भाजपा पर हमलावर कांग्रेस का दांव अब पार्टी पर ही पड़ा भारी

प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर भाजपा पर हमलावर कांग्रेस का दांव अब पार्टी पर ही भारी पड़ गया है। बड़े बदलावों को लेकर भाजपा ने जहां तुरंत फैसले लिए और उन्हें अमलीजामा पहना दिया, वहीं प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस अपने असमंजस से उबर नहीं पा रहा है। नेता प्रतिपक्ष के रिक्त पद पर चयन का मसला भी प्रदेश अध्यक्ष बदलने के फेर में लटक गया है। चुनावी साल में इसका असर पार्टी कार्यकर्त्ताओं के मनोबल पर नजर आने लगा है।
कांग्रेस प्रदेश में प्रदेश में भाजपा की सरकारों में हुए बदलावों को लेकर मुखर रही है। बैठे-बिठाए मुद्दा मिलने से तीखे हु़ए कांग्रेस के तेवर अब ढीले नजर आने लगे हैं तो इसकी वजह बिल्कुल साफ है। भाजपा के दांव की काट का हवाला देकर पार्टी के भीतर नए नेता प्रतिपक्ष के चयन के साथ ही प्रदेश अध्यक्ष को बदलने की मांग जोर पकड़ी। बीती 26 जून से दिल्ली में प्रदेश कांग्रेस के दिग्गज नेता डेरा डाले रहे। जल्द फैसला हो, इसके लिए प्रदेश विधानमंडल दल की बैठक में प्रस्ताव पारित कर कांग्रेस अध्यक्ष को दोनों पदों पर फैसला लेने को अधिकृत किया जा चुका है। तकरीबन एक पखवाड़ा होने को है, पार्टी इस बारे में फैसला नहीं ले पाई है। इस बीच भाजपा ने प्रदेश से लेकर केंद्र सरकार के स्तर पर बदलाव का नया सियासी दांव चला, उसने कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं। सोच-विचार में डूबी कांग्रेस की पुख्ता रणनीति बनने से पहले ही भाजपा ने उसकी घेराबंदी कर दी है। प्रदेश में 2022 के विधानसभा चुनाव के लिए पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस महासचिव हरीश रावत की अध्यक्षता में चुनाव संचालन समिति के गठन से पहले ही भाजपा ने उन्हें घर में ही घेरने के लिए सियासी चाल चल दी है।
प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष को लेकर फैसला अब अगले हफ्ते तक टल गया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत अस्वस्थता की वजह से एम्स दिल्ली में भर्ती हैं। वहीं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह 10 दिनों तक दिल्ली में डेरा डाले रहने के बाद अब दून लौट चुके हैं। शुरुआती दौर में सियासी दांवपेच में बढ़त में दिखाई दे रही कांग्रेस फिलहाल खुद बचाव की मुद्रा में है।