बदरीनाथ-केदारनाथ धाम में शुरू हुई पूजाओं की आनलाइन बुकिंग, ऐसे करें पूजा की तिथि व समय सुनिश्चित

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केदारनाथ और बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने में एक माह का समय शेष है, लेकिन पूजाओं की आनलाइन बुकिंग अभी से शुरू हो गई है। श्रद्धालु श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति की वेबसाइट पर जाकर अपनी सुविधा के अनुसार पूजाओं की बुकिंग कर सकता है। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम प्रबंधन बोर्ड भंग होने के बाद मंदिर समिति ने वेबसाइट को दोबारा सुचारु किया है।

आगामी छह मई को केदारनाथ और आठ मई को बदरीनाथ धाम के कपाट खोले जाने हैं। इसी के साथ दोनों धाम में विशेष पूजाएं भी शुरू हो जाएंगी। पूजाओं के लिए मंदिर समिति की ओर से एडवांस बुकिंग की व्यवस्था भी की गई है, जो आनलाइन होती है। यात्राकाल में विशेष पूजाओं के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ जाती है।

इसीलिए मंदिर समिति की ओर से आनलाइन बुकिंग की व्यवस्था की गई है। ताकि श्रद्धालु अपनी सुविधा के हिसाब से पूजा के लिए तिथि व समय सुनिश्चित कर सके। बुकिंग के बावजूद यदि श्रद्धालु उक्त तिथि पर पूजा के लिए नहीं पहुंच पाता तो मंदिर समिति उसके गोत्र व नाम से पूजाएं संपन्न कराती है। प्रसाद संबंधित श्रद्धालु के पते पर डाक से भेज दिया जाता है।

पुरानी दरों पर हो रही पूजाओं की बुकिंग

मंदिर समिति के अध्यक्ष अजेंद्र अजय ने बताया कि पूजाओं के लिए समिति ने अभी नई दर तय नहीं की हैं। पूर्व में देवस्थानम बोर्ड की ओर से निर्धारित दरों पर ही अभी बुकिंग की जा रही है। आने वाले समय में मंदिर समिति इन्हें संशोधित करेगी। बीते दो वर्षों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आनलाइन बुकिंग कर पूजाएं संपन्न करवाईं।

ऐसे करें आनलाइन बुकिंग

श्रद्धालु मंदिर समिति की वेबसाइट https://badrinath-kedarnath.gov.in/ पर पूजाओं की बुकिंग कर सकते हैं। गूगल में वेबसाइट सर्च करने पर पूजाओं का विवरण व बुकिंग का आप्शन आएगा। वहां श्रद्धालु अपना व परिवार के सदस्यों का नाम, गोत्र, शहर का नाम दर्ज करना होगा। साथ ही कौन-सी पूजा करवानी है, इसका भी उल्लेख जरूरी है।

केदारनाथ में होने वाली पूजाएं

महाभिषेक पूजा, रुद्राभिषेक पूजा, लघु रुद्राभिषेक पूजा, षोडशोपचार, आरती, नित पूजा, शिवतांडव व शिवमहिम्न स्तोत्र।

बदरीनाथ में होने वाली पूजाएं

महाभिषेक पूजा, अभिषेक पूजा, वेदपाठ पूजा, गीता पाठ, श्रीमद्भागवत सप्ताह पाठ, एक दिन की संपूर्ण पूजा, कपूर आरती, रजत आरती, स्वर्ण आरती, अष्टोत्तरी पूजा, विष्णु सहस्त्रनाम पाठ, विष्णु सहस्त्रनामावली, शयन आरती व गीत गोविंद पाठ।

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