उत्तराखंड एसटीएफ ने किया 250 करोड़ की साइबर ठगी का भंडाफोड़, एक गिरफ्तार; इस एप से बनाते थे शिकार
Cyber Crime उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टॉस्क फोर्स ने पंद्रह दिन में रकम दोगुनी करने का झांसा देकर मोबाइल एप के जरिये लगभग 250 करोड़ रुपये की ठगी करने वाले अंतरराष्ट्रीय गिरोह का भंडाफोड़ किया है। चीन की स्टार्ट अप योजना में निवेश का झांसा देकर यह ठगी की गई। गिरोह के तार चीन और थाईलैंड के साथ ही कुछ अन्य देशों से जुड़े होने का पता चला है। एसटीएफ ने इस सिलसिले में नोएडा (उत्तर प्रदेश) से पवन कुमार पांडे नामक आरोपित को गिरफ्तार किया है। उसके पास से 19 लैपटाप, 592 सिमकार्ड, पांच मोबाइल फोन, चार एटीएम कार्ड और एक पासपोर्ट बरामद हुआ है। एडीजी के अनुसार गिरोह के छह सदस्यों को बेंगलुरु पुलिस के स्तर से गिरफ्तार किए जाने की भी सूचना है। वहां की पुलिस से संपर्क किया जा रहा है।
उत्तराखंड पुलिस के मुख्य प्रवक्ता एडीजी अभिनव कुमार ने बताया कि कुछ दिन पूर्व हरिद्वार के श्यामपुर निवासी रोहित कुमार व कनखल निवासी राहुल गोयल ने एसटीएफ को साइबर ठगी की शिकायत दी थी। देहरादून साइबर क्राइम थाने में रिपोर्ट कराते हुए पीडि़तों ने बताया कि उनके दोस्तों ने उन्हें प्ले स्टोर पर उपलब्ध पावर बैंक एप पर 15 दिन में रकम दोगुनी होने की जानकारी दी। इस पर उन्होंने एप डाउनलोड कर पहली बार 91200 रुपये और दूसरी बार 73000 रुपये जमा कराए, लेकिन कुछ रोज बाद जब उन्हें एप प्ले स्टोर से गायब मिला तो ठगी का एहसास हुआ। इस बीच टिहरी जिले में भी ऐसा ही एक मामला दर्ज किया गया।
एडीजी ने बताया कि एसटीएफ के एसएसपी अजय कुमार के निर्देशन में मामले की जांच के लिए टीम बनाई गई। उन बैंक खातों की जांच कराई गई, जिनमें रकम ट्रांसफर की गई थी। मोबाइल काल रिकार्ड, बैंक व वालेट कंपनियों से मिली जानकारी के आधार पर पुलिस ठगी करने वाले गिरोह का पता लगाने में सफल रही। एडीजी ने बताया कि जांच के दौरान नोएडा स्थित पेटीएम बैंक की शाखा में संचालित एक खाते में बड़े पैमाने पर लेन-देन का पता चला। यह खाता पवन पांडेय निवासी-सी-7 एचआइजी फ्लैट, ग्रीन व्यू अपार्टमेंट सेक्टर-99 नोएडा के नाम से संचालित किया जा रहा है। पवन पांडे ठग गिरोह का सदस्य निकला। इस पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
एडीजी अभिनव कुमार ने बताया कि गिरोह ने पावर बैंक एप बनाकर गूगल प्ले स्टोर पर डाला हुआ था। इसी को डाउनलोड करवाकर वह नागरिकों से ठगी कर रहे थे। 12 मई को ठगों ने इस एप को प्ले स्टोर से हटा लिया। इस साल फरवरी से 12 मई के बीच देशभर में तकरीबन 50 लाख नागरिकों ने यह एप डालनलोड किया। इसी दरम्यान यह ठगी की गई। गिरोह के सदस्य ठगी के बाद रकम को क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से विदेश भेजते थे। अभी तक की जांच में करीब ढाई सौ करोड़ की ठगी का पता चला है। एडीजी ने बताया कि जांच में पता चला कि नागरिकों से ठगी गई रकम ‘रेजर-पे’ और ‘पे-यू’ जैसे पेमेंट ट्रांसफर गेट-वे के जरिये कई राज्यों में आइसीआइसीआइ बैंक और पेटीएम बैंक में खोले गए खातों में ट्रांसफर की गई। इन खातों में रोजाना करोड़ों रुपये का लेन-देन होना पाया गया।
मुख्य प्रवक्ता और एडीजी उत्तराखंड पुलिस अभिनव कुमार ने बताया कि यह अंतरराष्ट्रीय गिरोह है, जो भारत में साइबर ठगी कर रकम को क्रिप्टो करेंसी के जरिये विदेश भेज रहा है। विदेश में बैठे कुछ व्यापारियों के जरिये पूरा गिरोह चलाया जा रहा है। एक सदस्य उत्तराखंड पुलिस की गिरफ्त में आ गया है। बाकी की तलाश के लिए संबंधित देशों के दूतावास में संपर्क किया गया है। प्रारंभिक जांच में करीब 250 करोड़ रुपये की ठगी सामने आई है। यह रकम और बढ़ सकती है। रॉ, आइबी व अन्य एजेंसियों को भी इसकी सूचना दे दी गई है।’
ऐसे करते थे ठगी
साइबर ठगों ने पावर बैंक नाम से गूगल प्ले स्टोर पर आनलाइन अर्निंग एप बनाया। जिसका इंटरनेट मीडिया के जरिये खूब प्रचार किया गया। यदि कोई एप के लिंक पर क्लिक करता तो उसे आनलाइन निवेश पर पैसा दोगुना होने का झांसा दिया जाता था। साथ ही तीन लोग और जुड़वाने पर भी पैसे दिए जाते थे।
झांसा देने के लिए ऐसे दिए जाते थे पैसे
अगर कोई 600 रुपये का निवेश करता तो एक साल के लिए 1.45 रुपये प्रति घंटा देने की बात कही जाती। साथ ही एप से जुडऩे पर पहले तीन दिन तक 2.1 रुपये प्रति घंटा मिलते। इस तरह देखें तो एक महीने से भी कम समय में निवेशक को मूलधन वापस करने का झांसा दिया जाता। बताया जाता कि इसके बाद मुनाफा मिलने लगेगा। बड़ी रकम निवेश करने पर 15 दिन में पैसे दोगुने करने का दावा किया जाता था।