उत्तराखंड में तेजी से बढ़ रहे संक्रमण ने बढ़ाई सरकार की चिंता, सामने  हैं ये पांच चुनौतियां

0
crona

उत्तराखंड में पिछले 13 दिनों के भीतर कोरोना के मामलों में हुई बढ़ोतरी से सरकार, सिस्टम और जनमानस की पेशानी पर बल हैं। संक्रमितों की संख्या में अचानक आए उछाल के बावजूद सरकार सामुदायिक संक्रमण से साफ इनकार कर रही है।

अलबत्ता सरकार के स्तर पर उन कारणों की तलाश हो रही है, जो कोरोना संक्रमितों की संख्या में अनायास वृद्धि की वजह हैं। बहरहाल, जो कारण सरकार को पता लगे हैं, उनमें एक कोविड टेस्ट का बढ़ा दायरा भी माना जा रहा है।
सामुदायिक संक्रमण नहीं तो वजह क्या?
यह प्रश्न परेशान कर रहा है कि सामुदायिक संक्रमण के हालात नहीं हैं तो कोरोना के मामलों में अचानक बढ़ोतरी क्यों हो रही है। इसकी एक प्रमुख वजह टेस्टिंग बढ़ना भी बताई जा रही है। 13 जून से 21 जुलाई के बीच 1500 से तीन हजार टेस्ट प्रतिदिन हो रहे थे, 29 अगस्त से 15 दिनों के बीच 10 हजार के पार हो गए हैं। दूसरी वजह अनलॉक-4 भी मानी जा रही है। तीसरी वजह लोगों की लापरवाही है। मौसम में आ रहा बदलाव भी एक प्रमुख वजह है।
पांच चुनौतियां, पांच चिंताएं
राज्य के सामने आज पांच बड़ी चुनौतियां हैं, जो उसकी चिंता का प्रमुख कारण बनीं हैं।

1. तेजी से बढ़ रहे एक्टिव केस
प्रदेश में कोरोना के एक्टिव केस तेजी से बढ़ रहे हैं। 27 अगस्त को प्रदेश में 5215 एक्टिव केस थे। 13 सितंबर को एक्टिव केस की संख्या 10397 पहुंच गई। अगर ऐसे ही केस बढ़ेंगे तो सरकारी व गैरसरकारी अस्पतालों पर दबाव भी बढ़ेगा।

2. कम नहीं हो रही संक्रमण दर
पिछले 13 दिनों में राज्य में कोरोना की संक्रमण दर 9.28 प्रतिशत है। 13 सितंबर को एक ही दिन में चार मैदानी जिलों देहरादून, हरिद्वार, नैनीताल और ऊधमसिंह नगर में संक्रमण की दर रिकॉर्ड ऊंचाई पर जा पहुंची। देहरादून में एक ही दिन में 623 पॉजिटिवि केस के साथ ये 32 प्रतिशत पर रही, जबकि नैनीताल में 211 केस पर 25 प्रतिशत, हरिद्वार में 318 केस पर 21 प्रतिशत और ऊधमसिंहनगर में 240 केस पर 19 प्रतिशत तक पहुंच गई।

3. मृत्यु दर भी एक फीसदी से नीचे नहीं
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी राज्यों से कोरोना से मौत की दर को एक फीसदी से कम करने को कहा है। लेकिन राज्य में यह दर 1.29 प्रतिशत के आसपास बनी हुई है। 13 सितंबर तक प्रदेश में 402 लोगों की मौत हो चुकी थी।

4. रिकवरी रेट में सुधार का इंतजार
रिकवरी रेट में सुधार लाना भी सरकार के एक बड़ी चुनौती बना है। चार जुलाई को राज्य में रिकवरी रेट 80 प्रतिशत से अधिक था। आज यह घटकर 66 से 68 प्रतिशत के बीच स्थिर है। 13 सितंबर तक प्रदेश में एक्टिव केस की संख्या 30336 पहुंच चुकी थी, जिसमें से 20031 संक्रमित ही ठीक हो पाए।

5. लोगों में उदासीनता
सरकार की सबसे बड़ी चिंता का कारण कोरोना के बढ़ते मामलों के बावजूद लोगों में बढ़ती उदासीनता है। केंद्र व राज्य सरकार के बार-बार दिशा-निर्देशों और अपीलों के बावजूद बहुत बड़ा तबका जाने अंजाने में कोरोना संक्रमण का वाहक बन जा रहा है। नियमों की अनदेखी लगातार घातक रूप ले रही है।

सामुदायिक संक्रमण जैसी स्थिति नहीं है। सरकार ने जांच का दायरा बढ़ाया है। कई निजी प्रयोगशालाओं को टेस्ट करने की अनुमति दी है। इससे लोगों ने बड़ी संख्या टेस्ट कराए हैं। सरकार के स्तर पर पूरे इंतजाम हैं। इलाज में कोई कमी नहीं छोड़ी जा रही है। कोरोना की एक मात्र दवा है कि खुद को संक्रमण से बचाएं और सतर्क रहें और सावधानी बरतें।
– त्रिवेंद्र सिंह रावत, मुख्यमंत्री

आंकड़ों के विश्लेषण से कई ऐसे तथ्य सामने आए हैं जो चिंता में डालते हैं। ये बात सही है कि पिछले एक दो महीनों में कोरोना टेस्टिंग की दर में काफी बढ़ोतरी हुई है। जून में प्रतिदिन तीन हजार टेस्ट हो रहे थे, जो बढ़कर आज 10 हजार हो गए हैं। लेकिन हमें अन्य कारणों को भी तलाशना है, जो संक्रमण बढ़ाने की वजह हो सकते हैं।
– अनूप नौटियाल, संस्थापक, सोशल डेवलमेंट फॉर कम्युनिटीज फाउंडेशन 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed