पूरे नौ दिन के होंगे चैत्र नवरात्र, दो अप्रैल की सुबह इतने बजे तक रहेगा घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

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इस साल तिथियों में कोई घट-बढ़ नहीं होने की वजह से चैत्र नवरात्र पूरे नौ दिन के होंगे। वहीं इस वर्ष मां दुर्गा का वाहन घोड़ा होगा। जबकि विदाई भैंसे पर होगी। उधर, नवरात्र को लेकर मां दुर्गा के भक्तों में उत्साह देखने को मिल रहा है।

मां दुर्गा के चैत्र नवरात्र दो अप्रैल से प्रारंभ हो रहे हैं। नौ अप्रैल को महाअष्टमी और दस अप्रैल को रामनवमी होगी। पंडित जगदीश प्रसाद पैन्यूली ने बताया कि दो अप्रैल को मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की आराधना के साथ नवरात्र प्रारंभ होंगे। इस साल तिथियां घट-बढ़ नहीं रही हैं। इसलिए नवरात्र पूरे नौ दिन के होंगे।

नव संवत 2079 (नल) नामक विक्रम संवत का होगा प्रारंभ

दो अप्रैल को सुबह ग्यारह बजे तक घट स्थापना के लिए शुभ मुहूर्त रहेगा। उन्होंने बताया कि नवरात्र के दौरान मां के भक्त घर में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें। इससे जहां भक्तों को शक्ति एवं ऊर्जा मिलेगी, वहीं भय एवं कष्ट दूर होंगे। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की परिसर स्थित श्री सरस्वती मंदिर के आचार्य राकेश कुमार शुक्ल ने बताया कि दो अप्रैल शनिवार से ही नव संवत 2079 (नल) नामक विक्रम संवत का प्रारंभ होगा।

इस संवत (वर्ष) के राजा शनि और मंत्री गुरु (बृहस्पति) होंगे। बताया कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को विक्रम संवत तथा हिंदी नववर्ष प्रारंभ होता है। इस तिथि से हमारी सृष्टि का प्रारंभ माना जाता है। इसे युगादि तिथि भी कहा जाता है।

दो कुंतल फूलों से सजेगा सिद्धपीठ ज्वालामुखी मंदिर

चैत्र नवरात्रि पर दो अप्रैल से नई टिहरी के सिद्धपीठ ज्वालामुखी में आयोजित होने वाले दस दिवसीय मेले की तैयारी जोरों पर है। इस अवसर पर सिद्धपीठ ज्वालामुखी मंदिर को करीब दो कुंतल फूलों से सजाया जाएगा।

समिति के पदाधिकारी व स्थानीय लोग इस आयोजन को भव्य बनाने में सहयोग कर रहे हैं। सभी तैयारियां पूरी हो गई है। मेले के शुभारंभ पर एक किमी की कलश यात्रा निकाली जाएगी जिसमें कई गांवों के श्रद्धालु शामिल होंगे।

दो अप्रैल से सिद्धपीठ ज्वालामुखी मंदिर में दस दिवसीय भव्य मेले का आयोजन होगा। कोविड के कारण दो बार यह मेला आयोजित नहीं हो पाया इसलिए इस बार मेले में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ उमड़ने की संभावना है।

मेले की शुरुआत पर सुबह माता के तिसरियाड़ा गांव स्थित पुराने मंदिर में मूर्ति को स्नान करवाकर पूजा-अर्चना की जाएगी इसके बाद यहां से माता की मूर्ति कलश यात्रा के साथ सिद्धपीठ देवढुंग ज्वालामुखी मंदिर में पहुंचेगी जहां माता की मूर्ति को मंदिर में विराजमान किया जाएगा। इस अवसर पर मंदिर को सजाने के लिए दो कुंतल फूल मंगाए गए हैं।

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