चिकित्सकों और स्टाफ की सुस्ती से मरीज हलकान, निजी अस्पतालों में महंगे खर्च पर आपरेशन कराने को मजबूर

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कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में लगातार कमी आ रही है। ऐसे में ओपीडी, आइपीडी और अन्य स्वास्थ्य सुविधाएं पुन: बहाल कर दी गई हैं, लेकिन इसके बावजूद चिकित्सकों व स्टाफ की सुस्ती मुसीबत का सबब बनती जा रही है। अब दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय का ही उदाहरण ले लीजिए। यहां आपरेशन में तेजी नहीं आ पा रही है। इस मजबूरी में कई मरीज निजी अस्पतालों में महंगे खर्च पर आपरेशन करा रहे हैं।

दरअसल, शहर के प्रमुख सरकारी अस्पताल दून मेडिकल कालेज चिकित्सालय में रोजाना औसतन चार मरीजों के ही आपरेशन हो पा रहे हैं। इतना ही नहीं महिला विंग के कुछ मरीजों को भोजन तक नहीं मिल पा रहा है। इनके लिए अनुबंधित कैंटीन तक सूचना नहीं पहुंचाई जा रही है। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्री डा. धनसिंह रावत के भी अस्पताल का निरीक्षण किया था। पर तब भी चिकित्सक व स्टाफ के रवैए में सुधार नहीं दिखा। यहां तक की किसी चेतावनी का भी उन पर असर नहीं पड़ रहा है।

मंत्री के नरीक्षण में ड्यूटी से गायब मिले चिकित्सकों और अव्यवस्थाओं पर चिकित्सा अधीक्षक संबंधित विभागाध्यक्षों से जवाब तलब करने के अलावा चेतावनी भी दे चुके हैं। इसके अलावा प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना भी कई बार सख्त कार्रवाई की चेतावनी दे चुके हैं, बावजूद इसके स्थिति जस की तस बनी हुई है। चिकित्सा अधीक्षक डा. केसी पंत ने इस प्रवृत्ति को गंभीरता से लेने और सख्त कार्रवाई की बात कही है।

 

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