वित्तीय वर्ष के आखिरी दिन उत्तराखंड को 112 करोड़ की सौगात, प्रदेश की सड़कें होंगी चकाचक

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केंद्र सरकार ने वित्तीय वर्ष के आखिरी दिन उत्तराखंड को 112 करोड़ 50 लाख रुपये की सौगात दी है। यह पैसा केंद्र की पूंजीगत व्यय के लिए राज्यों को विशेष प्रोत्साहन योजना के तहत जारी किया गया है। इससे पूर्व अभी तक केंद्र सरकार इसके लिए करीब 339 करोड़ रुपये जारी कर चुकी है।

दरअसल, इस विशेष प्रोत्साहन योजना के तहत केंद्र ने 478 करोड़ 44 लाख रुपये स्वीकृत किए थे। इनमें से अभी तक 339 करोड़ 53 लाख रुपये जारी किए जा चुके हैं। बुधवार को केंद्र सरकार ने 112 करोड़ 50 लाख रुपये और जारी कर दिए।

दूसरी किश्त जारी होने पर मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आभार जताया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के मार्गदर्शन और केन्द्र सरकार के सहयोग से उत्तराखंड विकास पथ की ओर अग्रसर है।

कुंभ मेले के लिए 325 करोड़

केंद्र सरकार के वित्त मंत्रालय ने कुम्भ मेला 2021 विशेष सहायता में 325 करोड़ रुपए स्वीकृत किए हैं। इस मद में अभी तक 405 करोड रुपए की राशि अवमुक्त की जा चुकी है। इसी प्रकार मसूरी शहर की जलापूर्ति योजना के पुनर्गठन में 80 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है। अभी तक 675 करोड़ की धनराशि जारी हो चुकी है। मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने वित्तीय स्वीकृतियों के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का आभार व्यक्त किया है।

उत्तराखंड में 280 करोड़ से संवरेगी बागवानी

उत्तराखंड में बागवानी को संवारने के लिए सरकार ने इस वित्तीय वर्ष में 280 करोड़ की कार्य योजना बनाई है, जिससे बागवानी क्षेत्रफल का विस्तार होगा और किसानों की आमदनी बढ़ेगी। प्रदेश सरकार ने 2022 तक किसानों की आमदनी दोगुनी करने का संकल्प लिया है। इसे पूरा करने के लिए इस वित्तीय वर्ष में सरकार ने 280 करोड़ कार्य योजना तैयार कर ली है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत कार्य योजना का प्रस्ताव मंजूरी के लिए केंद्र को भेजा गया है।

इस योजना के माध्यम से राजकीय उद्यानों का सुदृढ़ीकरण, किसानों को उन्नत किस्म के फलदार पौधे उपलब्ध कराने, एंटी हेलनेट, उत्पादों की मार्केटिंग और ब्रांडिंग की जाएगी। प्रदेश के 11 जिले औद्यानिकी फसल पर आधारित हैं। सरकार का बागवानी क्षेत्रफल बढ़ाने के साथ उत्पादकता और उत्पादन में वृद्धि करने पर जोर है।

प्रदेश में लगभग साढ़े चार लाख किसान बागवानी फसलों का उत्पादन करते हैं। कृषि एवं उद्यान मंत्री सुबोध उनियाल का कहना है कि वित्तीय वर्ष 2021-22 के लिए 280 करोड़ की कार्ययोजना बनाई है। राष्ट्रीय बागवानी मिशन के तहत इस प्रस्ताव को केंद्र की मंजूरी के लिए भेजा गया है। जल्द ही प्रस्ताव को केंद्र से स्वीकृति मिलेगी।

करीब 80 प्रतिशत बजट ही हो पाया खर्च 

कोरोना संक्रमण के बीच वित्तीय वर्ष 2019-20 में करीब 80 प्रतिशत बजट ही खर्च हो पाने का अनुमान है। यह पिछले साल की तुलना में अधिक है। इससे यह भी साफ है कि उत्तराखंड इस बार भी मार्च में अधिक से अधिक बजट खर्च करने के दबाव से जूझा है।

कैग की ओर से फरवरी तक के लिए जारी आंकड़ों के मुताबिक करीब 53 हजार करोड़ रुपये के बजट में से फरवरी तक केवल 32 हजार करोड़ रुपये ही खर्च हो पाए थे। सरकार ने विकास योजनाओं में साल भर में 9374 करोड़ रुपये खर्च करने का अनुमान लगाया था। इसमें से मात्र 4061 करोड़ रुपये ही खर्च हुए। यह कुल बजट का मात्र 60 प्रतिशत ही था।

जाहिर है कि मार्च पर खर्च का दबाव रहा। वित्त सचिव अमित नेगी के मुताबिक पूंजीगत परिव्यय पर अधिकतम खर्च करने को कहा गया था। राजस्व खर्च में कोई कमी नहीं आई है। फिर भी पांच अप्रैल तक तस्वीर पूरी तरह से साफ होगी। मार्च में करीब 900 करोड़ रुपये भी खर्च होते हैं तो प्रदेश सरकार का बजट पूरा खर्च नहीं हो पाया।

पिछले साल से इसकी तुलना करें तो तस्वीर और भी चिंताजनक नजर आती है। पिछले साल मार्च में लॉकडाउन शुरू हुआ था। ऐसे में मार्च तक 7499 करोड़ रुपये के विकास कार्यों के बजट में से प्रदेश सरकार 5414 करोड़ रुपये ही खर्च कर पाई थी। यह भी करीब 79 प्रतिशत थी।

नहीं लेना पड़ा बाजार से अधिक उधार

कर्ज के मोर्चे पर इस बार प्रदेश सरकार कुछ हद तक राहत में रहीं। मार्च में एक हजार करोड़ रुपये लिया गया लेकिन इससे पहले के तीन माह में प्रदेश सरकार ने कोई कर्ज नहीं लिया। वित्त ने पहले हर माह 500 करोड़ रुपये के कर्ज की जरूरत जताई थी।

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