छह महीने बाद सस्ती होने की जगह, महंगी हुई कोरोना की वैक्सीन
देश में कोरोना टीकाकरण को शुरू हुए छह महीने से अधिक समय निकल चुका है। ऐसे में उम्मीद लगाई जा रही थी कि वैक्सीन का उत्पादन बढ़ने के साथ ही इनकी कीमतों में और भी अधिक गिरावट आ सकती है लेकिन ऐसा हुआ नहीं बल्कि केंद्र सरकार पर खर्चा पहले की तुलना में और अधिक बढ़ गया है।
इस साल जनवरी में केवल जुलाई तक के लिए ही फार्मा कंपनियों के साथ सरकार ने कीमत तय की थी। उस दौरान कोविशील्ड की एक खुराक 200 और कोवाक्सिन की 206 रुपये कीमत तय हुई थी लेकिन अब नई कीमतों के तहत यह कीमत बढ़कर 205 और 215 हो चुकी है। यानी कोविशील्ड वैक्सीन की एक शीशी पर सरकार को 50 रुपये अधिक (एक शीशी में दस खुराक) देने पड़ रहे हैं। जबकि कोवाक्सिन की एक शीशी पर यह खर्चा 180 रुपये (एक शीशी में 20 खुराक) तक महंगा हो गया है।
अब सरकार को इन्हीं कीमतों पर नया ऑर्डर देना पड़ा है। स्वास्थ्य मंत्रालय से मिली जानकारी के अनुसार 16 जुलाई को केंद्र सरकार ने सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया को कोविशील्ड वैक्सीन की 37.5 करोड़ खुराक का ऑर्डर दिया है। जबकि भारत बायोटेक को 28.5 करोड़ खुराक का ऑर्डर मिला है।
इसके पीछे एक बड़ी वजह कुल वैक्सीन का 75 फीसदी आपूर्ति सरकारी केंद्रों में शामिल होना माना जा रहा है। हालांकि भारत बायोटेक की कोवाक्सिन स्वदेशी होने के बावजूद कोविशील्ड की तुलना में अभी भी महंगी है। एक लंबा वक्त गुजरने के बाद भी जहां एक तरफ कोवाक्सिन का उत्पादन अभी भी मंद गति से चल रहा है। वहीं दूसरी ओर इसकी महंगी दरें सरकार के साथ साथ आम आदमी के लिए भी ज्यादा हैं क्योंकि निजी टीकाकरण केंद्रों में इन दिनों सबसे महंगी वैक्सीन भी यही है।
कब-कब सरकार ने वैक्सीन का दिया ऑर्डर
केंद्र सरकार ने वैक्सीन खरीदने के लिए पहला ऑर्डर इस साल 10 जनवरी को दिया था। उस दौरान कोविशील्ड की 1.1 करोड़ और कोवाक्सिन 55 लाख डोज का ऑर्डर दिया गया लेकिन इसके बाद फरवरी में तीन बार ऑर्डर (3,10 और 24 फरवरी) दिया जिसके तहत कोविशील्ड को 4.50 करोड़ डोज शामिल थीं लेकिन कोवाक्सिन की केवल 45 लाख डोज ही शामिल रहीं। इसके बाद 12 मार्च, 5 मई और 16 जुलाई को क्रमश: 12, 16 और 66 करोड़ डोज का ऑर्डर दिया जा चुका है। अब तक सरकार 100 करोड़ डोज का ऑर्डर सिर्फ दो कंपनियों को दे चुकी है जिनमें अकेले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के पास 64.1 करोड़ डोज का ऑर्डर है। जबकि भारत बायोटेक के पास केवल 36.5 करोड़ डोज का ऑर्डर है।
आईसीएमआर को मिल रहा पांच फीसदी का मुनाफा
भारत बायोटेक की कोवाक्सिन पहली स्वदेशी कोरोना वैक्सीन है। इसे नई दिल्ली स्थित इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) ने तैयार किया है। इस वैक्सीन को लेकर हुए एमओयू के अनुसार कोवाक्सिन की हर डोज पर पांच फीसदी का मुनाफा आईसीएमआर को मिलना तय है। यह मुनाफा साल में दो बार (हॉफ ईयर) में आईसीएमआर को मिलेगा।