24 घंटे में मिले 158 नए संक्रमित, चार की मौत, 187 मरीज हुए ठीक

0

उत्तराखंड में पिछले 24 घंटे में कोरोना संक्रमण के 158 नए मामले सामने आए हैं। वहीं चार मरीजों की मौत हुई है। इसके अलावा आज 187 मरीजों को ठीक होने के बाद घर भेजा गया। वहीं, सक्रिय मामलों की संख्या घटकर 1821 पहुंच गई है।

स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार, शनिवार को 23653 सैंपलों की जांच रिपोर्ट निगेटिव आई है। वहीं, अल्मोड़ा में चार, बागेश्वर में एक, चमोली में एक, चंपावत में तीन, देहरादून में 80, हरिद्वार में 11, नैनीताल में छह, पौड़ी में पांच, पिथौरागढ़ में 14, रुद्रप्रयाग में तीन, टिहरी में आठ, ऊधमसिंह नगर में एक और उत्तरकाशी में 21 मामले सामने आए हैं।

प्रदेश में अब तक कोरोना के कुल संक्रमितों की संख्या तीन लाख 40 हजार 646 हो गई है। इनमें से तीन लाख 25 हजार 548 लोग ठीक हो चुके हैं। प्रदेश में कोरोना के चलते अब तक कुल 7331 लोगों की जान जा चुकी है।

लापरवाही बरती तो खतरनाक होगी तीसरी लहर
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ने कोरोना की तीसरी लहर को लेकर लोगों का सचेत किया है। एम्स के मुताबिक कोविड सुरक्षा नियमों को लेकर लापरवाही डेल्टा प्लस वैरिएंट की तीसरी लहर का कारण बन सकती है। ऐसे में केवल वैक्सीनेशन और कोविड सुरक्षा नियमों का पालन से स्वयं को सुरक्षित रखा जा सकता है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार डेल्टा वैरिएंट अभी तक विश्व के 100 देशों में पाया जा चुका है। डेल्टा वैरिएंट को बी. 1.617.2. स्ट्रेन भी कहते हैं। जबकि ’डेल्टा प्लस’ वेरिएंट बी. 1.617.2.1 है। कोरोना वायरस के स्वरूप में आ रहे बदलावों की वजह से ही डेल्टा वायरस बना है।

एम्स निदेशक प्रोफेसर रविकांत ने बताया कि कोरोना वायरस के अन्य सभी वैरिएंटों की तुलना में डेल्टा प्लस वैरिएंट की वजह से फेफड़ों में कोविड निमोनिया का संक्रमण अधिक हो सकता है। यह भी संभावना है कि कोरोना वायरस के डेल्टा प्लस वैरिएंट में एंटीबॉडी कॉकटेल’ जैसी दवा का भी शत- प्रतिशत असर नहीं हो पाए। लेकिन वैक्सीन लगा चुके लोगों में इसकी वजह से गंभीर किस्म के संक्रमण का कोई मामला फिलहाल भारत में नहीं मिला है। उन्होंने बताया कि अब तक देश के 12 राज्यों में इसकी पुष्टि हो चुकी है।

एम्स से भेजे 15 सैंपल, नहीं मिला डेल्टा प्लस 
एम्स निदेशक प्रोफेसर रवि कांत ने बताया कि बीते महीने में एम्स ऋषिकेश ने कोरोना संक्रमितों की रैंडम सैंपलिंग की थी। 15 संक्रमितों के सैंपल डेल्टा प्लस वैरिएंट की जांच के लिए आईसीएमआर भेजे गए थे। लेकिन इनमें से किसी भी सैंपल में डेल्टा प्लस वैरिएंट की पुष्टि नहीं हुई है।

डेल्टा प्लस वैरिएंट फेफेड़ों के लिए खतरनाक
एम्स के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. दीप ज्योति कलिता ने बताया कि कोरोना एक आरएनए वायरस है। आरएनए वायरस की पहचान है कि यह बार-बार म्यूटेशन कर अपना रूप बदलता है। अभी तक कोरोना के अल्फा, बीटा, डेल्टा और  डेल्टा प्लस आदि रूपों की पहचान हो चुकी है। डॉ. कलिता ने बताया कि डेल्टा प्लस वैरिएंट निचली श्वसन प्रणाली में फेफड़ों की म्यूकोसल कोशिकाओं के लिए घातक हो सकता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed