कालाधन के खिलाफ लड़ाई में बड़ी सफलता, पहली बार भारतीयों की रियल इस्टेट संपत्तियों की भी जानकारी देगा स्विट्जरलैंड

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स्विट्जरलैंड के साथ आटोमैटिक एक्सचेंज आफ इन्फारमेशन पैक्ट (एईओआइ) के तहत भारत को इस महीने अपने नागरिकों के स्विस बैंक खातों के विवरण का तीसरा सेट प्राप्त होगा। पहली बार इसमें भारतीयों की वहां रियल इस्टेट संपत्तियों के भी आंकड़े होंगे। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।

इसी माह मिलने वाले ब्योरे में इन संपत्तियों से हुई कमाई का भी होगा उल्लेख

भारतीयों के कथित रूप से विदेश में जमा कालेधन के खिलाफ भारत सरकार की लड़ाई में इस कदम को मील का पत्थर माना जा रहा है। इसके तहत भारत को इस महीने स्विटजरलैंड में भारतीयों के फ्लैट, अपार्टमेंट और संयुक्त स्वामित्व वाली रियल इस्टेट संपत्तियों की भी पूरी जानकारी प्राप्त होगी। साथ ही इसमें इन संपत्तियों से हुई कमाई का भी उल्लेख होगा ताकि इनसे जुड़ी कर देयता की जांच में मदद मिल सके।

गैर-लाभकारी संगठनों में योगदान और डिजिटल करेंसी में निवेश नहीं देगा जानकारी

अधिकारियों ने बताया कि स्विस सरकार रियल इस्टेट संपत्तियों का ब्योरा साझा करने के लिए तो तैयार हो गई है, लेकिन गैर-लाभकारी संगठनों व ऐसे अन्य फाउंडेशन में योगदान और डिजिटल करेंसी में निवेश के बारे में जानकारी अभी भी नहीं देगी। बताते चलें कि ऐसा तीसरी बार होगा जब सरकार को स्विटजरलैंड में भारतीयों के बैंक खातों और अन्य वित्तीय संपत्तियों का ब्योरा हासिल होगा।

एईओआइ के तहत भारत को सितंबर, 2019 में इस तरह का पहला सेट प्राप्त हुआ था। उस साल वह इस तरह की जानकारियां पाने वाले 75 देशों में शुमार था।सितंबर, 2020 में भारत को अपने नागरिकों और कंपनियों के बैंक खातों के विवरण का दूसरा सेट प्राप्त हुआ था। तब स्विटजरलैंड के फेडरल टैक्स एडमिनिस्ट्रेशन (एफटीए) ने 85 अन्य देशों के साथ भी एईओआइ पर वैश्विक मानकों के दायरे में इस तरह की जानकारियां साझा की थीं।

इस साल से स्विटजरलैंड के शीर्ष प्रशासनिक निकाय फेडरल काउंसिल ने ग्लोबल फोरम आन ट्रांसपेरेंसी एंड एक्सचेंज आफ इन्फारमेशन फार टैक्स पर्पसेज की प्रमुख सिफारिशों पर अमल का फैसला किया है। इसी के तहत रियल इस्टेट सेक्टर में विदेशियों के निवेश का ब्योरा साझा किया जाएगा। खास बात यह है कि इन सिफारिशों में डिजिटल करेंसी में निवेश और गैर-लाभकारी संगठनों व फाउंडेशन में योगदान की जानकारियां भी शामिल हैं। वैश्विक स्तर पर स्विटजरलैंड पर इन जानकारियों को भी साझा करने का दबाव बनाया जा रहा है।

मालूम हो कि पिछले दो सेट में स्विस सरकार ने हर बार करीब 30 लाख खातों का विवरण साझा किया और इस साल यह संख्या और अधिक होने की संभावना है।अधिकारियों ने बताया कि कर चोरी समेत वित्तीय गड़बडि़यों की जांच के सिलसिले में प्रशासनिक सहायता के आग्रहों पर स्विस अधिकारी इस साल पहले ही 100 से अधिक भारतीय नागरिकों और कंपनियों के बारे में जानकारियां साझा कर चुके हैं।

ये आंकड़े पिछले कुछ वर्षो की संख्या के बराबर हैं। ये मामले ज्यादातर 2018 से पहले बंद हो चुके पुराने खातों से जुड़े हैं। स्विटजरलैंड ने ये आंकड़े पूर्व के प्रशासनिक सहयोग ढांचे के तहत साझा किए हैं। दरअसल, एईओआइ सिर्फ उन्हीं खातों पर प्रभावी है जो अभी सक्रिय हैं या 2018 के दौरान बंद हुए थे।

 

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