कोरोना की फर्जी जांच रिपोर्ट पर स्वास्थ्य विभाग चुप, दूसरे राज्यों से Fake Report के साथ उत्तराखंड पहुंच रहे लोग

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उत्तराखंड में दूसरे राज्यों से आने वाले व्यक्तियों या पर्यटकों को कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट के साथ ही प्रवेश ही अनुमति है। सरकारी मशीनरी का यह प्रयास अन्य राज्यों के मुकाबले सराहनीय है। मगर, इसका दूसरा पहलू न सिर्फ शिथिल है, बल्कि नियमों की औपचारिकता पूरी करने वाला दिख रहा है, क्योंकि जो व्यक्ति कोरोना की फर्जी निगेटिव रिपोर्ट लेकर दाखिल हो रहे हैं, उन पर कार्रवाई करने से स्वास्थ्य विभाग बच रहा है।

दून में ही रोजाना करीब 50 व्यक्ति कोरोना की फर्जी निगेटिव रिपोर्ट के साथ पकड़े जा रहे हैं। यह आंकड़ा महज आशारोड़ी चेकपोस्ट का है। फर्जी रिपोर्ट के साथ दून की सीमा में प्रवेश कर रहे व्यक्तियों पर कानूनी कार्रवाई करने की जगह स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी सिर्फ उनकी कोरोना जांच करा रहे हैं। चेकपोस्ट पर तैनात चिकित्सकों व अन्य कार्मिकों की टीम सिर्फ कोरोना जांच तक सीमित है, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग के आला अधिकारियों की तरफ से कानूनी कार्रवाई के निर्देश उन्हें दिए ही नहीं गए हैं।

अब तक फर्जी रिपोर्ट पर जो गिने-चुने मुकदमे दर्ज भी किए गए हैं, वह पुलिस ने अपने स्तर पर किए हैं। यदि स्वास्थ्य विभाग ऐसी रिपोर्ट की शिकायत पुलिस से करे तो सख्त कार्रवाई की संख्या बढ़ सकती है। जब कोरोना की तीसरी लहर की आशंका निरंतर गहरा रही है, तब स्वास्थ्य विभाग का इस तरह तरह का नर्म रवैया ठीक नहीं है। बेशक पर्यटकों के प्रति नरम रुख होना भी चाहिए, मगर जब समाज की सुरक्षा का सवाल हो, तब सख्त कदम उठाने से परहेज नहीं करना चाहिए।

कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच के बीच दूसरी लहर का संक्रमण मंद पड़ रहा है और यही कारण है कि पर्यटक अब नियमों को लेकर गंभीर नहीं दिख रहे। ऐसे संवेदनशील समय में सरकारी मशीनरी को अधिक गंभीरता के साथ काम करना होगा। अन्यथा दूसरी लहर की रोकथाम के लिए अब तक जो अथक प्रयास किए गए हैं, उन सब पर पानी फिर सकता है। वैसे भी विशेषज्ञ संभावित तीसरी लहर को अधिक घातक मान रहे हैं और दूसरी लहर का खराब अनुभव हमारे सामने आ चुका है।

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