प्रदेश में तेज बौछारें पड़ने के आसार, बदरीनाथ व यमुनोत्री हाईवे बंद
प्रदेश के पांच जिलों में कई स्थानों पर आज तेज बौछारें पड़ सकती हैं। इसके अलावा आकाशीय बिजली गिरने की भी संभावना है। वहीं यमुनोत्री घाटी में रात को हुई बारिश के कारण यमुनोत्री हाईवे ओजरी डबरकोट मलवा पत्थर आने से बंद हो गया है। श्रीनगर से ऋषिकेश के बीच शिवमूर्ति, पाली सहित अन्य स्थानों में बदरीनाथ हाईवे अवरुद्ध हो गया है। जिले में आज मौसम सामान्य है। जिले में अभी भी 13 ग्रामीण संपर्क मार्ग अवरुद्ध हैं। जिन्हें खोलने के लिए संबंधित विभागों की ओर से जेसीबी मशीनें लगा दी गई हैं।
मौसम केंद्र की ओर से जारी बुलेटिन के अनुसार राजधानी देहरादून, हरिद्वार, पौड़ी, रुद्रप्रयाग और चमोली जिलों के कई स्थानों पर आज बारिश की तेज बौछार पड़ सकती है।
इसके अलावा कुछ जगह बहुत भारी बारिश होने का भी अनुमान है। इसको देखते हुए मौसम विभाग ने ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। वहीं प्रदेश के अन्य क्षेत्रों में भी हल्की से मध्यम बारिश हो सकती है।
कालसी-चकराता मोटर मार्ग फिर बंद
साहिया क्षेत्र में बुधवार को हुई झमाझम बारिश के बीच शाम छह बजे कालसी-चकराता मोटर मार्ग जजरेट के पास बंद हो गया। जिसके चलते 40 गांवों का संपर्क अन्य इलाकों से कट गया है। लोगों को साहिया पहुंचने के लिए वाया बैराटखाई 65 किमी का अतिरिक्त सफर तय करना पड़ रहा है।
लगातार पहाड़ी से पत्थरों के लुढ़कने का सिलसिला जारी है। इससे पहले सुबह 11 बजे भी मार्ग पर यातायात बंद हो गया था जो करीब एक घंटे बाद दोपहर 12 बजे खुल सका था। मालूम हो कि कालसी-चकराता मोटर मार्ग को जौनसार बावर के प्रवेश द्वार के रूप में जाना जाता है।
रोजाना उक्त मोटर मार्ग से बड़ी संख्या में वाहनों की आवाजाही होती है। ऐसे में शाम छह बजे हुई तेज बारिश के बीच मोटर मार्ग बाधित हो गया। इसके चलते कई वाहन रास्ते में ही फंस गए। देर शाम तक भी सड़क पर यातायात बहाल न होने पर वाहन वाया बैराटखाई होते हुए अपने गंतव्य को रवाना हो गए।
लोनिवि साहिया के एक्जीक्यूटिव इंजीनियर डीपी सिंह ने बताया कि लगातार पहाड़ी से पत्थरों के लुढ़कने का सिलसिला जारी है। पत्थर लुढ़कने बंद होते ही संपर्क मार्ग पर वाहनों की आवाजाही बहाल कर दी जाएगी।
वीरभट्टी के वैली ब्रिज को भू-स्खलन से खतरा
कुमाऊं की लाइफलाइन कहे जाने वाले ज्योलीकोट-कर्णप्रयाग राष्ट्रीय राजमार्ग पर वीरभट्टी स्थित वैली पुल को भूस्खलन से खतरा पैदा हो गया है। कभी भी पुल को नुकसान से उक्त मार्ग में यातायात बाधित हो सकता है। हालांकि अधिकारी खतरे की बात से इनकार कर रहे हैं।
सितंबर 2017 में गैस वाहन हादसे में वीरभट्टी के ब्रिटिशकालीन पुल के क्षतिग्रस्त होने के बाद उस स्थल पर वैली ब्रिज का निर्माण किया गया था। तकनीकी खामियों के चलते ही उस समय पुल बमुश्किल खड़ा हो पाया था। हालांकि, वर्तमान में उस जगह पर नए डबल लेन पुल का निर्माण किया जा रहा है।
पर इसे बनने में एक वर्ष का समय लगने का अनुमान है। तब तक वैली ब्रिज पुल से ही आवाजाही होनी है। बीते दिनों से हो रही बारिश से पुल के प्रारंभिक छोर में नींव के पास भूस्खलन होने से खतरा बढ़ गया है। भूस्खलन से आए मलबे से निर्माणाधीन पुल के कार्य में भी बाधा उत्पन्न हो रही है।
इधर, एनएच के एई एमसी जोशी ने बताया कि वैली ब्रिज को कोई खतरा नहीं है। नींव के पास पूर्व में हुए खुदान की मिट्टी का धंसाव हुआ है।