घातक साबित हो रहा है डेड वायरस, बढ़ रही है मरीजों की संख्या
कोरोना से स्वस्थ होने के बाद लोगों को सांस लेने, थकान व ह्रदय संबंधी समस्याएं देखने को मिल रही हैं, लेकिन अब कई ऐसे मरीज भी सामने आ रहे हैं, जिनकों वायरस के प्रभाव के कारण पेट, आंत और लीवर में गंभीर समस्याएं हो रही है। इनमें से कुछ की कोरोना रिपोर्ट एक माह बाद भी पॉजिटिव आई है। डॉक्टरों का कहना है कि शरीर में मौजूद डेड वायरस के कारण ऐसा हो रहा है।
द्वारका के आकाश अस्पताल में पिछले तीन सप्ताह से ऐसे 20 से अधिक मरीज भर्ती हो चुके हैं। जिन्हें कोरोना से ठीक होने के बाद आंतो में अल्सर, लगातार दस्त, लीवर से जुड़ी परेशानियां ,अग्नाशय में समस्या(पेट में पायी जाने वाली पाचन तंत्र की एक प्रमुख ग्रंथि) और अन्य पेट संबंधी विकार पाए गए हैं। इनमें छोटे बच्चे भी शामिल है।
अस्पताल के गेस्ट्रोलॉजी विभाग के डॉक्टर शरद मल्होत्रा ने बताते हैं कि उनके यहां पिछले कुछ दिनों से लीवर व आंतों की समस्या वाले कई मरीज इलाज के लिए आए हैं। यह सभी कोरोना से संक्रमित हुए थे। इससे पता चलता है कि कोरोना फेफड़ों और ह्रदय के अलावा अन्य अंगों को भी काफी प्रभावित कर रहा है। जो मरीज भर्ती हुए हैं। उनमें बच्चों कि भी बड़ी संख्या है। इनको आंत में अल्सर हो गया है, जिसका इलाज किया जा रहा है।
एम्स के एक डॉक्टर ने बताया कि कोरोना से ठीक होने के बाद कई मरीज अस्पताल आ रहे हैं, जो दूसरे अस्पतालों में भर्ती थे और लक्षण न होने पर इन्हें वहां से छुट्टी दे दी गई थी, लेकिन अब एक माह बाद तक भी रोगियों को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आ रही है। इनमें से कुछ को सांस लेने कि गंभीर समस्या के चलते अस्पताल में भर्ती करना पड़ा। जांच कि तो पता चला कि इनके शरीर में डेड वायरस है, लेकिन इसके बावजूद इनको इतनी परेशानियों हो रही है।
शरीर के किसी भी अंग में हो रही समस्या का रखें ध्यान
डॉक्टर शरद के मुताबिक, कोरोना से ठीक होने के बाद अगर शरीर के किसी अंग में कोई परेशानी हो रही है तो उसे हल्के में न लें। क्योंकि यह वायरस सभी अंगों को प्रभावित कर रहा है। अगर कोई परेशानी महसूस हो रही है तो तुरंत डॉक्टरों कि सलाह लें।
ठीक होने पर भी क्यों आता है टेस्ट पॉजिटिव?
एम्स के पूर्व डॉक्टर प्रवीण कमार बताते हैं कि जब किसी रोगी कि आरटी-पीसीआर रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है और उसके शरीर में कोई लक्षण नहीं होते तो उसे छुट्टी दे दी जाती है। लेकिन कई बार मरीज के ठीक होने पर भी रिपोर्ट निगेटिव नहीं आती और मरीज अस्पताल में भर्ती रहते थे। टेस्ट निगेटिव नहीं आने का एक कारण यह भी हो सकता है कि गले की जिन पेशियों में विषाणु रहता है उन पेशियों की जिंदगी तीन महीनों की होती है। वायरस मरने के बाद भी इन पेशियों में पड़ा रहता है। मरे हुए वायरस के शरीर मे रह जाने से भी टेस्ट पॉजिटिव आता है।
कैसे पता चलता है कि शरीर मे मौजूद वायरस जिंदा है या नहीं?
डॉक्टर के मुताबिक, ठीक हुए मरीज में अगर तीन दिन तक कोई लक्षण नहीं दिखते हैं तो उसके गले से सैंपल लेकर वायरस कि जांच होती है।अगर यह शरीर में पनपनता रहता है तो इसका मतलब है कि वह जिंदा हैं. लेकिन अगर ऐसा नहीं होता तो शरीर में मौजूद वायरस मरा हुआ होता है। ऐसी स्थिति में भले ही मरीज कि रिपोर्ट पॉजिटिव आए, लेकिन उससे संक्रमण किसी अन्य व्यक्ति में नहीं फैलता।