हिमाचल के अजय कुमार ने नौकरी छोड़कर उगाई यह खास मशरूम, प्रोटीन से भरपूर, बाजार में खूब ड‍िमांड

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जीवन में कुछ करने की ठानी हो तो राह कोई कठिन नहीं होती। सरकाघाट के अप्पर बरोट निवासी अजय कुमार ने यह साबित किया है। मल्टीनेशनल कंपनी वीडियोकॉन में कस्टमर सर्विस एग्जिक्यूटिव की नौकरी छोड़ कर घर पर शुरू किए मशरूम के काम ने आज उनको नई पहचान दिलाई है। 30 वर्षीय अजय ने ओएस्टर मशरूम तैयार कर जहां महीने में 50 हजार रुपये तक घर पर ही कमा रहे हैं, वहीं गांव के चार से पांच बेरोजगारों को भी इसका प्रशिक्षण देकर उनको रोजगार से जोड़ा है।

बीएससी बायोटेक्नोलॉजी की पढ़ाई के बाद अजय जालंधर में वीडियोकॉन कंपनी में नौकरी कर रहे थे, लेकिन आगे बढ़ने की इच्छा ने उनको घर की राह दिखाई और आज वह घर पर आएस्टर मशरूम के 200 से 300 बैग तैयार कर हमीरपुर, सरकाघाट और जाहू की मार्केट में बेचते हैं। इस काम में उनका पूरा परिवार उनका साथ देता है।

ऐसे जुड़े मशरूम उत्पादन से

वर्ष 2019 में नौकरी छोड़ने के बाद अजय घर लौट आए। इस दौरान पीएनबी आरसेटी की ओर से करवाई जा रही मशरूम उत्पादन के प्रशिक्षण में उन्होंने और उनकी पत्नी राधा देवी ने प्रशिक्षण लिया। इसके बाद घर के पास ही पुराने मकान को ठीक करवाकर वहां मशरूम उत्पादन शुरू किया। उन्‍होंने पत्नी व पिता प्रभा राम आर माता कांगड़ी देवी के सहयोग से यह काम शुरू किया। इसके लिए बीज पहले सोलन स्थित रिसर्च सेंटर से लाते थे, लेकिन कोरोना के चलते अब स्थानीय स्तर पर ही बीज ले रहे हैं। पहले 50 बैगों से काम शुरू किया जो अब 200 से 500 बैग तक पहुंच गया है।

एक बार लगाने पर पांच से छह फसलें

अजय बताते हैं कि ओएस्टर मशरूम का बीज यदि रिसर्च सेंटर से लाया जाए तो यह पांच से छह फसलें देता है, जबकि स्थानीय बीज दो से तीन। इसमें पहले सबसे अधिक और फिर धीरे-धीरे कम फसल तैयार होती है। उन्होंने कहा कि एक किलो मशरूम 170 से 200 रुपये किलोग्राम तक बिक जाता है।

प्रोटीन से भरपूर है ओएस्टर मशरूम

अजय बताते हैं कि ओएस्टर मशरूम प्रोटीन से भरपूर होता है। वह बताते हैं कि 100 ग्राम मीट 300 कैलोरी होती है, जबकि ओएस्टर मशरूम के 100 ग्राम में ही 500 कैलोरी होती है। इसका सेवन कैंसर, जोड़ों के दर्द और शूगर मरीजों के लिए भी अच्छा होता है।

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