सिर्फ स्नातक में ही इसी सत्र से लागू होगा एक समान पाठ्यक्रम, दूसरे संकाय का विषय चुनने की आजादी

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उत्तर प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों में 70 फीसद न्यूनतम एक समान पाठ्यक्रम शैक्षिक सत्र 2021-22 से सिर्फ स्नातक त्रिवर्षीय कोर्स में ही लागू किया जाएगा। बीए, बीएससी व बीकाम त्रिवर्षीय कोर्स में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) भी लागू होगा। स्नातक आनर्स व पीजी कोर्सेज में अगले साल से एक समान पाठ्यक्रम व सीबीसीएस की व्यवस्था लागू की जाएगी।

उत्तर प्रदेश में अभी राज्य विश्वविद्यालयों व डिग्री कॉलेजों में अलग-अलग पाठ्यक्रम पढ़ाया जा रहा है। ऐसे में विद्यार्थियों को एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में ट्रांसफर होने में दिक्कत होती है। पाठ्यक्रम में समानता न होने के कारण अब तक कठिनाई आ रही थी, लेकिन अब ऐसा नहीं होगा।

बीए, बीएससी व बीकाम त्रिवर्षीय कोर्स में च्वाइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीसीएस) के तहत विद्यार्थियों को अपने संकाय के अलावा दूसरे संकाय का एक विषय पढ़ने का भी मौका मिलेगा। यानी कला वर्ग के विद्यार्थी विज्ञान के विषय और विज्ञान वर्ग के विद्यार्थी कामर्स के विषय पढ़ सकेंगे। विश्वविद्यालयों को निर्देश दिए गए हैं कि वह इसे 13 सितंबर से शुरू हो रहे नए शैक्षिक सत्र 2021-22 से इसे लागू करें।

दरअसल, अभी एक विश्वविद्यालय से दूसरे विश्वविद्यालय में विद्यार्थी के ट्रांसफर होने में पाठ्यक्रम एक समान न होने की अड़चन आती है। कम से कम 60 फीसद कोर्स एक समान होने पर ही संबंधित संकाय के डीन दाखिले पर मंजूरी दे सकते हैं। ऐसे में वे विद्यार्थी खासकर लड़कियां, जिनके पिता का तबादला दूसरे जिलों में हो जाता है, उन्हें कठिनाई होती है।

फिलहाल सभी विश्वविद्यालयों में 70 प्रतिशत एक समान पाठ्यक्रम पढ़ाया जाएगा और 30 फीसद कोर्स विश्वविद्यालय अपनी स्थानीय कला, संस्कृति व इतिहास को शामिल कर अपने स्तर पर तय कर सकते हैं। स्नातक में विभिन्न विषयों में एक समान पाठ्यक्रम तैयार करने के लिए विभिन्न विश्वविद्यालयों के विशेषज्ञों को जिम्मा सौंपा गया था कि वह इसे तैयार करें। स्नातक में कला, विज्ञान व वाणिज्य आदि विषयों को विश्वविद्यालयों को बांटा गया। लखनऊ विश्वविद्यालय को वनस्पति विज्ञान, प्राणि विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, गणित, मानवशास्त्र, कम्प्यूटर साइंस व भूगर्भ विज्ञान का जिम्मा दिया गया था।

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