कोरोना वायरस की तीसरी लहर को लेकर तैयारी, देश में लगाए जा रहे 850 ऑक्सीजन प्लांट
डीआरडीओ प्रमुख सी. सतीश रेड्डी ने सोमवार को कहा कि पीएम केयर्स फंड से देश के विभिन्न जिलों में 850 आक्सीजन प्लांट लगाए जा रहे हैं। पीएम केयर्स फंड की स्थापना कोविड-19 महामारी की लड़ाई में देश की जरूरतों की पूर्ति के लिए की गई है। विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) की तरफ से आयोजित ‘आजादी का अमृत महोत्सव व्याख्यान श्रृंखला’ में रेड्डी ने कहा कि कोविड के खिलाफ लड़ाई में डीआरडीओ ‘फ्लाइंग हास्पिटल’ समेत हर प्रकार की मदद के लिए तैयार है।
अस्थायी अस्पतालों की स्थापना
उन्होंने कहा, ‘हमने कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कई शहरों में अस्थायी अस्पतालों की स्थापना की। माड्यूलर हास्पिटल विकसित किए गए हैं। इन्हें हम फ्लाइंग हास्पिटल कहते हैं। इन्हें इस तरह से बनाया गया है कि वायरस अस्पताल से बाहर न जाए। अगर तीसरी लहर आती है तो सभी अस्पताल मरीजों का इलाज करेंगे। सरकार इस मुद्दे पर सभी हितधारकों से बातचीत कर रही है।’
एआइ की महत्वपूर्ण भूमिका
रेड्डी ने बताया कि रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) किस प्रकार रक्षा क्षेत्र में उन्नत प्रौद्योगिकी के विकास के लिए शोध कर रहा है। साथ ही वह लोगों के लाभ के लिए कम कीमत और उच्च गुणवत्ता वाली प्रौद्योगिकी का भी विकास कर रहा है। डीएसटी सचिव आशुतोष शर्मा ने बताया कि किस प्रकार वैक्सीन महामारी से लोगों की सुरक्षा करती है। उन्होंने यह भी बताया कि महामारी के दौरान आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) ने महती भूमिका निभाई है।
हनीवेल ने डीआरडीओ से की साझेदारी
हनीवेल ने सोमवार को कहा कि वह भारत सरकार के डीआरडीओ तथा वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद-भारतीय पेट्रोलियम संस्थान (सीएसआइआर-आइआइपी) के साथ आक्सीजन उत्पादन बढ़ाने के लिए साझेदारी कर रही है। अमेरिकी कंपनी हनीवेल बोइंग व कनाडा के बमबार्डियर इंक द्वारा बनाए जाने वाले विमानों के पुर्जो का निर्माण करती है। उसने कहा कि वह मेडिकल आक्सीजन प्लांट की स्थापना को गति देने के लिए भारत को अवशोषकों की आपूर्ति करेगा। उसके शोधकर्ता भारतीय विज्ञानियों के साथ मिलकर आक्सीजन के उत्पादन के लिए उपयुक्त अवशोषकों की जांच व अनुमोदन करेंगे।