विरासत : उत्तराखंड व असमी लोक कलाकारों के नाम रही 11वें दिन की शाम, रंगारंग प्रस्तुति से मोह लिया दर्शकों का मन

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विरासत आर्ट एंड हेरिटेज फेस्टिवल की 11वें दिन की शाम उत्तराखंड लोक कलाकार, असमी लोक कलाकार डा. अंवेसा महंत एवं दिल्ली की शास्त्रीय संगीतकार नबनिता चौधरी के नाम रही।

सोमवार को कौलागढ़ स्थित डा. भीमराव अंबेडकर मैदान में कार्यक्रम की शुरुआत रीच संस्था के महासचिव आरके सिंह एवं नवज्योति संस्कारी एवं सामाजिक संस्था के सदस्यों ने दीप जलाकर की। उत्तराखंडी लोक कलाकार जितेंद्र बलूनी के नेतृत्व में कलाकारों ने उत्तराखंड के वाद्य यंत्र ढोल, दमाऊ पर प्रस्तुति दी।

उनके द्वारा बेड़ू पाको, सुंदरा छोरी लोक गीत गाकर प्रस्तुति दी गई। इस दौरान दर्शक जमकर थिरके। नील शाह, श्वेता जोशी, जेपी रावत, संगीता एवं आशीष ने लोक गायक के गीतों पर नृत्य की प्रस्तुति दी। म्यूजिशियंस गोविंद शरण, वीरेंद्र, चंद्रपाल, गायन में राजलक्ष्मी, नीरू वाला एवं विपिन राणा ने जुगलबंदी की।

वहीं डा. अंवेसा महंत ने असमी लोक नृत्य कर दर्शकों का मनमोहा। उन्होंने पहली प्रस्तुति देव वंदना से की। इसके बाद उन्होंने मथुरा विहार, कृष्ण एवं कुंज कहानी लोक गीत की प्रस्तुति दी। उन्होंने दर्शकों को अपने परिचय से रूबरू कराते हुए कहा कि उन्होंने संगीत एवं नृत्य की बारीकियां पद्मश्री बयानाचार्य घनकांत बोरा से सीखीं। वह उस्ताद बिस्मिल्लाह खान युवा पुरस्कार से सम्मानित है। मलेशिया, थाइलैंड, हांगकांग, इंग्लैंड, जापान, उत्तरी आयरलैंड, कनाडा, अमेरिका, श्रीलंका, फ्रांस, न्यूजीलैंड में भी प्रस्तुति दे चुकी हैं।

वहीं दिल्ली से आई नबनिता चौधरी ने शास्त्रीय संगीत की प्रस्तुति देकर लोगों को झूमने पर मजबूर किया। उन्होंने पहली प्रस्तुति राग जोग, बड़ा ख्याल में विलाम्बित एक ताल और दो छोटा ख्याल की प्रस्तुति दी। उनके साथ तबले पर मिथिलेश, हारमोनियम पर जाकिर धौलपुरी, तानपुरा पर योगेश ने जुगलबंदी की।

क्विज प्रतियोगिता दून इंटरनेशनल प्रथम

सोमवार को विरासत की ओर से क्विज एवं रीजनिंग, सुडोकू प्रतियोगिता आयोजित की गई। जिसमें बड़ी संख्या में दून के स्कूलों ने हिस्सा लिया। जिसमें दून इंटरनेशनल पहले, जसवंत माडर्न स्कूल दूसरे, फ्लाईफोर्ट पब्लिक स्कूल तीसरे स्थान पर रहा।

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