आधी उम्र में ही टूट गई राजधानी देहरादून को जोड़ने वाले जाखन पुल की कमर

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ऋषिकेश-देहरादून मार्ग पर रानीपोखरी के समीप जाखन नदी पर बना मोटर पुल अपनी आधी उम्र में ही साथ छोड़ गया। राजधानी देहरादून को जोड़ने वाले इस महत्वपूर्ण पुल के टूटने के साथ ही कई सवाल भी खड़े हो गए हैं। अभी फिलहाल लोक निर्माण विभाग के समक्ष पुल का विकल्प तैयार करना सबसे बड़ी चुनौती है।

रानीपोखरी के समीप जाखन नदी पर इस पुल का निर्माण वर्ष 1964-65 में किया गया था। इस पुल की लंबाई 431.60 मीटर, जबकि चौड़ाई सात मीटर है। किसी भी मोटर पुल की औसत आयु सौ साल आंकी जाती है, जबकि यह पुल अभी अपनी आधी आयु यानी 57 वर्ष ही पूरा कर पाया था। महज आधी आयु में ही जाखन नदी पुल के दो पैनल धराशाही हो गए, जो इस पुल के निर्माण व रख-रखाव पर गंभीर सवाल खड़े करता है। हालांकि, हादसे की वजह जाखन नदी में भारी मात्रा में पानी आने से सपोर्टिंग पिलर के नीचे भू-कटाव बताया जा रहा है, मगर यह कारण बता देने से लोनिवि अधिकारी अपनी जिम्मेदार से नहीं बच सकते।

जाखन नदी बरसाती नदी है, जो बरसात के मौसम में अचानक विकराल रूप धारण कर देती है। पहले भी इस नदी की भीषण स्थिति कई बार सामने आ चुकी है। इस तरह के खतरों से पुल को बचाने के लिए बरसात से पूर्व नियमित तौर पर नदी को चैनलाइज करने तथा अत्याधिक बहाव व कटाव वाले संभावित स्थानों पर वायरक्रेट बनाने का काम किया जाता है। मगर, जाखन पुल पर इनकी अनदेखी की गई, जिसके परिणामस्वरूप यह हादसा सामने आ गया। अब लोक निर्माण विभाग के समक्ष जाखन नदी पर पुल का विकल्प तैयार कर ऋषिकेश-देहरादून के बीच सड़क संपर्क को सुचारु करना सबसे बड़ी चुनौती है। लोनिवि के अधिकारियों की माने तो इस पुल की मरम्मत कर इसे पुन: आवाजाही के लिए तैयार किया जा सकता है। मगर, इसके लिए नदी का पानी कम होने तक इंतजार करना पड़ेगा।

वन विभाग की नहीं मिली स्वीकृति, रद करने पड़े टेंडर

देहरादून मार्ग पर जाखन नदी पर केंद्र सरकार की ओर से नए पुल की स्वीकृति भी मिल चुकी है। कार्यदाई संस्था नेशनल हाईवे डोईवाला डिवीजन ने 2018 में पुराने पुल के बगल में नया पुल बनाने के लिए 1759.80 लाख रुपये का आगणन केंद्र को भेजा था। जिस पर केंद्रीय सड़क निधि से 1628.70 लाख रुपये स्वीकृत किया गया था। बाद में प्रदेश सरकार ने तकनीकी कारण से रिवाइज एस्टीमेट के तहत इस पुल के निर्माण की मद में वर्ष 2020 में 1411.18 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की थी।

सरकार की मंशा पुराने पुल के बगल में नया पुल बनाने की थी ताकि दोनों पुल को वनवे किया जा सके। नेशनल हाईवे डिवीजन के सहायक अभियंता प्रवीण सक्सेना ने बताया कि नेशनल हाईवे डिवीजन ने इस पुल के लिए टेंडर भी आमंत्रित कर लिए थे। मगर वन विभाग की क्लीयरेंस ना मिलने के कारण टेंडर रद करने पड़े। प्रस्तावित पुल की लंबाई 252 मीटर और चौड़ाई 12 मीटर निर्धारित है। इसके साथ ही दोनों और 200 मीटर अप्रोच की स्वीकृति भी प्रदान की गई थी।

प्राकृतिक आपदा से क्षतिग्रस्त हुआ पुल : हरिओम शर्मा

लोक निर्माण विभाग के प्रमुख अभियंता हरिओम शर्मा ने बताया कि पर्वतीय क्षेत्रों में हो रही मूसलधार बारिश व पानी के उफान से यह पुल क्षतिग्रस्त हो गया। उन्होंने बताया कि अत्यधिक बारिश और उफान के चलते रानीपोखरी साइड के तीन पैनल व बीच के चार पैनलों को नुकसान पहुंचा। जिसके चलते यह पुल बीच में से धंसकर नीचे गिर गया।

 

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