दिलों पर राज कर रही देवभूमि की मखमली आवाज, देश-दुनिया में इनकी सिंगिंग के दीवाने हैं लोग
संगीत सिर्फ मन को आनंदित ही नहीं करता, यह हमारी संस्कृति का प्रतिनिधित्व भी करता है। इस लिहाज से उत्तराखंड बहुत समृद्ध रहा है। यहां के परंपरागत संगीत में देश के आदिकाल की झलक मिलती है तो इसका आधुनिक परिदृश्य भी स्वर्णिम है। प्रदेश के कई प्रतिभाशाली युवा संगीत के क्षेत्र में अपना लोहा मनवा रहे हैं। पार्श्व गायक जुबिन नौटियाल से लेकर नेहा कक्कड़, शिकायना मुखिया के अलावा पवनदीप राजन देश-दुनिया में अपनी मखमली आवाज से प्रशंसकों के दिल पर राज कर रहे हैं। आज विश्व संगीत दिवस है। यह हर वर्ष 21 जून को दुनियाभर में मनाया जाता है। जिसकी शुरुआत वर्ष 1982 में फ्रांस से हुई थी। इस अवसर पर आपको रूबरू कराते हैं उत्तराखंड के इन गायकों की सफलता की यात्रा से…।
संगीत के लिए कभी संघर्ष नहीं करना पड़ा: जुबिन नौटियाल
तुम्ही आना…, किन्ना सोना…, चिट्ठी…, हमनवा मेरे…, मेरी आशिकी… जैसे 100 से ज्यादा हिट गीतों को अपनी मखमली आवाज दे चुके देहरादून निवासी जुबिन नौटियाल आज देश और दुनिया में जाना-पहचाना नाम हैं। उनका गीत रिलीज होते ही प्रशंसकों में उसे सुनने की होड़ मच जाती है।
विशेष बात यह है कि जुबिन अपने इस सफर को बिना संघर्ष का मानते हैं। बकौल जुबिन, ‘मैंने संगीत में अब तक किसी भी तरह का संघर्ष नहीं किया है। मुझे लगता है कि संगीत पूरे विश्व को भाता है। हर जीवित प्राणी को संगीत पसंद है। मैंने गायन की यात्रा का आनंद लिया है। जीवन में कोई संघर्ष नहीं रहा। यही मेरी सफलता का राज है। आज भी मुझे लगता है कि संगीत की मेरी यात्रा अभी शुरू हुई है।’
उतार-चढ़ाव के बाद भी कायम रखा आत्मविश्वास: नेहा कक्कड़
ऋषिकेश में जन्मी पाश्र्व गायिका नेहा कक्कड़ आज युवा दिलों की धड़कन हैं। देश ही नहीं, विदेश में भी उनके तमाम प्रशंसक हैं। उनके गाए गीत शादी समारोह से लेकर पार्टी तक, हर जगह पसंद किए जाते हैं। उन्हें पहचान वर्ष 2006 में टीवी शो इंडियन आइडल सीजन-2 में भाग लेने के बाद मिली थी। हालांकि, इसके बाद उन्हें नाम कमाने के लिए काफी जिद्दोजहद करनी पड़ी। जीवन में काफी उतार-चढ़ाव आने के बाद भी उन्होंने आत्मविश्वास को कम नहीं होने दिया। आज वह सिंगिंग रियलिटी शो इंडियन आइडल सीजन-12 में निर्णायक की भूमिका निभा रही हैं। नेहा समाजसेवा में भी सक्रिय रहती हैं। वह अक्सर जरूरतमंदों की मदद करती हैं। मई में वह पति रोहनप्रीत के साथ अपने घर ऋषिकेश आई थीं और यहां काफी वक्त बिताया।
पवनदीप राजन की आवाज में सुकून और हाथों में जादू
चंपावत के पवनदीप राजन भी इन दिनों अपनी आवाज की बदौलत हजारों दिलों पर राज कर रहे हैं। इंडियन आइडल फेम पवनदीप की प्रतिभा की पूरी दुनिया प्रशंसा कर रही है। उनमें न सिर्फ गायन का हुनर है, बल्कि वह कई तरह के वाद्य यंत्रों पर भी अच्छी पकड़ रखते हैं। पवनदीप तबला, गिटार और ड्रम बजाने में पारंगत हैं। उन्होंने छोटी उम्र में ही तबला वादन शुरू कर दिया था। उनकी गायिकी की बड़ी-बड़ी हस्तियां मुरीद हैं। पवनदीप को संगीत विरासत में मिला है। उनके दादा स्व. रति राजन और नानी कबूतरी देवी अपने समय के प्रसिद्ध लोकगायक थे। वहीं, पवनदीप को पिता सुरेश राजन और ताऊ सतीश राजन ने संगीत सिखाया।
मखमली आवाज का जादू बिखेर रहीं शिकायना मुखिया
सिंगिंग रियलिटी टैलेंट शो लिटिल वायस आफ इंडिया किड्स में वर्ष 2017 और सुपर स्टार सिंगर में वर्ष 2019 में अपनी मखमली आवाज का जादू बिखेर चुकीं दून की शिकायना मुखिया ने छोटी उम्र में ही प्रसिद्धि पा ली। देश के साथ विदेश में भी उनके तमाम प्रशंसक हैं। बीते वर्ष अमेरिका के एक आनलाइन शो में अंग्रेजी गानों की प्रस्तुति देकर उन्होंने विदेश में पहचान बनाई।
साधारण परिवार से ताल्लुक रखने वाली डालनवाला निवासी शिकायना 2019 में काफी चर्चा में रही थीं। उन्होंने देश को अपनी आवाज का दीवाना बना दिया था। गायिकी के साथ अपने सामाजिक कार्यों से भी शिकायना प्रशंसकों की चहेती बनी हुई हैं। बीते माह शिकायना ने इंटरनेट मीडिया पर कुछ गीत गाए और मदद की अपील की। इससे एकत्र धनराशि से उन्होंने मसूरी और देहरादून में जरूरमंद परिवारों को राशन किट वितरित की। शिकायना के पापा म्यूजिक टीचर हैं। उनका एक बैंड भी है।