बच्चों को स्कूल बुलाने के पक्ष में उतरे शिक्षक, कहा-आनलाइन पढ़ाई नहीं कारगर
कोरोना संक्रमण काबू में आने के साथ ही स्कूलों में बच्चों को बुलाकर आफलाइन पढ़ाई करवाने की मांग उठना शुरू हो गई है। निजी स्कूलों के बाद अब सरकारी स्कूलों के शिक्षक भी बच्चों को स्कूल बुलाकर पढ़ाई करवाने की पैरवी कर रहे हैं। शिक्षकों का मत है कि आनलाइन पढ़ाई नियमित पढ़ाई जितनी कारगर साबित नहीं हो रही। पढ़ाई का नुकसान बचाने के लिए स्कूल में नियमित कक्षाएं चलना जरूरी है। प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के महामंत्री राजेंद्र बहुगुणा ने बुधवार को मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर स्कूल में आफलाइन पढ़ाई शुरू करवाने की मांग की।
बहुगुणा ने कहा कि पिछले डेढ़ सालों में कोरोना संक्रमण के चलते छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हो गई है। कई छात्र तो एक दिन भी आनलाइन पढ़ाई से नहीं जुड़ सके। अनुमान है कि ग्रामीण क्षेत्रों के 30 फीसद छात्र ही आनलाइन पढ़ाई से जुड़ सके हैं।
संसाधनों की कमी के चलते कई छात्र पढ़ाई छोड़ चुके हैं। बहुगुणा ने कहा कि विभाग ने जिला शिक्षा कार्यालय एवं प्रशिक्षण संस्थानों को विषयवार साप्ताहिक वर्कशीट करवाने का जिम्मा सौंपा गया है। जिसे डायट द्वारा आनलाइन ही भेजा जा रहा है। लेकिन इस व्यवस्था में बदलाव की जरूरत है। विभाग को यह वर्कशीट छपवा कर भेजनी चाहिए या इसके लिए बजट की व्यवस्था करनी चाहिए।
बीपीएड एमपीएड प्रशिक्षितों ने राज्य सरकार से नियुक्ति की मांग की है। प्रदेश अध्यक्ष जगदीश चंद्र पांडे ने कहा कि नियुक्ति का इंतजार करते- करते 5000 बीपीएड प्रशिक्षित उम्र की सीमा पार कर गए हैं। कहा कि युवा विधायक पुष्कर सिंह धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद उनकी उम्मीद जागी है। क्योंकि वह पूर्व में कई दफा बीपीएड प्रशिक्षितों के आंदोलन को समर्थन दे चुके हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर प्राथमिकता से बीपीएड एमपीएड प्रशिक्षितों की नियुक्ति करने की मांग की है।
शिक्षक संघ ने अनदेखी पर जताई नाराजगी
प्राथमिक शिक्षक संघ ने शिक्षा विभाग की ओर से संगठन की अनदेखी किए जाने पर नाराजगी जताई। बुधवार को संघ के प्रदेश अध्यक्ष दिग्विजय सिंह चौहान के नेतृत्व में शिक्षकों ने शिक्षा निदेशक से मुलाकात की। प्रदेश अध्यक्ष ने अपर निदेशक प्राथमिक शिक्षा वीएस रावत को ज्ञापन सौंपा। कहा कि संघ पहले ही नए निर्वाचन की प्रक्रिया शुरू कर चुका है। लेकिन नई कार्यकारिणी गठित होने तक वर्तमान कार्यकारिणी को प्राथमिक शिक्षा एवं शिक्षकों का प्रतिनिधित्व करने का अधिकार होना चाहिए। उन्होंने पूर्व में जारी पत्र निरस्त कर नए सिरे से पत्र जारी कर नए निर्वाचन तक वर्तमान कार्यकारिणी के हर पत्र पर कार्रवाई की मांग की। उधर, शिक्षा निदेशक को पत्र सौंपकर प्रदेश के मान्यता प्राप्त संगठनों की सूची जारी कर नए सिरे से संगठनों से वार्ता के नियमों का आदेश जारी करने की मांग की।
प्रयोगात्मक परीक्षा के लिए आफलाइन कक्षाएं खतरनाक : अग्रवाल
सेल्फ फाइनेंस इंस्टीट्यूशन आफ उत्तराखंड के अध्यक्ष डा. सुनील अग्रवाल ने कहा कि हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विवि ने संबद्ध कालेजों की छह जुलाई को हुई बैठक में स्पष्ट किया था कि अभी संस्थानों में छात्रों को नहीं बुलाया जा सकता है। केवल शिक्षक व गैर शिक्षक स्टाफ को ही आने की अनुमति है, लेकिन हरिद्वार व देहरादून में कुछ कालेज स्नातक व स्नातकोत्तर के छात्रों को प्रयोगात्मक परीक्षाओं के लिए कालेज बुला रहे हैं, जो चिंता का विषय है। उन्होंने कहा कि अभी कोरोना संक्रमण का खतरा समाप्त नहीं हुआ है। ऐसे में केंद्र व राज्य सरकार ने भी कालेज व विश्वविद्यालयों में छात्रों को बुलाने का कोई आदेश जारी नहीं किया है। ऐसे में कालेज व संस्थानों को प्रयोगात्मक परीक्षाएं आनलाइन मोड़ में ही आयोजित करनी चाहिए। आफालक्ष्न प्रयोगात्मक परीक्षाएं जोखिम भरा फैसला हो सकता है।
50 फीसद क्षमता के साथ खोले जाएं कालेज
विभिन्न कालेज के छात्रों की संयुक्त कमेटी ‘छात्र संघर्ष समिति’ ने बुधवार को जिलाधिकारी डा. आशीष कुमार श्रीवास्तव के माध्यम से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत को ज्ञापन प्रेषित किया। समिति ने प्रदेश के सभी महाविद्यालयों को पचास फीसद छात्र क्षमता के साथ खोलने की मांग की। समिति के पदाधिकारियों ने कहा कि पूरे प्रदेश में अनलाक की प्रक्रिया चल रही है। इसी को देखते हुए प्रदेश के सभी प्राइवेट संस्थानों को 50 फीसद क्षमता के साथ खोलने के निर्देश दिए गए हैं। सरकार शिक्षा की गुणवत्ता के लिए महाविद्यालयों को भी कोविड-19 की गाइडलाइन के साथ पुन: खोलने पर जल्द विचार करे।