शहीद बेटे के पार्थिव शरीर को ताबूत में देख निकल पड़ी मां की चीखें, चेहरा देखते ही हुईं बेहोश
शहीद देव बहादुर का शव का ताबूत जैसे ही उत्तराखंड के ऊधमसिंह नगर स्थिति घर के सामने पहुंचा तो मां, बहन और अन्य परिजन की चीखें निकल गई। मां लक्ष्मी देवी बार-बार वहां मौजूद सेना के अधिकारियों और अन्य लोगों से एक बार बेटे का चेहरा दिखाने की मिन्नतें कर रही थी और बार-बार यही कह रही थीं कि एक बार मुझे मेरे बेटे का चेहरा दिखा दो।
सेना के अधिकारियों से पूछ रही थी कि मेरे बेटे ने कहां पर पैर रख दिया था, जहां से उसकी जान चली गई। बारूदी सुरंग की चपेट में आने से पार्थिव बुरी तरह से जल गया था। मां की मिन्नतों के बाद उन्हें हल्का सा चेहरा दिखाया गया तो मूर्छित हो गईं।
कैबिनेट मंत्री यशपाल आर्य ने भी गौरीकला पहुंचकर शहीद को श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ ही परिजनों को ढांढस बंधाया। उन्होंने सरकार की ओर से शहीद परिवार को दस लाख रुपये की आर्थिक मदद देने के साथ ही एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा की। मंत्री आर्य ने बताया कि शहीद परिवार के साथ सरकार खड़ी है। जो भी प्रस्ताव शहीद के संबंध में आएंगे, उनको पूरा किया जाएगा।
बुधवार सुबह निर्धारित समय सात बजे से दो घंटे देरी से सेना के ट्रक में सेना के अधिकारी शहीद देव बहादुर का पार्थिव शरीर लेकर उसके आवास गोरीकलां पहुंचे तो शहीद की पार्थिव देह की प्रतीक्षा कर रहे पिता शेर बहादु, मां लक्ष्मी, बहन गीता, भाई अनीता और भाई अनुज की नम आंखों से अश्रुधारा बह निकली।
बड़े भाई किशन बहादुर ने किसी तरह अपने को संभाले रखा लेकिन भाई की पार्थिव देह को देखते ही वह भी रो पड़े। परिजनों को रोता-बिलखता देखा मौके पर जमा लोगों की आंखें भी नम हो गईं।
बाद में गांव के निकट प्राइमरी स्कूल में शहीद का शव पहुंचाया गया, जहां क्षेत्र से आए हजारों लोगों ने शहीद के अंतिम दर्शन किए। लगभग दो घंटे तक जनता दर्शन के बाद सेना के अधिकारी पार्थिव देह को सेना के ट्रक में लेकर राघवनगर के निकट बने श्मशान घाट पर पहुंचे, जहां सेना की टुकड़ी ने उन्हें अंतिम सलामी दी।