कोरोना का असर : बड़े बाजारों में नहीं है होली की उमंग, गायब हुए खुशी के रंग

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कोरोना संक्रमण ने बाजार के रंग को एक बार फिर बेरंग कर दिया है। हर साल की तरह इस साल भी व्यापारियों ने होली के रंगों को और चटख करने की तैयारी की थी, लेकिन खरीदारों की कमी की वजह से दिल्ली के बड़े-बड़े बाजारों में रौनक विशेष नहीं है। खास बात यह भी है कि मांग काफी कम है, बावजूद रंग-गुलाल और पिचकारी महंगाई की चाशनी में सनी है। इस होली नई बात ये भी है कि भारतीय रंग-गुलाल और पिचकारी के सामने चीन के रंगों का हाल फीका है।

सदर बाजार में रौनक गायब
सदर बाजार में होली के एक महीने पहले से जहां चहल-पहल बढ़ी रहती थी, लेकिन पिछले दो साल से यहां की रौनक गायब है। यहीं नहीं बाजार में रंग-गुलाल, पिचकारी, मास्क, टोपी समेत अन्य होली में इस्तेमाल होने वाले सामान भी नदारद हैं। आमतौर पर होली व दीवाली में बाजार को जमकर सजाया जाता है, लेकिन इस बार व्यापारियों की निराशा आसानी से देखी जा रही है। हालांकि रेहड़ी-पटरी पर सजने वाले बाजार में भीड़ जरूर है।

पुराने मॉडल की ही पिचकारी
इस बार होली के लिए सजने वाले बाजार में नया कुछ भी नहीं है। बच्चों की पिचकारी की बात करें तो वही डोरेमॉन, स्पाइडर मैन, बार्बी वाली पिचकारी व गन वाली पिचकारी उपलब्ध है। रंग के मामले में भी हर्बल गुलाल व रंग बाजार में हैं। कई दुकानदार तो पिछले होली के स्टॉक की ही इस साल भी बिक्री कर रहे है।

महंगाई सातवें आसमान पर
खरीदार बाजार में भले ही नहीं हों, मांग भी ज्यादा नहीं है, लेकिन महंगाई दोगुनी तक हो गई है। ना केवल भारतीय बल्कि चीनी सामान में भी इस बार महंगाई की मार पड़ रही है। पिछले साल की तुलना में इस साल 30-50 प्रतिशत अधिक महंगाई है। ढाई सौ रुपये में बिकने वाली पिचकारी जहां पांच सौ रुपये में बिक रही है तो हर्बल गुलाल में भी 25-30 प्रतिशत कीमत में वृद्धि है।

चीन पर भारतीय रंग भारी
हर साल चीनी सामान से पूरा बाजार भरा रहता था, लेकिन इस बार भारतीय सामान से बाजार पटा हुआ है। चीन की पिचकारी व गुलाल महंगे होने की वजह से भी भारतीय रंग-गुलाल पर ही लोगों का भरोसा है। ऐसा इसलिए भी है कि चीन से आयातित रंग-पिचकारी भी महंगी हो गई है। कंफेडरेशन ऑफ सदर बाजार ट्रेडर्स एसोसिएशन के देवराज बवेजा का कहना है कि प्लास्टिक के दाने की कीमत में इजाफे की वजह से रंग-पिचकारी महंगे हो गए हैं। चीनी सामान पर ड्यूटी टैक्स अधिक लग रहा है।

बोले व्यापारी…
होली का रंग फीका है। 50 प्रतिशत भी बाजार में बिक्री नहीं हुई है। महंगाई ने भी कमर तोड़ रखी है। रंग-गुलाल, पिचकारी, मास्क समेत सभी होली की चीजें 40 प्रतिशत तक पिछले साल की तुलना में महंगी हैं। दिल्ली में कोरोना संक्रमण की बढ़ती रफ्तार व अन्य व्यापारियों के पास पैसों की कमी की वजह से अन्य राज्य से भी बड़े व्यापारी इस साल दिल्ली के सदर बाजार से गायब हैं।
-रविंदर सिंह, सदर बाजार के व्यापारी

देश में किसी तरह की घटना घटती है तो उसकी मार व्यापारियों पर ही पड़ती है। पिछले साल भी दिल्ली दंगा व कोरोना की वजह से व्यापारी वर्ग परेशान रहा तो इस साल भी होली का त्योहार सामूहिक रूप से मानाने पर पाबंदी की वजह से व्यापार मंदा है। सदर में खरीदार नदारद हैं। अब सिर्फ रेहड़ी-पटरी पर बिकने वाले सामान के खरीदार ही पहुंच रहे हैं। होली के चार दिन पहले दिल्ली सरकार की पाबंदी ने व्यापार बिगाड़ दिया।
-हरजीत सिंह छाबड़ा, अध्यक्ष, सदर निशकाम वेलफेयर एसोसिएशन

पिछले एक साल से व्यापार की स्थिति ठीक नहीं है। नवंबर से फरवरी के बीच व्यापार पटरी पर आना शुरू हुआ था, तो अब होली जैसे त्योहार में भी खरीदार नहीं है। यही स्थिति रही तो व्यापारी ही नहीं मजदूरों की बेरोजगारी भी बढ़ेगी। सभी कच्चे माल पर महंगाई की वजह से तैयार उत्पाद भी महंगा हो गया है।
-प्रवीण, अध्यक्ष, कंफेडरेशन ऑफ सदर बाजार

 

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