जानिए, कैसे होता है कोरोना के वैरिएंट का नामकरण; भारत में हैं कई खतरनाक वायरस

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हम प्रतिदिन किसी ना किसी नए कोरोना वैरिएंट का नाम सुनते हैं, जिससे ना केवल आम लोग बल्कि स्वास्थ्य अधिकारियों में भी चिंता बढ़ जाती है। वैरिएंट के नामों को लेकर भी लोगों के मन में बहुत से प्रश्न उठते हैं। खास बात यह है कि वैरिएंट का नामकरण ग्रीक भाषा के अक्षरों पर किया जाता है। आइए जानते हैं कि अब तक कितने वैरिएंट का नामकरण हो चुका है।

ऐसे वैरिएंट जिनसे बहुत डरने की जरूरत नहीं है

एप्सिलोन: कैलिफोर्निया में सबसे पहले मिला

जीटा: रियो डे जेनेरियो में मिला

थीटा: फिलीपींस में मिला

इन वैरिएंट पर है निगरानी की जरूरत, विभिन्न देशों में मिल चुके हैं मरीज

ईटा: पहला मामला यूके में सामने आया, बाद में नाइजीरिया में भी मरीज मिले।

आयोटा: पहले न्यूर्याक में इसके मामले तेजी से आ रहे थे। हालांकि, अब अल्फा के मामले ज्यादा हो गए हैं।

कप्पा: इसको डेल्टा का छोटा भाई भी कहते हैं, क्योंकि दोनों ही बी.1.617 उपवंश के ही हैं। यूपी में इस वैरिएंट के दो मामले हाल ही में सामने आए हैं।

लेम्डा: दिसंबर 2020 में पेरू में सबसे पहले इससे ग्रस्त मरीजों का पता चला था। बाद में अप्रैल-मई में 80 फीसद मामले वहां इसी वैरिएंट के थे। अब तक 29 देशों में ये वैरिएंट फैल चुका है। भारत में अभी तक इसका

सबसे ज्यादा खतरनाक वैरिएंट

अल्‍फा बी.1.1.7 – ये सबसे पहले यूके में सितंबर 2020 में मिला था। ये वैरिएंट अब तक 173 देशों में फैल चुका है। ये महिला मरीजों के लिए ज्यादा घातक है।

बीटा 1.351 – ये अगस्त 2020 में दक्षिण अफ्रीका में सबसे पहले मिला था। अब तक 122 देशों में इसके मामले सामने आ चुके हैं।

गामा पी.1 – दिसंबर 2020 में सबसे पहला मामला ब्राजील में सामने आया था। जिसके बाद बहुत तेजी से लोग बीमार हुए। 74 देशों में मरीज मिल चुके हैं।

डेल्‍टा बी.1.617.2 – ये वैरिएंट भारत में मिला था। ये अल्फा से 55 फीसद ज्यादा तेजी से फैलता है। इसका म्यूटेड सब वैरिएंट डेल्टा प्लस है।

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