कोरोना को लेकर बढ़ रही चिताओं के बीच देहरादून रेलवे स्टेशन पर महज खानापूर्ति

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कोरोना को लेकर बढ़ रही चिताओं के बीच देहरादून रेलवे स्टेशन पर महज खानापूर्ति की जा रही है। नई दिल्ली से आने वाली शताब्दी एक्सप्रेस छोड़कर बाकी किसी भी ट्रेन के यात्रियों की कोरोना जांच नहीं की जा रही है। शताब्दी एक्सप्रेस में भी सिर्फ महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, केरल, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों से आने वाले यात्रियों का एंटीजन टेस्ट किया जा रहा है। जबकि बाकी यात्रियों को बेरोकटोक जाने दिया जा रहा है।इतना ही नहीं जांच के लिए लाइन में खड़े हो रहे यात्री सोशल डिस्टेंसिंग का पालन भी नहीं कर रहे हैं। साथ ही यात्रियों की जांच के लिए रेलवे स्टेशन पर सिर्फ एक लैब असिस्टेंट तैनात है। रेलवे के मुख्य वाणिज्य निरीक्षक एसके अग्रवाल का कहना है कि ट्रेनों से आने वाले यात्रियों की कोरोना जांच व उनके नाम पते की जानकारी रखना जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेदारी है। इसका रेलवे से कोई लेना देना नहीं है। रेलवे स्टेशन पर आने वाले यात्रियों की थर्मल स्कैनिंग करने के साथ ही उनके हाथों को सैनिटाइज कराने की जिम्मेदारी रेलवे प्रशासन की है। ट्रेनों को भी सैनिटाइज करने के बाद ही रवाना किया जा रहा है। कई राज्यों में कोरोना संक्रमण तेजी से फैलने के बावजूद देहरादून में लापरवाही का आलम नजर आ रहा है। दून में बड़ी संख्या में लोग आशारोड़ी चेकपोस्ट होते हुए दूसरे राज्यों से उत्तराखंड में प्रवेश करते हैं। लेकिन आशारोड़ी चेकपोस्ट पर कोरोना जांच को लेकर सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है।

चेकपोस्ट पर कोई भी पुलिसकर्मी इन गाड़ियों को ना तो रोक रहा था, ना ही गाड़ियों में सवार लोगों को इस बात की जानकारी दी जा रही थी कि कोरोना जांच कराने के बाद ही देहरादून में दाखिल हों। हालांकि चेकपोस्ट पर तैनात कोरोना की जांच करने वाली टीम में शामिल कर्मचारियों ने बताया कि प्रतिदिन औसतन 60 से 70 लोगों की जांच की जा रही है।

चेकपोस्ट पर तैनात प्रशासन, स्वास्थ्य और पुलिस की टीमों के लिए कोई सुविधा नहीं मुहैया कराई जा रही है। चेकपोस्ट पर कर्मचारियों के लिए सिर्फ टेबल और कुर्सी की व्यवस्था की गई है। उनके लिए पानी तक की व्यवस्था नहीं है। कुछ कर्मचारियों ने बताया कि पिछली बार लॉकडाउन के दौरान चेकपोस्ट पर तमाम सुविधाएं उपलब्ध कराई गई थीं। लेकिन इस बार सुविधाएं सिरे से नदारद हैं। चेक पोस्ट पर बुजुर्ग यात्रियों, पर्यटकों के बैठने के लिए भी कोई व्यवस्था नहीं है।

उपनल कर्मचारियों की हड़ताल के कारण जिले में कोरोना की जांच काफी कम हो रही है। कोविड दून अस्पताल ही नहीं अन्य स्थानों पर भी जांच में मुश्किल हो रही है। विशेषकर नए स्थानों पर जांच कराने में परेशानी हो रही है। इसको लेकर जिलाधिकारी डा. आशीष कुमार श्रीवास्तव ने स्वास्थ्य विभाग को वैकल्पिक व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए हैं। उपनल कर्मचारी पिछले कई दिनों से हड़ताल पर हैं, जिससे स्वास्थ्य सेवाओं पर भी असर पड़ा है। विशेषकर कोविड जांच प्रभावित हुई है।

महाराष्ट्र, गुजरात, केरल समेत कई स्थानों पर कोविड के मामले बढ़ने के बाद जिलाधिकारी ने आशारोड़ी समेत सभी बॉर्डर, रेलवे स्टेशन, आईएसबीटी, एयरपोर्ट पर रैंडम सैंपलिंग बढ़ाने के निर्देश दिए थे। हालांकि ज्यादातर स्थानों पर अभी जांच की पूरी व्यवस्था नहीं बन पाई है। कई जगह पर केवल कुछ समय के लिए ही सैंपलिंग हो रही है। बताया जा रहा है कि स्टाफ कम होने के कारण जांच की संख्या नहीं बढ़ पा रही है।

जिलाधिकारी ने बताया कि बॉर्डर, रेलवे स्टेशन समेत अन्य स्थानों पर सभी लोगों पर नजर रखी जा रही है। जिन लोगों में लक्षण दिख रहे हैं, उनकी भी रैंडम सैंपलिंग की जा रही है। विशेषकर जिन इलाकों में संक्रमण ज्यादा है, वहां से आने वालों की जांच पर फोकस किया जा रहा है।

 

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