कोविड-19 की दूसरी लहर में अब तक 594 डॉक्टरों की हो चुकी है मौत, सबसे ज्यादा दिल्ली में
भारत में कोरोना की दूसरी लहर के दौरान कई चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं। अस्पताल में मरीजों को बेड नहीं मिल रहे थे, तो श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों में लोगों के अंतिम संस्कार के लिए जगह की कमी होने लगी थी। इसी बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) ने दूसरी लहर के दौरान डॉक्टरों की मौत का आंकड़ा पेश किया है।
आईएमए ने मंगलवार को कहा कि देश में अब तक कोरोना वायरस संक्रमण की दूसरी लहर में कम से कम 594 डॉक्टरों की मौत हो गई है, जिसमें 107 डॉक्टरों की मौतें सिर्फ दिल्ली में हुई हैं।
आईएमए के राज्यवार आंकड़े बताते हैं कि कोविड-19 की दूसरी लहर में मरने वाले लगभग हर दूसरे डॉक्टर की या तो दिल्ली, बिहार या उत्तर प्रदेश में मौत हुई। दूसरी लहर में मरने वाले डॉक्टरों में इन तीनों राज्यों की हिस्सेदारी करीब 45 फीसदी है।
आईएमए ने कहा कि कुल मिलाकर, पिछले साल महामारी शुरू होने के बाद से कोविड-19 से लड़ते हुए लगभग 1,300 डॉक्टरों की मौत हो गई है।
कोरोना की दूसरी लहर में राज्यवार शहीद होने वाले डॉक्टरों की संख्या
राज्य मौतों की संख्या
आंध्र प्रदेश 32
असम 08
बिहार 96
छत्तीसगढ़ 03
दिल्ली 107
गुजरात 31
गोवा 02
हरियाणा 03
जम्मू-कश्मीर 03
झारखंड 39
कर्नाटक 08
केरल 05
मध्यप्रदेश 16
महाराष्ट्र 17
मणीपुर 05
ओड़िशा 22
पुड्डुचेरी 01
पंजाब 03
राजस्थान 43
तमिलनाडु 21
तेलंगाना 32
त्रिपुरा 02
उत्तर प्रदेश 67
उत्तराखंड 02
पश्चिम बंगाल 25
अज्ञात 01
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कुल 594
रामदेव ने महामारी को नियंत्रित करने के सरकार के प्रयासों को अपूरणीय क्षति पहुंचाई : आईएमए
भारतीय चिकित्सा संघ (आईएमए) ने मंगलवार को कहा कि योग गुरु रामदेव ने कोविड-19 महामारी को नियंत्रित करने संबंधी सरकार के प्रयासों को ‘अपूरणीय’ क्षति पहुंचाई है और ऐसे समय में भ्रम पैदा करने वाले लोग ‘राष्ट्र-विरोधी’ हैं।
आईएमए ने नागरिकों को एक खुले पत्र में यह भी आरोप लगाया कि रामदेव ने अपने उत्पादों के लिए ‘बाजार’ तलाशने के एक मौके के रूप में राष्ट्रीय कोविड उपचार प्रोटोकॉल और टीकाकरण कार्यक्रम के खिलाफ अपना अभियान शुरू करना उचित समझा। आईएमए ने कहा, ‘रामदेव ने महामारी को रोकने के लिए भारत सरकार के प्रयासों को अपूरणीय क्षति पहुंचाई है।’
उसने कहा, ‘राष्ट्रीय उपचार प्रोटोकॉल और राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के बारे में एक महामारी के दौरान भ्रम पैदा करने वाले लोग देशद्रोही और राष्ट्र-विरोधी हैं। वे जन-विरोधी और मानवता-विरोधी हैं। वे दया के पात्र नहीं हैं।’
आईएमए ने रामदेव के खिलाफ फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन और देश के अन्य मेडिकल तथा रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन द्वारा बुलाए गए विरोध को समर्थन दिया है। इन डॉक्टरों ने काला फीता बांधकर विरोध किये जाने का आह्वान किया था। आईएमए ने कहा कि आधुनिक चिकित्सा, महामारी के खिलाफ लड़ाई में सबसे आगे है और 1,300 डॉक्टरों ने देश के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है।
आईएमए ने रामदेव पर मुकदमा चलाने की मांग की
उसने एक पत्र में कहा कि मेडिकल छात्रों और रेजिडेंट डॉक्टरों से लेकर आपात देखभाल चिकित्सक तक, हर एक डॉक्टर को लोगों की सुरक्षा में तैनात किया गया है। आईएमए ने कहा, ‘राष्ट्रीय कोविड प्रोटोकॉल और राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के खिलाफ लोगों के मन में भ्रम पैदा करना एक राष्ट्र विरोधी कार्य है। आईएमए ने इसे देशद्रोह के रूप में मानने और आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत उन पर (रामदेव) मुकदमा चलाने की मांग की है।’
बता दें कि पतंजलि योगपीठ ट्रस्ट ने 22 मई को आईएमए के इन आरोपों का खंडन किया था कि योग गुरु ने एलोपैथी के खिलाफ बयान देकर लोगों को गुमराह किया है और वैज्ञानिक आधुनिक चिकित्सा को बदनाम किया है। बाद में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के कड़े शब्दों में लिखे गए पत्र के बाद रामदेव ने एलोपैथी पर अपना बयान वापस ले लिया था।
आईएमए ने आरोप लगाया कि रामदेव के समर्थकों ने आईएमए और इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष पर ‘दुर्भावनापूर्ण हमलों की रणनीति’ अपनाने का प्रयास किया है। उसने कहा, ‘देश में अब तक कोविड-19 रोगियों की कुल संख्या 2.78 करोड़ है और 2.54 करोड़ ठीक हो चुके हैं। मृत्यु दर 1.16 प्रतिशत बनी हुई है। यह देखा जा सकता है कि भारतीय डॉक्टरों, नर्सों और स्वास्थ्य देखभाल कर्मियों ने अथक संघर्ष किया है।’