जिनका नाम सुनते ही थर-थर कांपते थे आतंकी, ASI बाबू राम को मिला मरणोपरांत अशोक चक्र

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73वें गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आतंकियों से लोहा लेते हुए शहीद हुए जम्मू-कश्मीर पुलिस के एएसआई बाबू राम को मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया। राष्ट्रपति ने शहीद एएसआई बाबू राम की पत्नी रीना रानी और उनके बेटे माणिक को पुरस्कार दिया। बता दें कि, एएसआई बाबू राम ने 29 अगस्त, 2020 को श्रीनगर में एक ऑपरेशन के दौरान तीन आतंकवादियों को मार गिराया था। इस आतंकी हमले में एएसआई बाबू राम शहीद हो गए थे।

जानकारी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में तैनात एएसआई बाबू राम आतंकवाद रोधी समूह में अपनी सेवा के दौरान 14 मुठभेड़ का हिस्सा रहे थे, जिनमें 28 आतंकवादियों को मार गिराया गया। 29 अगस्त 2020 को वह ऐसे ही एक एनकाउंटर के दौरान आतंकियों से लोहा लेते हुए शहादत को प्राप्त हुए थे। श्रीनगर का प्रवेश द्वार पंथा चौक पर एएसआई बाबू राम अपनी टीम के साथ हाइवे से गुजरने वालों और वाहनों पर नजर रखे हुए थे। इसी बीच एक स्कूटी पर सवार तीन आतंकी आए और वहां सड़क किनारे भीड़ में खड़े सीआरपीएफ के एक जवान पर अचानक हमला कर दिया। आतंकी उस जवान से हथियार भी छीनने लगे। हालांकि, इलाका भीड़भाड़ा वाला होने के कारण एएसआई बाबू राम की टीम आतंकियों को निशाना नहीं बना पाई।

इसी दौरान आतंकी फायरिंग करते हुए पास में स्थित एक घर में छिप गए। इसके बाद एएसआई बाबू राम ने अपने साथियों के साथ आतंकियों का पीछा किया। उन्होंने उस मकान को घेर लिया, और वहां मौजूद लोगों को बाहर निकाला, इसके बाद बाबूराम ने अपनी टीम के साथ आतंकियों पर जवाबी कार्यवाही शुरु की। इस दौरान बाबू राम का सामना लश्कर के कमांडर शाकिब बशीर से हुआ, उन्होंने आतंकी को मौत के घाट उतार दिया। इस मुठभेड़ के दौरान एएसआई बाबू राम को भी गोली लग गई, जिसके बाद उन्हें अस्पताल ले जाया गया। जहां उन्होंने अंतिम सास ली। इस एनकाउंटर में तीनों आतंकी साकिब बशीर और उसके दो साथी उमर तारिक और जुबैर अहमद शेख मारे गए। तीनों आतंकी पंपोर के द्रंगबल के रहने वाले थे। साकिब साल 2018 से आतंकी गतिविधि में सक्रिय था।
आपको बता दें कि, एएसआई बाबू राम पुंछ जिले के मेंढर के रहने वाले थे, वे बचपन से ही पुलिस या सेना में भर्ती होना चाहते थे। 1999 में बाबू राम कॉन्टेबल के पद पर जम्मू-कश्मीर पुलिस में भर्ती हुए थे। उनकी काबलियत को देखते हुए कुछ ही साल में उन्हें आतंकवादी रोधी दस्ते में शामिल कर लिया गया था। गणतंत्र दिवस के अवसर पर राष्ट्रपति ने उन्हें उनकी वीरता के लिए मरणोपरांत अशोक चक्र से सम्मानित किया है।

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