जानिए कौन हैं बसवराज बोम्मई, जो अब होंगे कर्नाटक के नए मुख्यमंत्री, जानें खासियत
बसवराज बोम्मई कर्नाटक के अगले मुख्यमंत्री होंगे। उनकी गिनती शक्तिशाली लिंगायत नेता और येदियुरप्पा के करीबी विश्वासपात्रों में होती है। बीएस येदिरप्पा के इस्तीफे के बाद उनका चयन मुख्यमंत्री पद के लिए किया गया। येदियुरप्पा ने ही बसवराज के नाम का प्रस्ताव किया और धर्मेंद्र प्रधान ने उनके नाम की घोषणा की। बुधवार को 11 बजे बसवराज मुख्यमंत्री पद की शपथ लेंगे।
61 वर्ष के बसवराज बोम्मई का जन्म 28 जनवरी 1960 को हुबली में हुआ था। पूर्व मुख्यमंत्री एसआर बोम्मई के पुत्र बसवराज कर्नाटक में भाजपा के बड़े नेताओं में शुमार हैं। उन्होंने भूमाराद्दी कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी से 1982 में बीई की डिग्री ली। बसवराज बोम्मई की पत्नी का नाम चेन्नम्मा हैं और उनके दो बच्चे हैं। बसवराज बोम्मई इस साल के शुरुआत में कर्नाटक के गृह मंत्री बनाए गए थे। वे कर्नाटक विधानसभा के 2004 से 2008 तक भी सदस्य रहे हैं। वह धारवाड़ से 1998 और 2004 में विधायक चुने गए। जब येदियुरप्पा मुख्यमंत्री बने तो वे हावेरी जिले के शिगांव निर्वाचन क्षेत्र से विधायक चुने गए।
उनका पूरा नाम बसवराज सोमप्पा बोम्मई है। कर्नाटक के गृह मामले, कानून, संसदीय मामले के मंत्री रहे बोम्मई ने हावेरी और उडुपी के जिला प्रभारी मंत्री के रूप में भी कार्य किया। इससे पहले उन्होंने जल संसाधन और सहकारिता मंत्री के रूप में कार्य किया है।
टाटा समूह में की थी नौकरी
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एसआर बोम्मई के पुत्र बसवराज ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीई की है। बसवराज ने करियर की शुरुआत टाटा समूह से की थी। वह मैकेनिकल इंजीनियर होने के साथ ही पेशे से किसान और उद्यमी भी हैं। उन्होंने जनता दल से अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की थी। वो 2008 में जनता दल से भाजपा में शामिल हुए थे। उनके बाद कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। उसके बाद भाजपा पार्टी और सरकार में महत्वपूर्ण पदों को संभाल रहे हैं।
लिंगायत समुदाय के मजबूत नेता
पहले ही माना जा रहा था कि लिंगायत समुदाय से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार चुने जाने की प्राथमिकता होगी, क्योंकि कर्नाटक में लगभग 17 फीसद की आबादी वाले लिंगायत का राजनीतिक प्रभाव काफी है। विधानसभा के लिहाज से लगभग 30 फीसद सीटों पर इनका प्रभाव है। ऐसे में भाजपा इसमें कोई सेंध नहीं चाहेगी। ऐसे नाम को भी खारिज किया गया, जिससे येदियुरप्पा की सीधी भिड़ंत रही हो। यह कारण है कि मुख्यमंत्री पद के लिए बसवराज बोम्मई का चयन किया गया।
सूत्रों के अनुसार, येदियुरप्पा को नेतृत्व की ओर से भरोसा दिया गया था कि मंत्रिमंडल में उनके पुत्र को क्षमता के अनुसार उचित तरीके से स्थान मिलेगा। बसवराज बोम्मई के चयन से इसे बल मिला है।