सीएम तीरथ ने 153 करोड़ की योजनाओं का किया लोकार्पण, कहा- कुंभ में कोविड के दिशा निर्देश का पालन जरूरी

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मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने मंगलवार को चंडी द्वीप स्थित मीडिया सेंटर में महाकुंभ के 153 करोड़ 73 लाख रुपये लागत की 31 योजनाओं एवं कार्यों का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि मंगलवार से महाकुंभ का विधिवत शुभारंभ हो गया है। महाकुंभ का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व है। मेला भव्य और दिव्य होगा, लेकिन कोविड से बचाव की एसओपी का पालन भी जरूरी है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड से बचाव में किसी तरह की कोताही नहीं बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा कि श्रद्धालु आएं और गंगा में आस्था की खूब डुबकी लगाकर पुण्य कमाएं। किन्नर अखाड़ा का जिक्र करते हुए सीएम ने कहा कि किन्नर भी हमारे लिए पूजनीय हैं। कुंभ क्षेत्र में हर ओर साधु संत दिख रहे हैं। साधु संतों के शिविरों और आश्रमों में पानी, बिजली, शौचालय, घाटों पर पुख्ता प्रबंध किए गए हैं।

संसदीय कार्य एवं शहरी विकास मंत्री बंशीधर भगत ने कहा कि योजनाओं एवं कार्यों के लोकार्पण से हरिद्वार के विकास में काफी तेजी आएगी। विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने कहा कि मुख्यमंत्री कोरोना को मात देने के बाद सीधे कुंभ के आयोजन में शामिल होने आए हैं, इससे उनकी आस्था और गंभीरता खुद झलकती है। इस दौरान ज्वालापुर विधायक सुरेश राठौर, भाजपा जिलाध्यक्ष डा. जयपाल सिंह चौहान, मुख्य सचिव ओमप्रकाश, मनोज गर्ग, शोभाराम प्रजापति आदि मौजूद रहे।

संतों को शोभा नहीं देती मारपीट
मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने अपर मेलाधिकारी हरबीर सिंह के साथ अभद्रता और मारपीट करने वाले अखाड़ा का नाम लिए बगैर घटना की निंदा की। उन्होंने कहा कि कोई भी अधिकारी अपनी जिम्मेदारी में लापरवाही करेगा तो बख्शा नहीं जाएगा। लेकिन, अधिकारी के साथ जो हरकत हुई वह संतों को शोभा नहीं देती है। सीएम ने कहा कि अच्छा कार्य करने वाले अधिकारियों को सम्मान और लापरवाही करने वालों को दंड दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि अधिकारी साधु-संतों के लिए हर सुविधा दे रहे हैं। रात-दिन कार्य कर रहे हैं। तीरथ ने कहा कि जरूरत पड़ी तो वह स्वयं भी साधु संतों के बीच रात-दिन काम करने को तैयार हैं।

मुख्यमंत्री ने बिना मास्क संतों के साथ किया गंगा पूजन
हरकी पैड़ी पर श्रीगंगा सभा के गंगा पूजन कार्यक्रम में शामिल हुए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत एक बार फिर सोशल मीडिया पर ट्रोल हो रहे हैं। गंगा पूजन के दौरान मुख्यमंत्री और संत बिना मास्क पहने नजर आए। जैसे ही सोशल मीडिया पर मुख्यमंत्री की बिना मास्क की फोटो और वीडियो वायरल हुई तो लोगों ने सीएम को घेर लिया। हालांकि मुख्यमंत्री ने मास्क ठुड्डी से नीचे लगा रखा था।

मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत कोरोना संक्रमण को मात देने के बाद मंगलवार को हरिद्वार पहुंचे थे। उन्होंने यहां गंगा पूजन के साथ महाकुंभ कार्यों का लोकार्र्पण किया। मुख्यमंत्री के गंगा पूजन की फोटो विभिन्न सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर अपलोड हुई तो वे एक बार फिर यूजर के निशाने पर आ गए। फोटो और वीडियो में मुख्यमंत्री और कई संत बिना मास्क के ही पूजन करते दिख रहे थे।
गंगा पूजन में पहुंची त्रिकाल भवंता, संत आग बबूला
परी अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर त्रिकाल भवंता भी हरकी पैड़ी पर गंगा पूजन में शामिल होने पहुंची। उनको देखते ही अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि आग बबूला हो गए। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ने कहा कि यदि त्रिकाल भवंता को पूजन स्थल से हटाया नहीं जाता तो सभी 13 अखाड़ों के संत पूजन में नहीं बैठेंगे। ये सुनकर मेला प्रशासन और पुलिस के हाथ पांव फूल गए। आनन फानन में पुलिस ने त्रिकाल भवंता में पूजा स्थल से हटाया।

परी अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर त्रिकाल भवंता मंगलवार दोपहर को अचानक हरकी पैड़ी पहुंच गई। वे ब्रह्मकुंड पर गंगा पूजन के के लिए बनाए पंडाल में बैठ गई। उनके बगल में पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के श्री महंत रविंद्र पुरी भी बैठे थे। उन्होंने त्रिकाल भवंता की ओर ध्यान नहीं दिया। इस बीच अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि की नजर पंडाल में बैठी त्रिकाल भवंता पर पड़ी।

श्री महंत नरेंद्र गिरि का पारा चढ़ गया। वे खड़े हो गए और त्रिकाल भवंता को पूजा स्थल से न हटाने पर गंगा पूजन में शामिल न होने की चेतावनी दे डाली। ये देखते ही सभी अखाड़ों के संत भी खड़े हो गए। पहले पुलिस ने त्रिकाल भवंता को पूजन स्थल  से हटाने का प्रयास किया। वे फिर पंडाल के कोने में जाकर बैठ गई। जब पुलिस उनको फिर पूजा स्थल से हटाने लगी तो वे गंगा घाट की पैड़ी पर बैठ गई।

त्रिकाल भवंता ने हाल में प्रेस वार्ता कर नौ अप्रैल तक उनको शाही स्नान के क्रम में शामिल न करने और सभी सुविधाएं न देनेे पर साध्वियों के साथ आत्महत्या करने की चेतावनी दी थी। किसी अनहोनी के आशंका के चलते पुलिस ने त्रिकाल भवंता को घेर लिया। मौके पर अपर मेलाधिकारी हरबीर सिंह ने त्रिकाल भवंता से पूजन स्थल से जाने का अनुरोध किया। त्रिकाल भवंता ने कहा कि वे श्रीगंगा सभा के अध्यक्ष के निमंत्रण पर गंगा पूजन में शामिल होने आई थीं। पुलिस के साथ काफी देर तक त्रिकाल भवंता की तीखी नोकझोंक हुई। आखिरकार प्रशासन त्रिकाल भवंता को पूजन स्थल से निकालने में कामयाब रहा।

मुझे श्रीगंगा सभा के अध्यक्ष की ओर से कार्यक्रम में आमंत्रित किया गया था। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत नरेंद्र गिरि के इशारे पर मेला पुलिस और प्रशासन ने एक महिला साध्वी का अपमान किया है। प्रशासन और पुलिस ने बदसलूकी करते हुए मुझे पूजा स्थल से बाहर निकाला। मैं अपमान घूट पीकर लौटी हूं, यदि परी अखाड़े को उसका अधिकार नहीं मिला तो हम बड़ा निर्णय लेंगे।
– त्रिकाल भवंता, आचार्य महामंडलेश्वर, परी अखाड़ा

हरकी पैड़ी के द्वार सभी के लिए खुले हैं। मैंने परी अखाड़े की प्रमुख को गंगा आरती के दर्शन के लिए आमंत्रित किया था। वे 13 अखाड़ों के लिए आरक्षित स्थान पर जाकर बैठ गई। परंपरा अनुसार मुख्यमंत्री, 13 अखाड़े, श्रीगंगा सभा के पदाधिकारी, मेला और पुलिस प्रशासन के अधिकारी ही पूजन कार्यक्रम में शामिल होते हैं।
– प्रदीप झा, अध्यक्ष श्री गंगा सभा

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