बरबस याद आ जाती है लालू की वो कुर्ताफाड़ होली, विदेशों तक छा जाता था गंवई अंदाज
Holi 2021 राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता-कार्यकर्ता इस बार होली नहीं खेलेंगे। उन्होंने कहा है कि उनके भगवान जैसे नेता (God Like Leader) लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) आज संकट के दौर से गुजर रहे हैं। वे जब तक जेल में रहेंगे, आरजेडी के नेता व कार्यकर्ता होली नहीं खेलेंगे। अब लालू के जेल से बाहर आने के बाद ही आरजेडी की होली होगी। तब तक पार्टी का कोई सदस्य अबीर-गुलाल से परहेज करेगा। लेकिन एक दौर वह भी था, जब लालू की कुर्ताफाड़ होली Kurtafad Holi of Lalu Prasad yadav) देश-विदेश में छाई रहती थी। होली में उनका गंवई अंदाज उनकी यूएसपी थी, जिसके माध्यम से वे आम लोगों से सहज कनेक्ट कर लेते थे।
तब बिहार में छा जाता था लालू की होली का रंग
एक वो भी जमाना था, जब बिहार में लालू की होली का रंग छा जाता था। तब नेता व कार्यकर्ता का कोई भेद नहीं रहता था। लालू के घर के दरवाजे हर आम व खास के लिए खोल दिए जाते थे। लालू विरोधियों को भी पकड़-पकड़ कर रंग लगाते थे। उनपर होली का रंग चढ़ने के साथ कुर्ते भी फटने लगते थे। लेकिन आज उनकी वह होली गुम हो गई है।
गंवई अंदाज आम लोगों से कर देता था कनेक्ट
कुछ साल पहले तक लालू के पटना स्थित सरकारी आवास पर होने वाली होली पर देश-विदेश तक के लोगों की नजर रहती थी। वैसे लालू की होली का क्लाइमेक्स 90 के दशक का वह दौर था, जब पहले वे खुद, फिर उनकी पत्नी राबड़ी देवी मुख्यमंत्री थीं। तब रंगों के साथ कीचड़ से सराबोर तथा फटे कुर्ते में लालू का गंवई अंदाज उन्हें आम लोगों से कनेक्ट कर देता था।
कुर्ताफाड़ होली में चलता था कीचड़ का भी दौर
तब होली के दिन सुबह सात बजे के पहले से ही आम व खास लोग लालू प्रसाद यादव के आवास पर पहुंचने लगते थे। सुबह में जमकर फाग व रंग का दौर चलता था। दोपहर आते-आते कुर्ताफाड़ होली में वहां मौजूद सबों के कुर्ते फाड़ दिए जाते थे। नेता व कार्यकर्ता का भेद मिटाती इस होली में लोग लालू यादव का कुर्ता भी फाड़ देते थे। इसके बाद लालू की गोशाला से गोबर व कीचड़ लाया जाता था।
होली में खुद सबों के कुर्ते फाड़ते थे लालू यादव
लालू की सियासत के आरंभिक दौर के साथी रहे आरजेडी नेता शिवानंद तिवारी (Shivanand Tiwary) बताते हैं कि 90 के दशक में जब लालू मुख्यमंत्री थे, उनके आवास पर जाति-धर्म व वर्ग को किनारे कर हर आम व खास की जुटान होती थी। लालू के निकट सहयोगी रहे श्याम रजक (Shyam Rajak) लालू की उस होली को याद करते हुए बताते हैं कि उसमें वे खुद सबों के कुर्ते फाड़ते थे।
ढोल-मंजीरा लेकर गाते थे फाग, राबड़ी भी देतीं थी साथ
इस कीचड़ होली के बाद अपराह्न काल में अबीर-गुलाल की होली शुरू हो जाती थी। होली गायन का दौर भी चलता था, जिसमें लालू खुद ढोल-मंजीरा लेकर नेताओं-कार्यकर्ताओं के साथ फाग गाने बैठते थे। इसमें राबड़ी देवी (Rabri Devi) भी साथ देतीं थीं।
चार साल से नहीं दिखी आरजेडी सुप्रीमो की वैसी होली
आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव की यह कुर्ताफाड़ होली साल 1997 से 2000 तक क्लाइमेक्स पर रहा। फिर बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के बाद एक बार फिर इसका रंग चढ़ता दिखा। लेकिन इसके बाद वो होली बस यादों में ही रह गई है। एक तरफ महागठबंधन (Mahagathbandhan) की सरकार गिर गई तो दूसरी तरफ लालू यादव चारा घोटाले (Fodder Scam) के कई मामलों में सजा पाकर रांची के जेल (Hotwar Jail, Ranchi) चले गए। इसके बाद चार साल से वैसी होली नहीं दिखी है।