कुंभ में कोविड जांच फर्जीवाड़ा: मेला स्वास्थ्य अधिकारी और प्रभारी पर गिरी गाज, दोनों निलंबित
तीर्थनगरी हरिद्वार में कुंभ मेले के दौरान कोविड सैंपल टेस्टिंग फर्जीवाड़े में दो अफसरों को सस्पेंड कर दिया गया है। जिलाधिकारी हरिद्वार की जांच रिपोर्ट पर सीएम धामी के निर्देश पर शासन ने पहली बड़ी कार्रवाई की है। तत्कालीन मेला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.अर्जुन सिंह सेंगर और प्रभारी अधिकारी स्वास्थ्य कुंभ मेला डॉ.एनके त्यागी पर गाज गिरी है। सचिव स्वास्थ्य अमित सिंह नेगी ने कार्रवाई की पुष्टि की है।
कोविड महामारी के कारण सरकार ने 1 से 30 अप्रैल तक कुंभ मेले की अधिसूचना जारी की थी। संक्रमण से बचाव के लिए स्वास्थ्य विभाग ने कई फर्मों के साथ अनुबंध कर आरटीपीसीआर और रैपिड एंटीजन टेस्टिंग का काम दिया गया था। कोविड एंटीजन टेस्ट में एक लाख से अधिक सैंपलों की फर्जी जांच करने पर सरकार ने जिलाधिकारी हरिद्वार को जांच सौंपी थी।
हाल ही में डीएम ने शासन को जांच रिपोर्ट सौंपी थी। जिसके आधार पर सरकार ने स्वास्थ्य विभाग के दो अफसरों को निलंबित कर पहली बड़ी कार्रवाई की है। विभाग में संयुक्त निदेशक व कुंभ मेला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.अर्जुन सेंगर और प्रभारी अधिकारी स्वास्थ्य डॉ.एनके जोशी को सस्पेंड किया गया।
ऐसे आया था फर्जीवाड़ा सामने
कुंभ मेले के दौरान कोविड सैंपल जांच में फर्जीवाड़ा खुलासा एक व्यक्ति की शिकायत से हुआ था। हरियाणा के एक व्यक्ति के मोबाइल पर सैंपल जांच कराने का मैसेज आया था, जबकि वह कुंभ मेले में गया ही नहीं था। संबंधित व्यक्ति ने आईसीएमआर को शिकायत भेजी। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शिकायत को जांच के लिए राज्य सरकार को भेजा गया था। राज्य कोविड कंट्रोल ने शिकायतकर्ता के मोबाइल पर आए मैसेज के आधार पर मामले की प्रारंभिक जांच की। जिसमें एक लाख से अधिक सैंपलों का फर्जीवाड़ा पाया गया। एक ही मोबाइल नंबर, सैंपल आईडी और एक ही पत्ते से कई लोगों को जांच रिपोर्ट जारी की गई। जिसके बाद शासन ने डीएम हरिद्वार को मामले की जांच रिपोर्ट सौंपी थी।
कोविड सैंपल जांच फर्जीवाड़े पर मुख्यमंत्री धामी सख्त
कोरोना की फर्जी जांच करने मामले में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी एक्शन में आ गए हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने एसपी हरिद्वार को फर्जी जांच करने वाली फर्मों के खिलाफ एसआईटी के माध्यम से कार्रवाई करने के निर्देश दिए। सीएम सख्त हिदायत दी कि किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार और लापरवाही को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
जिलाधिकारी हरिद्वार ने मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में गठित जांच समिति की रिपोर्ट 16 अगस्त को शासन को सौंपी थी। मुख्यमंत्री के निर्देश पर फर्मों के साथ मिलीभगत से राज्य को वित्तीय हानि पहुंचाने लापरवाही पर स्वास्थ्य विभाग के दो अधिकारियों को सस्पेंड किया गया। कोविड सैंपल जांच फर्जीवाड़े मामले में सरकार की यह पहली कार्रवाई है।
बता दें कि कुंभ में फर्मों की ओर से एंटीजन रैपिड टेस्टिंग की बिना जांच के किए गए लाखों का भुगतान किया गया। मुख्यमंत्री धामी ने कोविड फर्जी रैपिड एंटीजन टेस्टिंग प्रकरण में संबंधित फर्मों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक निर्देश दिए हैं।
22 हजार मोबाइल नंबरों के मालिकों का पता नहीं
हरिद्वार कुंभ के दौरान सामने आए आरटीपीसीआर जांच घोटाले में 22 हजार मोबाइल नंबरों के मालिकों का पता नहीं लग पाया है। मामले की जांच पूरी हो चुकी है। जांच रिपोर्ट स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने न्याय विभाग को भेजी है। शुक्रवार को वह इस फाइल पर कार्रवाई के लिए मुख्यमंत्री को भेजेंगे।
स्वास्थ्य मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने स्वीकार किया कि कुंभ आरटीपीसीआर जांच में गड़बड़ी हुई है। उन्होंने बताया कि मामले में जांच टीम ने उन एक लाख दस हजार मोबाइल नंबरों का सत्यापन किया है, जिनके नाम पर आरटीपीसीआर जांच रिपोर्ट जारी हुई थी। इनमें से 22 हजार मोबाइल नंबर तो ऐसे हैं, जिनके मालिकों का पता ही नहीं चल पाया है।
यह आशंका है कि संबंधित कंपनी ने किसी एक जगह से डाटा लेकर सीधे जांच रिपोर्ट जारी कर दी। उन्होंने कहा कि निश्चित तौर पर विभाग के भी कुछ अधिकारी इसमें लिप्त पाए गए हैं क्योंकि विभाग की कार्रवाई के बिना जांच रिपोर्ट का लिंक जारी ही नहीं हो सकता है। सभी पहलुओं को देखने, समझने के बाद वह अब मुख्यमंत्री को कार्रवाई के लिए फाइल भेजेंगे। उन्होंने कहा कि जो भी दोषी होंगे, उन्हें बख्शा नहीं जाएगा। सख्त कार्रवाई की जाएगी।