दावा: युवाओं में एस्ट्राजेनेका के टीके का साइड इफेक्ट ज्यादा, खून के थक्के जमने के मिले काफी मामले

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यूरोप के दवा नियामक द्वारा एस्ट्राजेनेका के टीके और खून का थक्का जमने (क्लॉटिंग) के बीच संबंध बताने के बाद कई देशों ने इसका इस्तेमाल सीमित कर दिया है। ब्रिटेन 30 से कम उम्र वालों को यह टीका नहीं लगाएगा तो इटली और स्पेन जैसे देश 60 साल से ऊपर वालों के लिए ही इसका उपयोग करेंगे। ऑस्ट्रेलिया ने 50 साल से कम उम्र वालों को यह टीका न लेने की सलाह दी है। लोगों के मन में कई आशंकाएं हैं। यहां पेश है इस टीके से जुड़े प्रमुख पांच सवाल-जवाब, जो आपके लिए जानना जरूरी हैं…

टीके पर आखिर क्यों है रोक
यूरोपीय मेडिकल एजेंसी के मुताबिक, चार अप्रैल तक उसे मस्तिष्क से जुड़ी रक्त वाहिकाओं में खून का थक्का जमने (सीवीएसटी) के 169 मामले मिले थे। वहीं, 53 मामले पेट की नसों में क्लॉटिंग (एसवीटी) से जुड़े थे। यह संख्या यूरोप और ब्रिटेन में एस्ट्राजेनेका के 3.4 करोड़ टीके लगने के बाद सामने आई है।

ईएमए ने सीवीएसटी के 62 और सीवीटी के 24 मामलों की समीक्षा की थी। इनमें से 18 घातक पाए गए। ज्यादातर मामले 60 साल से कम उम्र वाली महिलाओं में मिले। हालांकि इसकी ठोस वजह तो नहीं है, लेकिन जर्मनी और ब्रिटेन का कहना है कि एस्ट्राजेनेका का टीका पुरुषों से ज्यादा महिलाओं ने लगवाया है। क्लॉटिंग के अधिकांश मामले वैक्सीन लगवाने के दो हफ्तों के दौरान सामने आए हैं।

ब्रिटेन के नियामक ने क्या कहा
दवा और हेल्थकेयर उत्पाद नियामक एजेंसी ने क्लॉटिंग और कम प्लेटलेट्स से जुड़े 79 मामलों की पड़ताल की। इनमें 19 की मौत हुई, जिनमें 13 महिलाएं और छह पुरुष थे। मरने वालों में 11 की उम्र 50 से कम थी तो तीन 30 साल से कम के थे। दिक्कत पहली खुराक के बाद हुई।

किस आधार पर टीके के सीमित उपयोग का फैसला
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के विंस्टन सेंटर फॉर रिस्क एंड एविडेंस कम्युनिकेशन के आंकड़ों के आधार पर युवाओं को इस टीके का विकल्प देने का फैसला लिया गया। सेंटर के मुताबिक, 20-29 साल में प्रति लाख 1.1 केस में तो 50-59 साल वालों में 0.4 में साइड इफेक्ट का अनुमान है।

50 साल से कम वालों में टीका लगवाने के 14 दिनों के भीतर क्लॉटिंग के 12 मामले मिले हैं। हालांकि ईएमए ने कहा है कि टीके के जोखिम के मुकाबले फायदे ज्यादा हैं। यह कोरोना का प्रसार रोकने, अस्पताल में भर्ती होने वालों समेत मौत का आंकड़ा कम करने में मददगार होगा।

ईयू का क्या है रुख
ईएमए ने कहा, प्लेटलेट्स कम होने के साथ क्लॉटिंग को बहुत विरला साइड इफेक्ट माना जाना चाहिए। अभी और अध्ययनों का इंतजार करना चाहिए। खुद एस्ट्राजेनेका और यूरोपीय यूनियन (ईयू) के नियामकों का कहना है कि क्लॉटिंग के मामले क्लीनिकल ट्रायल में देखने नहीं मिले थे।

क्लॉटिंग के संभावित कारण
सीवीएसटी के संभावित कारणों में से एक वैक्सीन द्वारा असामान्य एंटीबॉडी बनाना माना जा रहा है। ईमए ने कहा, टीके से प्रतिरक्षा तैयार होने के दौरान क्लॉटिंग हो सकती है। हालांकि वैज्ञानिक जोखिम के पुख्ता कारणों का पता लगाने में जुटे हैं। ग्रीफ्सवॉल्ड यूनिवर्सिटी में जर्मन वैज्ञानिकों को साइड इफेक्ट से संबंध मिला है।

 

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