विजय दिवस:भारत-पाक युद्ध में उत्तराखंड के 255 वीर सपूतों ने देश के लिए दी थी शहादत

0
IMG-20201216-WA0001

देश के लिए कुर्बानी देने में उत्तराखंड के जांबाज हमेशा आगे रहे हैं। आजादी से पहले से भी उत्तराखंड के वीर सुपूत  देश की रक्षा के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़े रहे हैं। 1971 के भारत-पाक युद्ध में उत्तराखंड के 255 जांबाजों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए कुर्बानी दी थी। जबकि देवभूमि के 78 सैनिक इस युद्ध में घायल हुए थे।

मातृभूमि के लिए शहादत देने वाले राज्य के 74 जवानों को वीरता पदक भी मिले थे। वर्ष 1971 में हुए युद्ध में दुश्मन सेना को घुटनों पर लाने में उत्तराखंड के वीर जवान ही सबसे आगे रहे।
तत्कालीन सेनाध्यक्ष सैम मानेकशॉ (बाद में फील्ड मार्शल) व बांग्लादेश में पूर्वी कमान का नेतृत्व करने वाले सैन्य कमांडर ले. जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा ने भी प्रदेश के वीर जवानों के साहस को सलाम किया था। 
आईएमए में सुरक्षित है पाकिस्तानी के जनरल की पिस्तौल 
16 दिसंबर के दिन ही पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल एके नियाजी ने करीब नब्बे हजार सैनिकों के साथ भारत के लेफ्टिनेंट जनरल जसजीत अरोड़ा के सामने आत्मसमर्पण किया था। इस दौरान जनरल नियाजी ने अपनी पिस्तौल समर्पित की थी।

यह पिस्तौल और कॉफी टेबल बुक आज भी भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) में सुरक्षित है। जनरल अरोड़ा ने यह पिस्टल आईएमए के गोल्डन जुबली वर्ष 1982 में अकादमी को प्रदान की थी। इसी युद्ध से जुड़ी दूसरी वस्तु पाकिस्तानी ध्वज है, जो आईएमए में उल्टा लटका हुआ है।

इस ध्वज को भारतीय सेना ने पाकिस्तान की 31 पंजाब बटालियन से युद्ध के दौरान कब्जे में लिया था। युद्ध की एक ओर निशानी कॉफी टेबल बुक कर्नल (रिटायर्ड) रमेश भनोट ने 38 वर्ष बाद जून 2008 में आईएमए को सौंपी थी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed