अगर बच्चे पर गुलदार ने किया हमला, तो इसके लिए डीएफओ होंगे जिम्मेदार
उत्तराखंड में गहराते मानव-वन्यजीव संघर्ष और इसमें भी गुलदार के बढ़ते हमलों ने सरकार की चिंता बढ़ा दी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में सोमवार को सचिवालय में हुई वन विभाग की समीक्षा बैठक में भी यह चिंता झलकी।
मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि गुलदार और अन्य वन्यजीवों के हमलों से मानव सुरक्षा के लिए विभिन्न विभागों के समन्वय से टास्क फोर्स गठित की जाए। उन्होंने कहा कि यदि किसी क्षेत्र में किसी बच्चे पर गुलदार हमला करता है तो इसके लिए संबंधित क्षेत्र के वनाधिकारी और डीएफओ की जिम्मेदारी तय की जाए।
प्रदेश में मानव-वन्यजीव संघर्ष चिंताजनक स्थिति में पहुंच चुका है।
आए दिन बाघ, गुलदार, हाथी व भालू के हमलों की घटनाएं सुर्खियां बन रही हैं। इन हमलों में लगभग 80 प्रतिशत गुलदारों के हैं। ऐसे में पहाड़ से लेकर मैदान तक सभी जगह गुलदारों का भय व्याप्त है। वन विभाग की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री धामी ने गुलदार के हमलों की दृष्टि से संवेदनशील क्षेत्र चिह्नीत कर समस्या के समाधान को एक्शन प्लान बनाने के निर्देश दिए।
वन्यजीवों से फसल क्षति का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसकी रोकथाम को प्रभावी कार्ययोजना बनाई जाए। मुख्यमंत्री ने वन क्षेत्रों में अवैध कटान और खनन पर सख्त कार्रवाई के लिए भी अधिकारियों को निर्देशित किया।
जनसहभागिता पर दें ध्यान
जंगल की आग का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री ने इसकी रोकथाम के लिए प्रभावी प्रयासों पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वनों के संरक्षण और जंगल की आग की रोकथाम के लिए वन विभाग को जन सहभागिता पर विशेष ध्यान देना चाहिए।
नवोन्मेषी प्रयासों पर जोर
मुख्यमंत्री ने वनों के संरक्षण, मानव-वन्यजीव संघर्ष की रोकथाम और भूस्खलन रोकने के मद्देनजर नवोन्मेषी प्रयासों पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि नवोन्मेष के लिए विभागीय अधिकारियों को लक्ष्य दिया जाना चाहिए। साथ ही अधिकारियों से कहा कि जो भी कार्य किए जा रहे हैं, वह धरातल पर दिखने चाहिए।
कमेटी के गठन का निर्णय
वन मंत्री सुबोध उनियाल के अनुसार बैठक में वन, लोनिवि व बीआरओ के अधिकारियों की एक कमेटी गठित करने का निर्णय भी लिया गया, जो भूस्खलन की रोकथाम को प्रभावी कार्ययोजना बनाएगी। इसके साथ ही वन पंचायतों को मनरेगा से जोड़ने पर भी बल दिया गया।