बलिदान दिवस विशेष: अटल जाओ दुनिया को बताओ, श्यामा प्रसाद ने तोड़ दिया परमिट सिस्टम

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5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर पर लगा अनुच्छेद-370 का दंश हमेशा के लिए मिट गया और एक विधान, एक निशान और एक प्रधान की व्यवस्था लागू हो गई। मगर जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने करीब सात दशक पहले ही इस सपने को जिया था और उसके लिए ही कुर्बान भी हो गए थे।

उनकी 23 जून 1953 को श्रीनगर की जेल में रहस्यमय हालात में मौत हो गई थी। जम्मू-कश्मीर में परमिट सिस्टम को तोड़ कर लखनपुर में प्रवेश करने के दौरान ही मुखर्जी ने अपने साथ आए युवा अटल बिहारी वाजपेयी से कहा था कि जाओ अटल दुनिया को बताओ कि श्यामा ने परमिट सिस्टम को तोड़ दिया है।

मुखर्जी को लखनपुर में प्रवेश करते ही शेख अब्दुल्ला सरकार ने गिरफ्तार कर लिया था। उनका संदेश देश तक पहुंचाने के लिए अटल नमक से भरे ट्रक में छिप कर जम्मू से भद्रवाह पहुंचे थे। वहां से हिमाचल के रास्ते होते हुए लौटे थे। श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान से जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रवादी ताकतों की मुहिम को बल मिला था।

कुछ समय बाद शेख अब्दुल्ला को भी गिरफ्तार कर लिया गया। श्यामा के बलिदान के कुछ समय बाद प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने जम्मू-कश्मीर में परमिट सिस्टम को खत्म कर दिया। अब भाजपा ने श्यामा के पद चिह्नों पर चलते हुए जम्मू कश्मीर की सभी समस्याओं की जड़ अनुच्छेद 370 को ही तोड़ दिया।

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