नीलामी के लिए 70 फीसद से अधिक भारतीय कोयला खदानों के लिए कोई बोली नहीं

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कोयला खनन को निजी कंपनियों के लिए खोलने की भारत सरकार की योजना के तहत 67 कोयला खदानों में से 48 के लिए कोई बोली नहीं मिली है। जो निवेशकों की कम रुचि को दर्शाता है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल निजी क्षेत्र के लिए वित्तीय प्रोत्साहन की पेशकश की थी और आयात को कम करने व भारत को शुद्ध कोयला निर्यातक बनाने के लिए ईंधन के अंतिम उपयोग पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था।

भारत के पास दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयला भंडार है और यह दूसरा सबसे बड़ा कोयला उपभोक्ता, आयातक और उत्पादक है।

शुक्रवार को देर रात जारी एक बयान में कोयला मंत्रालय ने कहा कि 67 में से केवल 19 खानों के लिए बोलियां लगाई गई हैं। मंत्रालय ने कहा, ‘इनमें से चार खदानें कोकिंग कोल खदानें हैं और शेष 15 पंद्रह खदानें गैर-कोकिंग कोयला खदानें हैं।’

बयान के अनुसार, केवल आठ खादानों को एक से अधिक बोली प्राप्त हुई। पिछले साल आयोजित ईंधन के अंतिम उपयोग पर प्रतिबंध के बिना निजी क्षेत्र के लिए पहली कोयला खनन नीलामी में 38 खदानों में से लगभग आधे के लिए कोई बोली नहीं लगी थी। भारत में उत्पादन बड़े पैमाने पर राज्य द्वारा संचालित कोल इंडिया लिमिटेड और सरकार द्वारा नियंत्रित एक अन्य छोटी कंपनी तक ही सीमित है। जबकि कोयले का अभी भी भारत के बिजली उत्पादन का 70% से अधिक हिस्सा है, भारत ने एक नवीकरणीय नीति को आगे बढ़ाया है जिसमें 2030 तक हरित ऊर्जा क्षमता को चार गुना से अधिक बढ़ाने की परिकल्पना की गई है।

 

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