चीन गतिरोध: सेना प्रमुख नरवणे ने कहा- सैन्य आधुनिकीकरण के लिए फंड की कमी नहीं

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भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने उन आशंकाओं को खारिज कर दिया है, जिनमें चीन के साथ पूर्वी लद्दाख में जारी गतिरोध के चलते वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर अधिक संसाधन खर्च करने की जरूरत जताई गई थी और इसके चलते सेना के लिए नए हथियार आदि खरीदने के लिए धन की कमी होने की आशंका जताई गई थी।

सेना प्रमुख ने रविवार को कहा कि भारतीय सेना का आधुनिकीकरण सही तरीके से चल रहा है। अपनी बात को स्पष्ट करते हुए जनरल नरवणे ने कहा कि पिछले वित्त वर्ष से अब तक करीब 21 हजार करोड़ रुपये के 59 सौदे हो चुके हैं, जबकि हथियार व अन्य सैन्य प्रणालियों की खरीद के बहुत सारे प्रस्ताव पाइपलाइन में हैं।

उन्होंने कहा, सेना में आधुनिकीकरण अभियान बिना किसी परेशानी के चल रहा है और सरकार की तरफ से आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि बहुत सारे खरीद प्रस्ताव फिलहाल प्रक्रिया के तहत आगे बढ़ रहे हैं।

ऐसे चल रहा सैन्य बलों का आधुनिकीकरण
16000 करोड़ रुपये के 15 खरीद अनुबंध सामान्य खरीद योजना के तहत हुए
5000 करोड़ के 44 खरीद अनुबंध 2020-21 में आपातकालीन खरीद के तहत
4.78 लाख करोड़ रुपये आवंटित किए हैं सरकार ने 2021-22 के रक्षा बजट में
1.35 लाख करोड़ रुपये हैं बजट में से नए हथियार, विमान, पोत खरीदने के लिए
18 फीसदी बढ़ोतरी है हथियार खरीदने के लिए पिछले साल के 13,13,734 करोड़ में
कुछ देश क्वाड समूह को सैन्य गठबंधन बताकर निराधार डर फैला रहे: सेना प्रमुख
सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे ने रविवार को बिना नाम लिए चीन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि कुछ देश क्वाड समूह को क्वाड समूह को एक सैन्य गठबंधन के तौर पर पेश करते रहते हैं। अपने दावे के पक्ष में ठोस सबूत नहीं होने के बावजूद ये देश एक निराधार डर को बढ़ाने का काम कर रहे हैं।

जनरल नरवणे ने क्वाड के सैन्य गठबंधन बनने की कोई मंशा नहीं होने पर भी जोर दिया और कहा कि यह एक ऐसा बहुपक्षीय समूह है, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र से जुड़े मुद्दों से जुड़ा है। उन्होंने मार्च में आयोजित की गई पहले क्वाड शिखर सम्मेलन का भी हवाला दिया, जिसमें मौजूदा चुनौतियों से निपटने के लिए आपसी सहयोग मजबूत करने की बात की गई थी।

यह सहयोग महज सैन्य व रक्षा क्षेत्र तक ही सीमित नहीं था, बल्कि इसमें हिंद-प्रशांत के सामने आ रही सभी सुरक्षा चुनौतियों पर बात की गई थी। उन्होंने कहा, क्वाड स्वतंत्र और खुले हिंद-प्रशांत क्षेत्र में यकीन करता है और कई सहायक मुद्दे इसके संचालन का आधार हैं, जिनमें स्वास्थ्य व कोविड-19 का आर्थिक प्रभाव, जलवायु परिवर्तन, साइबर दुनिया, ढांचागत विकास, आतंक से लड़ाई, मानवीय सहायता व आपदा राहत शामिल हैं।

नाटो जैसा गठबंधन क्यों नहीं है क्वाड
जनरल नरवणे ने अपने उस हालिया बयान को भी स्पष्ट किया की क्वाड क्यों नाटो जैसा गठबंधन नहीं बनेगा। उन्होंने कहा, नाटो का गठन एक सैन्य गठबंधन के तौर पर हुआ था, जो ध्रुवीय टकराव वाली विश्व व्यवस्था पर टिका था। यह व्यवस्था दूसरे विश्व युद्ध के अंत से सोवियत संघ के विघटन के बीच के दौर में बनी हुई थी। क्वाड का मकसद सैन्य गठबंधन बनना नहीं है।

बता दें कि 2007 में गठित क्वाड समूह में भारत के साथ अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया भी शामिल हैं, जो हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती आक्रामकता पर वैश्विक चिंताओं के बीच गठित किया गया है। क्वाड समूह का लक्ष्य मुक्त, खुला और समावेशी हिंद-प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने के साथ ही साझा लोकतांत्रिक विचारों को बढ़ावा देने पर केंद्रित है।

चीन और रूस करते हैं क्वाड का विरोध
चीन और रूस क्वाड समूह का विरोध करते रहते हैं। चीन कई बार आरोप लगा चुका है कि इस समूह का गठन उसे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में रोकने के लिए किया गया है। रूस भी कई बार क्वाड के गठन की आलोचना कर चुका है। पिछले महीने रूसी विदेश मंत्री सर्गेइ लावरोव ने क्वाड का अपरोक्ष हवाला देते हुए एशिया में उभर रहे गठबंधन के लिए एशियाई नाटो शब्द का इस्तेमाल किया था।

 

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