भूमि पर दंगल: 2022 में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले नए भू-कानून को लेकर उत्तराखंड में तेज हुई सियासत

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Uttarakhand Politics 2022 में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले प्रदेश में नए भू-कानून को लेकर सियासत तेज हो गई है। भूमि खरीद के लिए कानून में किए गए बंदोबस्त को राज्यवासियों के हितों पर चोट करार देते हुए विपक्षी दलों ने सरकार और सत्तारूढ़ दल भाजपा को घेरने की कोशिश तेज कर दी हैं। इंटरनेट मीडिया पर बाकायदा मुहिम चलने के बाद अब इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाने की कसरत की जा रही है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस ने भी इस मुद्दे को लपककर नया मोर्चा खोल दिया है। वहीं प्रदेश भाजपा इस मुद्दे पर विपक्ष को खेलने का मौका नहीं देना चाहती। सत्तारूढ़ पार्टी ने भूमि कानून में संशोधन पर विचार करने की जरूरत पर जोर देकर जवाबी रणनीति आगे कर दी है।

अब नगर निकाय क्षेत्रों में शामिल किए गए ग्रामीण क्षेत्रों में जमीन की खरीद-फरोख्त का रास्ता साफ हो गया है। शहरी निकाय क्षेत्रों में भूमि खरीद के लिए अनुमति लेने की जरूरत नहीं रह गई है। वहीं पर्वतीय क्षेत्रों में भी भूमि खरीद की सीमा को विस्तारित किया जा चुका है। सरकार ने भू-कानून में छूट देने का यह कदम राज्य में पूंजी निवेश को ज्यादा से ज्यादा आमंत्रित करने का हवाला देते हुए उठाया है। नए कानून का दुरुपयोग रोकने को सख्त प्रविधान नहीं होने को ही अब विरोध का आधार बनाया जा रहा है।

सरकार के खिलाफ आवाज को हवा देने में जुटे विपक्षी दल 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में विपक्षी दलों ने नए भूमि कानून के खिलाफ विरोध की इस आवाज को हवा देनी शुरू कर दी गई है। केदारनाथ से कांग्रेस विधायक मनोज रावत ने विधानसभा के भीतर भी उत्तराखंड में लागू उत्तर प्रदेश जमींदारी उन्मूलन एवं भूमि सुधार अधिनियम, 1950 में संशोधन कर धारा-143 (क) और धारा-154(2) जोड़े जाने की मुखालफत की थी। अब इंटरनेट मीडिया पर इस मुहिम को बल मिलने के बाद कांग्रेस के दिग्गज नेता भी इसे तूल देने में जुट गए हैं। कांग्रेस ने ये संकेत दे दिए हैं कि वह इस मुद्दे को भुनाने में पीछे नहीं रहने वाली है।

विरोध की आवाज प्रचंड बहुमत की सरकार ने नहीं सुनी: प्रीतम

तमाम संगठन ने राज्य में भूमि के नए नियमों का विरोध तेज कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रीतम सिंह के साथ ही उत्तराखंड के एक दिनी दौरे पर आए राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी भू-कानून के खिलाफ उठ रही आवाज को समर्थन देने में देर नहीं लगाई। प्रीतम सिंह का कहना है कि सरकार ने जन भावनाओं की पूरी तरह अनदेखी कर यह कानून बनाया है। कांग्रेस ने विधानसभा में इसका विरोध किया था, लेकिन प्रचंड बहुमत की भाजपा सरकार ने कान तक नहीं धरे।

भू-कानून में बदलाव तकलीफदेह, कांग्रेस के एजेंडे में रहेंगे: हरीश

पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने कहा कि भू-कानून में बदलाव तकलीफदेह हैं। लीज पर भूमि देने को बारीकी से परीक्षण करने वाले राज्य में भूमि अधिनियम में बड़ा परिवर्तन कर भूमि की खरीद के लिए पूरा दरवाजा खोल दिया गया है।

इंटरनेट मीडिया पर इस मामले को लेकर चल रही बहस से उत्साहित हरीश रावत ने कहा कि हिमाचल के एक्ट में सुधार करते हुए अपनी आवश्यकता के अनुरूप कुछ समावेश कर भूमि सुधार के प्रश्न को आगे बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि यह मुद्दा कांग्रेस के एजेंडे में रहे, इसे वह सुनिश्चित करेंगे। अन्य राजनीतिक दलों को भी इस बारे में बातचीत करनी चाहिए।

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