गाजियाबाद : बीमा पॉलिसी के नाम पर करोड़ों ठगे, फर्जी कॉल सेंटर खोलकर 500 से ज्यादा लोगों को बनाया निशाना
उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले में फर्जी कॉल सेंटर खोलकर इंश्योरेंस पॉलिसी के नाम पर करोड़ों की ठगी करने वाले गैंग का खुलासा कर साइबर सेल व कविनगर पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया है। आरोपियों में दिल्ली निवासी मास्टरमाइंड प्रदीप प्रसाद व सुमत मलिक के अलावा दो युवतियां भी शामिल हैं। प्रदीप प्रसाद 2000 के अंक को अपना लकी नंबर मानता है।
इसलिए उसने अपनी कार व बाइकों का यही नंबर लिया हुआ है। अपने गिरोह का नाम भी उसने गैंग-2000 रख रखा था। एसपी सिटी निपुण अग्रवाल ने बताया कि ठगी का कॉल सेंटर कौशांबी में चल रहा था। गैंग देशभर के 500 से अधिक लोगों को शिकार बना चुका है। आरोपियों के कब्जे से 11 मोबाइल, लैपटॉप, छह एटीएम कार्ड, आधार कार्ड, चेकबुक और बुलेट बरामद की है।
एसपी सिटी ने बताया कि मुखबिर की सूचना पर साइबर सेल व कविनगर पुलिस ने कौशांबी में छापा मारा। वहां से दो युवतियों समेत सात लोगों को गिरफ्तार किया गया। आरोपियों की पहचान प्रदीप प्रसाद (12वीं पास) निवासी सरिता विहार दिल्ली, राहुल उर्फ मोनू (12वीं पास) निवासी मकनपुर इंदिरापुरम, सुमित मलिक (बीकॉम पास) निवासी नॉर्थ विनोद नगर मंडालवी दिल्ली, रूपेश कुमार (12वीं पास) निवासी सरिता विहार दिल्ली, अक्षय निवासी विकासनगर सरिता विहार दिल्ली, सुमित मलिक की बहन ज्योति मलिक (बीकॉम पास) तथा पिंकी रावत (एमए) निवासी न्याय खंड इदिरापुरम के रूप में हुई है।
प्रदीप प्रसाद और सुमित मलिक गैंग के सरगना हैं। दोनों मिलकर ठगी का फर्जी कॉल सेंटर चलाते थे। सुमित ने अपनी बहन व अन्य लोगों को 15 हजार रुपये प्रतिमाह सैलरी पर रखा हुआ था।
मेच्योरिटी में मोटी रकम दिलाने का झांसा देता था गैंग
सीओ कविनगर व साइबर सेल के नोडल अधिकारी अभय कुमार मिश्र ने बताया कि गैंग ऐसे लोगों को शिकार बनाता था, जिसमें बीमा पॉलिसी मेच्योर होने वाली होती थीं। गैंग ने विभिन्न बीमा कंपनियों का डाटा इकट्ठा कर रखा था। डाटा एकत्र करने की जिम्मेदारी अक्षय की थी। डाटा के आधार पर गैंग में शामिल लड़कियां ग्राहकों को फोन कर उन्हें मेच्योरिटी में मोटी रकम दिलाने का झांसा देती थी।
साथ ही विश्वास जमाने के लिए ग्राहक के पास फर्जी चेक की कॉपी भी भेजी जाती थी। फर्जी चेक भरकर गैंग लोगों से अपने उन खातों में रकम डलवा लेते थे, जो फर्जी आईडी पर खुले होते थे। फर्जी खाता खुलवाने की जिम्मेदार जीतू पर थी। वह गरीब लोगों को लालच देकर उनकी आईडी पर बैंक खाते खुलवाता था। सीओ ने बताया कि जीतू अभी फरार है।