आज तय हो सकती है राममंदिर निर्माण की तिथि, बैठक पर टिकीं सबकी निगाहें
श्रीरामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट की बैठक शनिवार को अयोध्या के सर्किट हाउस में होगी। बैठक में राममंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र सहित सभी ट्रस्टी शामिल होंगे। ट्रस्ट की बैठक पर अयोध्या सहित करोड़ों रामभक्तों की निगाह टिकी हुई है क्योंकि माना जा रहा है कि बैठक में राममंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन की तिथि पर अंतिम मुहर लग सकती है।
इस बीच रामनगरी अयोध्या के संत-धर्माचार्यों सहित हर वर्ग के लोगों की एकमत से चाहत है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कर कमलों द्वारा राममंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखी जाए। अयोध्यावासियों का मानना है कि करीब 500 वर्षों के संघर्ष के बाद यदि राममंदिर निर्माण की शुभ घड़ी आई हैं तो वह मोदी व योगी के राज में ही संभव हो सका है।
इसलिए राममंदिर का शुभारंभ भी इन्हीं के हाथों होना चाहिए। फिलहाल मोदी के अयोध्या आगमन और भूमि पूजन की तिथि को लेकर अब सभी की निगाहें कल होने वाली ट्रस्ट की बैठक पर हैं। क्योंकि बैठक में सभी ट्रस्टियों की मौजूदगी में मोदी के अयोध्या आगमन व भूमि पूजन को लेकर चल रही अटकलों पर विराम लग सकता है।
500 साल बाद आई शुभ घड़ी, मोदी रखें पहली ईंट
राममंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्यगोपाल दास के उत्तराधिकारी महंत कमलनयन दास कहते हैं कि मोदी शीघ्र अयोध्या आकर राममंदिर निर्माण का शुभारंभ करें। मोदी व योगी के कर कमलों से ही राममंदिर की पहली ईंट रखी जानी चाहिए, क्योंकि मोदी व योगी के काल में ही यह शुभ अवसर आया है। संत समाज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अयोध्या आगमन पर उनके स्वागत को तैयार है।
श्रीरामबल्लभाकुंज के अधिकारी राजकुमार दास कहते हैं कि रामनगरी का वर्षों का इंतजार अब खत्म होने को है। हमारे आराध्य अब शीघ्र ही दिव्य भव्य मंदिर में विराजेंगे। हम सभी चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मोदी अयोध्या आकर राममंदिर निर्माण कार्य का शुभारंभ करें, तो रामनगरी का गौरव और भी बढ़ेगा। राममंदिर निर्माण कार्य का शुभारंभ ऐसा होना चाहिए जिसका संदेश पूरे विश्व को जाए।
बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे इकबाल अंसारी कहते हैं कि अयोध्या में अब अतिशीघ्र राममंदिर बनना चाहिए। मोदी व योगी के शासन में ही यह ऐतिहासिक क्षण आया है जब अयोध्या में राममंदिर निर्माण का शुभारंभ होना चाहिए। संत समाज के साथ-साथ हम भी चाहते हैं कि मोदी व योगी ही राममंदिर निर्माण के लिए पहली ईंट रखें। इन दोनों के शासन में अयोध्या को हर दिशा में एक नया आयाम प्राप्त हुआ है।
‘राम मंदिर मुद्दे पर विहिप ने क्यों नहीं की धर्म संसद’
हिंदू संगठनों द्वारा अयोध्या में विशालतम राममंदिर निर्माण के लिए चलाए जा रहे हस्ताक्षर अभियान को व्यापक समर्थन मिल रहा है। शुक्रवार को निर्वाणी अनी अखाड़ा के श्रीमहंत धर्मदास ने भी हस्ताक्ष कर अभियान को समर्थन दिया और कहा कि संपूर्ण अधिग्रहीत परिसर पर विश्व का सबसे विशालतम राम मंदिर बनाया जाना चाहिए। मंदिर प्रभु राम की मर्यादा के अनुसार बने। राम मंदिर कोई बार-बार बनने की वस्तु नहीं है जब राम मंदिर एक बार ही बनना है तो क्यों न वह विशालतम, भव्यतम, दिव्यतम हो।
उन्होंने कहा कि विश्व हिंदू परिषद को जब संतों की आवश्यकता थी तो उन्होंने उनका इस्तेमाल किया और जब संतों के सम्मान की बात आई तो उन्हें ट्रस्ट से दूर कर दिया गया। बात-बात में संतों की धर्म संसद करने वाली विश्व हिंदू परिषद ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद राम मंदिर मुद्दा और ट्रस्ट बनाने के लिए धर्म संसद का आयोजन क्यों नहीं किया। महंत धर्मदास कहते हैं कि उनके गुरु महंत अभिराम दास ने अपना संपूर्ण जीवन राम जन्मभूमि मुक्ति को कराने के लिए समर्पित कर दिया था। उनकी भी यह अंतिम इच्छा थी कि मंदिर जब भी बने विश्व का विशालतम और भव्यतम मंदिर का निर्माण हो। उनकी अंतिम इच्छा के लिए मैं जीवन भर लड़ाई लड़ता रहूंगा। बाबरी विध्वंस के आरोपी एवं धर्म सेना राष्ट्रीय प्रमुख संतोष दुबे भी इसे इस मुद्दे के लिए अंतिम क्षणों तक लड़ाई लड़ने की बात करते हैं।
नृपेंद्र मिश्रा से मुलाकात करेगा प्रतिनिधि मंडल
हिंदू महासभा के राष्ट्रीय प्रवक्ता अधिवक्ता मनीष पांडेय कहते हैं कि ट्रस्ट के कुछ सदस्यों के अड़ियल रवैया के कारण विश्व का विशालतम राम मंदिर बनने में कठिनाई उत्पन्न हो रही है, सोमपुरा के पुत्र आशीष सोमपुरा की बातों पर ट्रस्ट गंभीर नहीं है। बताया कि अयोध्या में पधारे राममंदिर निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र को चल रहे आंदोलन से न सिर्फ अवगत कराया जाएगा बल्कि हस्ताक्षरित पर पत्रों को उन के माध्यम से प्रधानमंत्री तक पहुंचाने की बात भी की जाएगी। इस संबंध में 5 सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल उनसे मुलाकात कर एक ज्ञापन देगा