उत्तराखंड में कोरोना के बीच अब ब्लैक फंगस की दस्तक, देहरादून में दो मरीजों में इसकी पुष्टि
देहरादून। कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच अब ब्लैक फंगस ने भी राज्य में दस्तक दे दी है। जिससे स्वास्थ्य विभाग की भी चिंता बढ़ गई है। राजधानी स्थित मैक्स अस्पताल में भर्ती दो मरीजों में ब्लैक फंगस की पुष्टि हुई है, जबकि एक अन्य मरीज में भी इसके लक्षण मिले हैं, जिसकी रिपोर्ट अभी आनी बाकी है। अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राहुल प्रसाद ने इसकी पुष्टि की है। यह पहली बार है जब राज्य में ब्लैक फंगस के मामले सामने आए हैं।
कोरोना के मरीजों को ज्यादा है खतरा
कोरोना के दौरान या फिर ठीक हो चुके मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है। जिसके कारण ब्लैक फंगस अपनी जकड़ में इन मरीजों को आसानी से ले लेता है। कोरोना के जिन मरीजों को डायबिटीज की समस्या है, मधुमेह लेवल बढ़ जाने पर उनमें यह संक्रमण खतरनाक रूप ले सकता है।
इन दवाओं के अत्यधिक इस्तेमाल से खतरा ज्यादा
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार शरीर में बहुत अधिक स्टेरॉयड, एंटीबायोटिक व एंटी फंगल दबाव के होने से ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा हो रहा है। ब्लैक फंगस के बैक्टीरिया हवा में मौजूद हैं जो नाक के जरिये पहले फेफड़े और फिर खून के जरिये मस्तिष्क तक पहुंच रहे हैं। जो मरीजों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है।
क्या है ब्लैक फंगस
ब्लैक फंगस यानि म्यूकोरमाइकोसिस शरीर में बहुत तेजी से फैलने वाला एक तरह का फंगल इंफेक्शन है। यह फंगल इंफेक्शन मरीज के दिमाग, फेफड़े या फिर स्किन पर भी अटैक कर सकता है। इस बीमारी में कई मरीजों के आंखों की रोशनी चली जाती है। वहीं, कुछ मरीजों के जबड़े और नाक की हड्डी गल जाती है। अगर समय रहते इसे कंट्रोल न किया गया तो इससे मरीज की मौत भी हो सकती है।
अत्यधिक शुगर वाले मरीजों को ब्लैक फंगस का खतरा ज्यादा
यदि किसी व्यक्ति का शुगर लेवल बहुत अधिक है तो ऐसे लोगों के ब्लैक फंगस से संकलित हो जाने का खतरा ज्यादा रहता है। साथ ही कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले मरीजों पर ब्लैक फंगस तेजी से हमला करता है।
ब्लैक फंगस संक्रमित मरीजों के लक्षण
- मरीज की नाक से काला कफ जैसा तरल पदार्थ निकलता है।
- आंख, नाक के पास लालिमा के साथ दर्द होता है।
- मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है।
- खून की उल्टी होने के साथ सिर दर्द और बुखार होता है।
- मरीज को चेहरे में दर्द और सूजन का एहसास होता है।
- दांतों और जबड़ों में ताकत कम महसूस होने लगती है।
- इतना ही नहीं कई मरीजों को धुंधला दिखाई देता है।
- मरीजों को सीने में दर्द होता है।
- स्थिति बेहद खराब होने की स्थिति में मरीज बेहोश हो जाता है।