर एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत ने कहा कि यह वेंटिलेटर ऐसे आपातकाल के समय विकसित किया गया है, जब कोविड19 जैसी वैश्विक महामारी का दौर चल रहा है और कोरोना मरीजों की बढ़ती संख्या के सापेक्ष उनके उपचार के लिए देश में वेंटिलेटर सिस्टम पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने कहा कि एम्स व आईआईटी रुड़की की यह संयुक्त उपलब्धि निसंदेह न सिर्फ कोरोना संक्रमित वरन अन्य तरह के गंभीर अवस्था वाले रोगियों का जीवन बचाने के लिए वरदान साबित होगी। उन्होंने बताया कि आईआईटी रुड़की की लैबोरेट्री में तकनीकी के लिहाज से प्राणवायु वेंटिलेटर सिस्टम को कई चरणों में परखा जा चुका है।

इसके अलावा उत्तर भारत में विश्व स्तरीय तकनीक की एडवांस एचपीएस-3 सिमुलेशन लैब से सुसज्जित एम्स में भी इस सिस्टम का परीक्षण सफल रहा है। प्राणवायु वेंटिलेटर विकसित करने वाली टीम के सदस्य व एम्स के एनेस्थिसिया विभाग के प्रो. देवेंद्र त्रिपाठी ने बताया कि इस सिस्टम का कई बीमारियों में चिकित्सकीय परीक्षण किया गया है। जो कि ह्यूमन सिमुलेटर आधारित था।

उन्होंने इस वेंटिलेटर को कोविड एआरडीएस के उपचार में भी अति लाभकारी बताया। उन्होंने बताया कि इसके अलावा इस सिस्टम को अस्थमा, सांस और पैरालॉयसिस के रोगियों के लिए भी जीवन रक्षक प्रणाली के तौर पर उपयोग में लाया जा सकता है। इस दौरान परीक्षण करने वाली चिकित्सीय टीम में डॉ. पुनीत धर, डॉ. यशवंत पाठक, डॉ. मधुर उनियाल, डॉ. प्रवीन तलवार और डॉ. सुब्रह्बण्यम शामिल थे।

पोर्टेबल वेंटिलेटर सिस्टम प्राणवायु की विशेषता

कोविड एआरडीएस के उपचार की दृष्टि से अत्यधिक लाभकारी इस वेंटिलेटर को निहायत कम लागत में तैयार किया जा सकता है। अत्याधुनिक तकनीक और सुविधाओं से सुसज्जित प्राणवायु वेंटिलेटर सिस्टम स्वचालित प्रक्रिया से सांस लेने और छोड़ने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। आईसीयू में भर्ती मरीजों के लिए यह वेंटिलेटर जीवन रक्षक के तौर पर मददगार साबित होगा। इसे तैयार करने वाली टीम ने इसकी शुरुआती कीमत करीब 25 से 30 हजार आंकी है, जबकि बाजार में उपलब्ध अन्य वेंटिलेटर की कीमत करीब 8 से 10 लाख रुपये है।

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