कोरोना संकट काल में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की सुस्त पड़ी रफ्तार को फिर से गति देने का काम शुरू हो गया है। शिक्षा मंत्रालय ने इसे लेकर नीति के अमल से जुड़ी सभी एजेंसियों को तय किए गए लक्ष्य को समयसीमा के भीतर पूरा करने के निर्देश दिए हैं। वैसे भी नीति के अमल के लिए जो तीन सौ टास्क चिन्हित किए गए थे,उनमें से करीब 80 फीसद टास्क पर इसी साल से काम होना था। इसमें स्कूलों में कोडिंग और डाटा साइंस को पाठ्यक्रम में शामिल करना और विश्वविद्यालयों में दाखिले के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा शुरू करने जैसी अहम सिफारिशें शामिल हैं।
शिक्षा मंत्रालय के निर्देश के बाद फिलहाल सभी एजेंसियां अपने-अपने लक्ष्यों के अमल को लेकर सक्रिय हो गई हैं। विश्वविद्यालयों में दाखिले को लेकर संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराने की योजना को फिर से रफ्तार दी जा रही है। साथ ही इसे लेकर सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के कुलपतियों के साथ चर्चा की गई है।
कोरोना संकट काल में इस योजना का काम सुस्त हो गया था। लेकिन मंत्रालय का इस बात पर जोर है कि इसी साल से इसे लागू करने की संभावनाएं परखी जाएं। भले ही इसे सिर्फ केंद्रीय विश्वविद्यालयों तक ही सीमित रखा जाए। वैसे भी सरकार का पूरा फोकस लक्ष्यों को तय समय सीमा के भीतर पूरा करने को लेकर है। इस बीच यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालयों से अपने सभी पाठ्यक्रमों को आनलाइन भी शुरू करने का सुझाव दिया है। नई शिक्षा नीति में इसके अमल की भी सिफारिश की गई थी।
इसके साथ ही नीति में स्कूली शिक्षा के दायरे में प्री-प्राइमरी को लाने की सिफारिश की गई है। जो इस साल के टास्क में शामिल है। मंत्रालय ने नए वित्त वर्ष से इसे मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही मिड-डे मील के दायरे को विस्तार देते हुए इस साल से प्री- प्राइमरी को भी इनमें शामिल कर लिया है। नीति के अमल में हाल ही में एक बड़ा कदम बढ़ाते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने नीति के अमल से जुड़े तय टास्क के तहत अपने से संबद्ध देश भर के सभी स्कूलों में कोडिंग और डाटा साइंस की पढ़ाई कराने का फैसला ले लिया है। इस बीच स्कूलों के लिए नए पाठ्यक्रम को भी तैयार करने का काम शुरू हो गया है।