पड़ोसी राज्य हिमाचल प्रदेश ने दूसरे राज्यों से आने वाले पर्यटकों के लिए कोविड निगेटिव जांच रिपोर्ट की शर्त हटा दी है। जिससे पर्यटक उत्तराखंड आने के बजाय हिमाचल जा रहे हैं। प्रदेश में चारधाम यात्रा बंद होने के साथ ही जांच की शर्त से पर्यटक उत्तराखंड नहीं आ रहे हैं। पर्यटन कारोबारियों ने सरकार से मांग की है कि हिमाचल की तर्ज पर पर्यटकों को छूट दी जाए। कोविड वैक्सीन की दो डोज लगाने वाले दूसरे राज्यों के लोगों को प्रदेश में आने की अनुमति दी जाए। इससे बंद पड़े पर्यटन उद्योग उभर सकेगा। उत्तराखंड में कोरोना: 24 घंटे में 264 नए संक्रमित मिले, सात की मौत, 345 मरीज हुए ठीक कोरोना महामारी के कारण प्रदेश में दो साल से चारधाम यात्रा बंद होने से पर्यटन उद्योग को भारी आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। कोविड संक्रमण कम होने से हिमाचल में बाहरी राज्यों से आने वाले पर्यटकों के लिए आरटीपीसीआर कोविड निगेटिव रिपोर्ट हटाने से वहां दिल्ली, पंजाब, हरियाणा समेत अन्य राज्यों के पर्यटक जाने शुरू हो गए हैं। इधर, उत्तराखंड के पर्यटन कारोबारी पर्यटकों के आने का इंतजार कर रहे हैं। चारधामों में कोविड संक्रमण से सुरक्षा व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम करने के लिए हाईकोर्ट ने पर्यटन सचिव को फटकार लगाई है। जिससे सरकार को फिर से पूरी तैयारी के साथ हाईकोर्ट समक्ष कार्य योजना प्रस्तुत करनी होगी। जिससे चारधाम यात्रा शुरू होने में अभी समय लग सकता है। अनलॉक पर 21 जून को होगा निर्णय उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण के मामलों में आ रही कमी को देखते हुए प्रदेश सरकार 22 जून से अनलॉक घोषित कर सकती है। संभावना जताई जा रही है कि सरकार होटल-रेस्टोरेंट के साथ ही बाहरी राज्यों से आने वाले लोगों को भी रियायत दे सकती है। मुख्य सचिव ओम प्रकाश का कहना है कि इन तमाम पहलुओं पर 21 जून को विचार होगा। शासकीय प्रवक्ता सुबोध उनियाल के मुताबिक, सरकार को भी पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों की चिंता है। कोरोना की स्थिति को देखते हुए सरकार निर्णय लेगी। होटल रेस्टोरेंट खोले सरकार पर्यटन कारोबारियों का कहना है कि सरकार होटल और रेस्टोरेंट को खोलने की अनुमति दे। दुकानों को पूरी तरह से खोलने की छूट मिले। बाजार बंद रहेंगे तो पर्यटकों को परेशानी झेलनी होगी। वैक्सीन की दो डोज वालों को मिले इजाजत पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों का कहना है कि सरकार को उन लोगों को भी राज्य में आने की अनुमति दे जिन्होंने कोरोना की रोकथाम के लिए वैक्सीन की दोनों डोज ले ली है। चारधाम यात्रा को संचालित करने के लिए मुख्यमंत्री के अनुमोदन पर एसओपी जारी होनी है। चारधाम यात्रा को लेकर संबंधित जिलों के डीएम के साथ बैठक कर ली गई। हिमाचल में चारधाम यात्रा नहीं है। कोरोना की स्थिति और चारधामों में संक्रमण की रोकथाम, यात्रियों के ठहरने व खाने की व्यवस्था करने के बाद ही यात्रा शुरू करने का निर्णय लिया जाएगा। – सतपाल महाराज, पर्यटन मंत्री सरकार को दुकानें खोलने के साथ ही कोविड वैक्सीन लगाने वालों को प्रदेश में आने की अनुमति देनी चाहिए। पर्यटन कारोबारियों की ओर से सरकार से अनुरोध किया गया है। बाजार बंद रहने से बाहर से पर्यटक नहीं आए। कई पर्यटक जांच करा कर आ रहे हैं तो दुकानें बंद होने से परेशान है। – संदीप साहनी, अध्यक्ष उत्तराखंड होटल एसोसिएशन
दुनियाभर में कोरोना वायरस आज भी हजारों जानें ले रहा है। पहली लहर में लाखों जानें गई इसके बाद दूसरी। किसी-किसी देश में तो तीसरी लहर भी आकर जा चुकी है। वहीं एक रिपोर्ट के अनुसार कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 40 लाख के पार पहुंच गया है।
हालांकि कई देश अपने नागरिकों को बचाने के लिए वैक्सीन लगा रहे हैं लेकिन तेजी से स्वरूप बदल रहा कोरोना वायरस चिंता का सबब बना हुआ है। एल्फा से लेकर सबसे खतरनाक कोरोना वैरियंट डेल्टा अभी भी लोगों को अपना शिकार बना रहा है।
खबरों के मुताबिक, कोरोना वायरस से मौतों को 20 लाख तक पहुंचने में एक साल का समय लगा, जबकि अगले 20 लाख तक पहुंचने में केवल 166 दिनों का समय दर्ज किया गया।
दुनिया में अगर कुल मौतों की बात की जाए तो शीर्ष पांच देश संयुक्त राज्य अमेरिका, ब्राजील, भारत, रूस और मैक्सिको में दुनिया की 50 फीसदी मौतें हुईं। जबकि पेरू, हंगरी, बोस्निया, चेक गणराज्य और जिब्राल्टर में मृत्यु दर सबसे अधिक है।
कई देशों में युवा काफी प्रभावित
बोलिविया, चिली और उरुग्वे के अस्पतालों में बड़े पैमाने पर 25 से 40 वर्ष के बीच के कोरोना रोगियों को देखा जा रहा है। क्योंकि पहली लहर के बाद दूसरी लहरों में युवा काफी संक्रमित पाए गए। वहीं ब्राजील के साओ पाउलो में आईसीयू में रहने वालों में से 80 फीसदी कोरोना मरीज हैं।
कब्रों की कमी
बढ़ती मौतों से विकासशील देशों में श्मशान में लाशों दफनाने के लिए कब्रों की कमी देखी गई। भारत और ब्राजील ऐसे देश हैं जो सात दिनों के औसत पर हर दिन सबसे अधिक मौतों की रिपोर्ट कर रहे हैं और अभी भी दाह संस्कार और दफन स्थान की कमी से परेशान हैं। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने पिछले महीने आधिकारिक तौर पर मरने वालों की संख्या को विश्व स्तर पर कम करके आंका है।