अफगानिस्तान में तालिबान की बनेगी केयरटेकर गवर्नमेंट, लेकिन कब, ये फिलहाल तय नहीं- मुजाहिद
अफगानिस्तान पर तालिबान को कब्जा किए तीन सप्ताह से अधिक का समय हो चुका है लेकिन अब तक वो सरकार बनाने में नाकाम रहा है। कब्जे के बाद से ही तालिबान ने सरकार बनाने के लिए अपने सहयोगियों और अपने नेताओं के बीच मंथन में जुटा है लेकिन अब तक कोई कामयाबी हाथ नहीं लगी है। हर रोज तालिबान की तरफ से जल्द सरकार गठन करने की बात कही जा रही है। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक तालिबान ने कुछ देशों को सरकार गठन के मौके पर शामिल होने का न्योता दिया है। हालांकि ये कब होगी इसको लेकर फिलहाल कुछ नहीं कहा गया है।
रायटर्स का कहना है कि सोमवार को तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने जो प्रेस कांफ्रेंस की थी उसमें कहा गया था कि देश में सरकार का गठन जल्द होगा। उनके मुताबिक फिलहाल एक केयरटेकर गवर्नमेंट बनाई जाएगी, जिसमें बदलाव और सुधार किए जाएंगे। उनके इस बयान से काफी हद तक इसी बात का संकेत मिल रहा है कि इसको लेकर अब तक कुछ तय नहीं हो सका है।
एएनआई के मुताबिक सरकार गठन को लेकर उठ रहे सवालों पर तालिबान ने जो ताजा बयान दिया है उसके मुताबिक इसमें अभी कुछ तकनीकी परेशानियां सामने आ रही हैं जिसकी वजह से देरी हो रही है। संगठन के एक अन्य प्रवक्ता अहमदुल्ला मुटाकी का कहना है कि सरकार गठन को लेकर कोशिशों का दौर जारी है। विभिन्न न्यूज एजेंसियों के हवाले से अब तक जो खबरें सामने आई हैं उनके मुताबिक सरकार गठन को लेकर तालिबान के अंदर ही एक राय नहीं बन पा रही है। मुजाहिद और मुटाकी के बयान इसी तरफ इशारा कर रहे हैं। फिलहाल इसको लेकर कयासबाजी का दौर भी जारी है।
एएफपी ने बताया था कि अब तक जो सामने आया है कि उसके मुताबिक तालिबान ये तक तय नहीं कर पाया है कि उसकी सरकार का मुखिया कौन होगा। इसको लेकर तालिबान के दो बड़े नेताओं का नाम सामने आ रहा है। इसमें एक नाम मुल्ला अब्दुल गनी बरादर का है तो दूसरा नाम मुल्ला याकूब है। याकूब तालिबान के पूर्व प्रमुख मुल्ला उमर का बेटा है जबकि बरादर तालिबान के संस्थापक सदस्यों में शामिल है।
सरकार गठन को लेकर हो रही देरी और खींचतान की एक वजह हक्कानी नेटवर्क भी बताया जा रहा है। आपको बता दें कि हक्कानी ग्रुप सीधेतौर पर पाकिस्तान से ताल्लुक रखता है। इसके पूर्व प्रमुख जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा अनस हक्कानी फिलहाल इसका प्रमुख है। अमेरिका का इस गुट के साथ छत्तीस का आंकड़ा रहा है। ये काफी समय से तालिबान के साथ जुड़ा रहा है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान चाहता है कि हक्कानी ग्रुप के हाथों कोई बड़ी जिम्मेदारी आए। वहीं तालिबान अपने आगे किसी भी दूसरे को इस तरह की जिम्मेदारी नहीं देना चाहता है। वहीं दो दिन पहले समाचार एजेंसियों की तरफ से आई खबरों में कहा गया था कि हक्कानी ग्रुप पंजशीर इलाके में अहमद मसूद के खिलाफ छेड़ी गई जंग के भी खिलाफ रहा है।