12 साल पहले रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़े गए अमीन को चार साल की सजा

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12 साल पहले रंगे हाथ रिश्वत लेते पकड़े गए अमीन को विशेष न्यायाधीश (सतर्कता) देहरादून ने चार साल कैद की सजा सुनाई है। इसके अलावा दोषी अमीन को 10 हजार रुपये अर्थदंड का भुगतान भी करना होगा। अमीन ने लोन की रिकवरी के एक मामले में दो हजार रुपये रिश्वत मांगी थी।

विजिलेंस से मिली जानकारी के अनुसार हिमांशु जोशी निवासी नेशविला रोड ने अक्टूबर 2009 को एक प्रार्थना पत्र पुलिस अधीक्षक विजिलेंस को दिया था। जिसमें हिमांशु ने बताया कि उनकी पत्नी सुषमा जोशी ने पीएमआरवाई योजना के तहत एसबीआइ की राजपुर रोड शाखा से वर्ष 2006 में एक लाख 28 हजार रुपये ऋण लिया था। इसकी किस्त वह समय पर जमा नहीं कर सके। इस पर बैंक ने ऋण वसूली के लिए मामला कलक्ट्रेट को हस्तांतरित कर दिया।

कलक्ट्रेट ने वसूली के लिए तहसील सदर को पत्र अग्रसारित किया। तहसील से अमीन प्रेम नारायण मिश्र ऋण वसूली करने हिमांशु के घर गया तो उनकी पत्नी ने योजना के तहत ऋण समायोजन पत्र, जो बैंक ने उन्हें कुछ शर्तो पर निर्गत किया था, अमीन को दिखाया। प्रेम नारायण मिश्र ने समायोजन पत्र को अस्वीकार कर दो हजार रुपये रिश्वत मांगी। हिमांशु रिश्वत नहीं देना चाहते थे, लेकिन दबाव बनाए जाने पर वह रकम देने को तैयार हो गए। साथ ही उन्होंने एसपी विजिलेंस से इसकी शिकायत कर दी।

एसपी विजिलेंस ने शिकायत पर गोपनीय जांच कराते हुए टीम का गठन किया। इस टीम ने प्रेम नारायण मिश्र को रिश्वत लेते रंगे हाथ गिरफ्तार कर लिया। इस मामले में सुनवाई के बाद विशेष न्यायाधीश (सतर्कता) देहरादून ने बुधवार को प्रेम नारायण मिश्र को दोषी पाते हुए भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988 की धारा-सात के तहत तीन वर्ष की जेल और पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। इसके अलावा धारा 13 (1)(डी), धारा 13(2) के तहत चार वर्ष का कारावास और पांच हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई।

 

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