डीएनए आधारित पहला टीका बच्चों पर भी असरदार, सरकार की मंजूरी का इंतजार
कोरोना की तीसरी लहर की आशंकाओं के बीच बृहस्पतिवार को राहत की खबर मिली है। दुनिया का पहला डीएनए तकनीक आधारित फार्मा कंपनी जाइडस कैडिला का टीका बच्चों पर भी कारगर है। तीन चरणों में 12 साल तक के बच्चों पर यह टीका लगभग 100 फीसदी सुरक्षित और असरदार रहा है। देशभर के 50 अस्पतालों में बच्चों व वयस्कों पर हुए हुए तीन ट्रायलों में यह टीका 66.6 फीसदी कारगर रहा है।
जाइडस कैडिला का यह टीका दुनिया का पहला टीका होगा जिसकी तीन खुराकें देनी होंगी। दवा कंपनी ने टीके के तीनों ट्रायल के आंकड़े भारतीय औषधि महानियंत्रक को सौंपकर इसके आपात इस्तेमाल की मंजूरी मांगी है। जाइडस का दावा है कि टीके की दो खुराक लेने के बाद एक भी गंभीर बीमारी या मौत का मामला दर्ज नहीं किया गया। जबकि तीसरी खुराक देने के बाद 100 फीसदी तक एंटीबॉडी पाई गई हैं। कंपनी ने यह भी कहा कि इस टीके को दो खुराक में लाने की तैयारी जारी है क्योंकि अब तक कोविशील्ड, कोवाक्सिन और स्पूतनिक दो खुराक वाली हैं।
आवेदन में जाइडस कैडिला ने यह भी दावा किया है कि 12 से 18 वर्ष की आयु के करीब एक हजार बच्चे व किशोर को वैक्सीन दी गई तो उनमें वैक्सीन पूरी तरह से सुरक्षित मिली है। यह देश की पहली वैक्सीन है जो बच्चों में असरदार मिली है। जबकि कोवाक्सिन और कोविशील्ड को लेकर अभी परीक्षण चल रहे हैं।
तीसरे ट्रायल में 28 हजार लोगों को लगा टीका
जाइडस कैडिला ने तीसरे परीक्षण में 28 हजार लोगों को वैक्सीन दिया था। यह अलग-अलग राज्यों में परीक्षण हुआ। इस टीके को दो से आठ डिग्री तापमान पर रखा जा सकता है। साथ ही अगर अनुमति मिलती है तो कंपनी सालाना 10 से 12 करोड़ खुराक बनाने में सक्षम है।
परीक्षण परिणामों से संतुष्ट विशेषज्ञ
डीसीजीआई के आधीन विशेष जांच समिति (एसईसी) के विशेषज्ञाें ने कहा, डीएनए आधारित इस टीके के परिणाम संतोषजनक हैं। हम परिणामों की समीक्षा कर रहे हैं। इनसे पहले नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल और राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह के अध्यक्ष डॉ. एनके अरोड़ा इस वैक्सीन के परीक्षण परिणामों को बेहतर बता चुके हैं।